अनियमित दिनचर्या और उसके ऊपर काम का दबाव, ये दोनों चीजें एक दूसरे के ठीक उलट हो सकते हैं। लेकिन असर एक सा ही करती हैं और वो है आपके शरीर को तमाम समस्याएं देना। ऐसी ही एक समस्या का नाम कन्सटीपेशन है। हिन्दी में कब्ज कहते हैं। लैंसेट की एक रिपोर्ट कहती है कि पूरे दुनिया की 2 से 24 प्रतिशत तक की आबादी इस समस्या या इसके असर से ग्रस्त है। यह सही है कि कब्ज की समस्या इस स्तर पर है लेकिन कुछ उपायों को अपना कर (how to relieve constipation) इससे निजात पाया जा सकता है।
कॉन्स्टिपेशन, जिसे हम हिंदी में कब्ज कहते हैं, एक आम पाचन समस्या है, जिसमें व्यक्ति को नियमित तौर पर शौच करने में कठिनाई होती है। हमारे घरों में अक्सर ये समस्या ऐसे बताई जाती है कि पेट साफ नहीं हो रहा। हां इस समस्या के लक्षण अलग हो सकते हैं। जैसे किसी व्यक्ति में ये समस्या यूरिन के कठोर हो जाने या सूखा होने के तौर पर दिख सकती है। इससे उन्हें शौच करते वक्त परेशानी भी होती है। कई लोगों में ये समस्या पेट में अक्सर दर्द, अक्सर गैस बन जाने के तौर पर दिखाई देती है। यह समस्या जब बढ़ती है तो नियमित तौर पर मरीज को पेट साफ न होने की यानी कि शौच करने में मुश्किल जैसी दिक्कतें होने लगती हैं।
आम तौर पर कन्सटीपेशन (how to relieve constipation) की समस्या के कई कारण हो सकते हैं। जिसमें हमारी दिनचर्या से लेकर हमारे खानपान से जुड़े सारे कारण हैं। लेकिन थोड़ा प्रीसाइज होते हुए अगर कहा जाए तो ये कुछ कारण हैं –
अगर हमारे खाने में फाइबर की कमी होती है, तो हमारा यूरिन शरीर से आसानी से बाहर नहीं निकल पाता। फाइबर आंतों की कार्यप्रणाली को सही बनाए रखने के लिए जरूरी होता है। इसके बिना यूरिन कठोर और सूखा हो सकता है, जिससे कब्ज की समस्या पैदा होती है।
ब्लैडर एण्ड बोवेल कम्युनिटी की एक रिपोर्ट कहती है कि लोग अपनी व्यस्त दिनचर्या में पर्याप्त पानी पीना भूल जा रहे हैं। इस वजह से ये कब्ज की समस्या और बढ़ रही है। शरीर में पानी की कमी होने पर यूरिन सूखा हो जाता है और उसे बाहर निकालने में कठिनाई होती है।
अब यूरिन नहीं निकलता तो पेट में गैस और दर्द जैसी समस्याएं भी होने लगती हैं। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से यूरिन मुलायम बना रहता है, जिससे उसे निकालना आसान (how to relieve constipation) होता है।
बदलते दौर में जब सब कुछ शरीर पर कम सक्रिय है और मशीनों पर ज्यादा। ऐसे में कोई व्यक्ति कितना ही फिजिकली एक्टिव रह सकता है। लेकिन यही शारीरिक तौर पर निष्क्रियता या व्यायाम की कमी भी पेट में कब्ज का एक बड़ा कारण है। जब शरीर में शारीरिक गतिविधि नहीं होती, तो आंतों की गति धीमी हो जाती है, जिससे यूरिन डिस्चार्ज में समस्या होने लगती है।
ऑक्सफोर्ड एकेडिमिक्स की एक रिपोर्ट बताती है कि मानसिक तनाव, चिंता, और डिप्रेशन भी कब्ज के कारण हो सकते हैं। मानसिक स्थिति का शारीरिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। तनाव की स्थिति में शरीर की पाचन क्रिया धीमी हो सकती है, जिससे कब्ज की समस्या उत्पन्न होती है।
दरअसल ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब हम किसी भी तरह के तनाव में होते हैं तब हमारा शरीर स्ट्रेस हार्मोन्स रिलीज करने लगता है। ये हार्मोन हमारे पाचन खास कर हमारी आंतों के लिए बिल्कुल ठीक नहीं होतीं, और इस वजह से कब्ज जैसी समस्या जन्म लेती है।
कुछ दवाइयां, जैसे पेनकिलर्स, एंटीडिप्रेसेंट्स, एंटीहिस्टामिन्स, और हाई ब्लडप्रेशर की दवाइयां भी कब्ज का कारण बन सकती हैं। इन दवाइयों के कारण आंतों की गति धीमी हो जाती है। आपने अक्सर देखा होगा कि डॉक्टर्स दवाइयां देते वक्त मरीजों को कब्ज की दवा भी साथ साथ देते हैं। ऐसा केवल इसलिए ताकि इन दवाओं के असर से अगर कब्ज जन्मे तो हमारा शरीर उससे लड़ (how to relieve constipation) सके।
उम्र बढ़ने के साथ हमारी आंतों की गति धीमी हो जाती है। इस वजह से हम जो खाना खाते हैं उसे पचने में समस्या होती है, जिससे कब्ज की समस्या अधिक होती है। इसी वजह से उन्हें शौच के वक्त भी समस्या होती है। इसके अलावा महिलाओं में गर्भावस्था, पीरियड्स, या मेनोपॉज (menopause) के दौरान हार्मोनल परिवर्तन के कारण भी कब्ज की समस्या आम है।
गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉक्टर अजय गुप्ता से हमने यही सवाल पूछा। उनके अनुसार, आजकल कब्ज (कन्सटीपेशन) एक ऐसी समस्या बन गई है, जो अक्सर लोग झेल रहे हैं। इसका सबसे पहला कारण तो ये है कि हम लोग जंक फूड और फास्ट फूड खाने के शौक़ीन हो गए हैं, जिनमें फाइबर की कमी होती है। अब फाइबर कम खाओ, तो यूरिन भी ठीक से नहीं बनेगा और कब्ज की समस्या खड़ी हो जाएगी। फिर हम ऑफिस में बैठकर काम करते हैं, हिलते-डुलते नहीं हैं, जिससे हमारी आंतों की गति धीमी हो जाती है। लंबी देर तक बैठे रहना भी कब्ज का एक बड़ा कारण बनता है।
एक बात और मानसिक तनाव की वजह से भी पाचन सही से काम नहीं करता। जैसे ही दिमाग परेशान होता है, पाचन धीमा हो जाता है और कब्ज होने लगता है। अब पानी की कमी भी बड़ी वजह है। अगर दिनभर पानी कम पियो तो यूरिन सूखा हो जाता है और उसे निकालने में परेशानी होती है। इसके अलावा, अनियमित दिनचर्या और नींद भी इस समस्या को और बढ़ा देती है। तो ऐसे समझिए कि कब्ज या कन्सटीपेशन जो कह लें इसकी वजह हमारी गलत आदतें और लाइफस्टाइल ही हैं।
फाइबर से भरपूर आहार, जैसे ताजे फल, सब्जियाँ, दालें, बीन्स, और साबुत अनाज, कब्ज से राहत दिलाने में मदद करते हैं।
फाइबर आंतों को स्वस्थ रखता है और यूरिन को नरम बनाता है। इसके अलावा मसालेदार खानों से दूर रहना भी कब्ज से मुक्ति पाने की एक राह (how to relieve constipation) है।
आपका यूरिन डिस्चार्ज ठीक तरीके से हो इसके लिए जरूरी है कि आप हाइड्रेटेड रहें। पानी यूरिन को मुलायम बनाए रखता है, जिससे उसे बाहर निकालना आसान हो जाता है। आमतौर पर, 8-10 गिलास पानी दिन भर में जरूर पियें।
नियमित रूप से शारीरिक गतिविधि, जैसे चलना, दौड़ना, योग या कोई और व्यायाम, आंतों की काम करने की गति को बढ़ावा देती है और पेट में गैस बनने जैसी समस्याओं से राहत (how to relieve constipation) दिलाती है। व्यायाम से हमारे शरीर में खून का संचार भी बढ़ता है, जिससे पाचन क्रिया बेहतर होती है।
कब्ज के उपचार के लिए कुछ दवाइयां उपलब्ध होती हैं, लेकिन इनका उपयोग चिकित्सक की सलाह के बाद ही करना चाहिए। ओवर-द-काउंटर लक्सेटिव्स (laxatives) का अधिक इस्तेमाल न करें, क्योंकि यह आदत बन सकती है। ऐसे में ये होगा कि आपको हमेशा शौच कर लिए उन दवाओं पर निर्भर रहना पड़ेगा।
हर दिन एक निश्चित समय पर शौच जाने की आदत डालें। शरीर को एक नियमित दिनचर्या की आवश्यकता (how to relieve constipation) होती है, जिससे यूरिन डिस्चार्ज की प्रक्रिया में कोई कठिनाई न हो।
कन्सटीपेशन की समस्या से निजात मिले आप इसके लिए कुछ प्राकृतिक उपाय जैसे ताजे आंवले का रस, त्रिफला, और अदरक जैसी चीजें भी कब्ज से राहत दिलाने में सहायक होते हैं। इनका सेवन पाचन प्रक्रिया को बेहतर बनाता है और कब्ज को दूर करता है।
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