Hives : बरसाती मौसम में ज्यादा हो सकता है पित्ती उभरने का जोखिम, ये 4 घरेलू उपाय दे सकते हैं राहत

पित्ती यानि हाइव्स यूं तो किसी भी मौसम में हो सकती है मगर मानसून में इसका जोखिम और भी ज्यादा बढ़ जाता है। जानते हैं पित्ती यानि हाइव्स क्या है और इसका उपचार कैसे कर सकते हैं, आइए जानें विस्तार से
Hives ke kaaran
वे लोग जो एलर्जिक होते हैं, उन्हें हाइव्स की समस्या का सामना करना पड़ता है। हाइव्स एक्यूट और क्राॅनिक हो सकती हैं। चित्र : अडॉबीस्टॉक
ज्योति सोही Published: 20 Aug 2024, 08:00 am IST
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मानसून के दिनो में त्वचा पर खुजली, जलन और इरिटेशन की समस्या अचानक से बढ़ जाती है। इस मौसम में मक्खी- मच्छरों और कीड़े- मकौड़ों के काटने (Insect bite) के अलावा कई प्रकार के संक्रमण भी हो सकते हैं। हवा, पानी और पेड़-पौधों के आसपास पाए जाने वाले ये संक्रमण त्वचा को नुकसान पहुंचाने लगते हैं। जिससे त्वचा में सूजन, लाल चकत्ते और पित्त उभर सकती हैं। जिसे अंग्रेजी में हाइव्स (Hives) कहा जाता है। पित्ती यूं तो किसी भी मौसम में हो सकती है मगर मानसून में इसका जोखिम और भी ज्यादा बढ़ जाता है। हाइव्स यानी पित्ती क्या है (Hives), ये क्यों होती (Hives causes) है और आप इसका उपचार (Hives treatment) कैसे कर सकते हैं, आइए जानते हैं विस्तार से।

हाइव्स किसे कहते हैं और यह त्वचा पर कैसे बढ़ती है (What is hives and how does it grow on the skin)

डर्माटोलॉजी कंसल्टेंट, हिन्दुजा हास्पिटल, डॉ रैना नाहर बताती हैं कि वे लोग जो एलर्जिक होते हैं, उन्हें हाइव्स की समस्या का सामना करना पड़ता है। हाइव्स एक्यूट और क्राॅनिक दोनों प्रकार की हो सकती हैं। इसमें होठों, जीभ, कान, हाथ और टांग पर सूजन वाले पैच होने लगते हैं। इससे सांस लेने में भी तकलीफ हो सकती है। कई बार हाइव्स के कारण बॉडी टिशूज में भी इफ्लेमेशन होने लगती है।

इसमें खुजली और जलन (how to deal with itching) महसूस होती है, जो समय के साथ माइल्ड, मॉडरेट और सीवियर हो सकती है। अगर हाइव्स की संख्या 10 से 20 है, तो उसे माइल्ड कहा जाता है। अगर 20 से 50 के बीच है तो मॉडरेट और अगर 50 से ज्यादा है, तो वो सीवियर कहलाता है। साल में 1 से 2 बार हाइव्स होना बच्चों में सामान्य है।

Hives se kaise deal karein
डाइट में बदलाव, दवाओं और जेनेटिक कारणों से हाइव्स की समस्या का सामना करना पड़ता हैं। चित्र : अडॉबीस्टॉक

हाइपर सेंसटीविटी उस स्थिति को कहते हैं, जब मास्ट सेल्स इम्युनोग्लोबुलिन ई यानि आईजीई के स्टीम्यूलेट होने के बाद उत्तेजित होने लगते हैं। उसके चलते हिस्टामाइन समेत कई प्रकार के मिडिएटर्स को इंफ्लामेटरी रिस्पांस ट्रिगर करने के लिए रिलीज़ करते हैं। बरसात के मौसम में हाइव्स के मामले बढ़ जाते हैं। मौसम में बढ़ने वाली उमस के चलते या कीड़े मकौड़ों के काटने (tips to deal with insect bite) से हाइव्स का सामना करना पड़ता है।

अमेरिकन कॉलेज ऑफ एलर्जी, अस्थमा और इम्यूनोलॉजी के मुताबिक बहुत बार डाइट में बदलाव, दवाओं और जेनेटिक कारणों से हाइव्स की समस्या का सामना करना पड़ता हैं। इसके चलते त्वचा पर सूजन महसूस होने लगती है, जो कुछ ही देर में अपने आप ठीक हो जाती है। फूली हुई त्वचा पर खुजली का सामना करना पड़ता है और जलन भी बढ़ जाती है।

क्या हैं पित्ती उभरने या हाइव्स के कारण (reasons of hives)

पहली बार होने वाली हाइव्स के कारणों का आप आसानी से पता लगा सकते हैं। कई बार कुछ खाने या किसी पोषक तत्व का ज्यादा इनटेक और कोई अन्य गतिविधि इस समस्या का कारण साबित हो सकती है। अगर ये समस्या लंबे समय से चली आ रही है और कभी होती है, तो कभी अपने आप ठीक हो जाती है।

ऐसे में स्वैटिंग, इंफेक्शन, फंगल और हीट परेशानी को और भी ज्यादा बढ़ा सकती है। कई लोगों को ठंड से भी एलर्जिक समस्या होने लगती है। इससे रैशेज बढ़ने लगते हैं। इसके अलावा टाइट बैल्ट और टाइट कपड़े भी इस समस्या को बढ़ा देते हैं । एलर्जी टेस्ट का पता लगाकर कारण का पता लगाया जा सकता है।

एंटी हिस्टामिंस से हाइव्स से राहत मिल जाती है। इससे इरिटेशन और तनाव से भी राहत मिलती है। इससे एसिडिटी का सामना भी करना पड़ सकता है। इसके अलावा एंटी फंगल दवाएं भी फायदेमंद साबित होती है। इसके अलावा आईजीई इंजैक्टेबल्स से भी फायदा मिलता है। वैक्सीन की मदद से भी इस समस्या को दूर किया जा सकता है।

Kaise badh sakti hai hives ki pareshani
मौसम में बढ़ने वाली उमस के चलते या कीड़े मकौड़ों के काटने से हाइव्स का सामना करना पड़ता है।
। चित्र : शटरस्टॉक

इन टिप्स की मदद से करें हाइव्स की समस्या हल (How to deal with hives)

1. कोल्ड कंप्रैस

स्किन इरिटेशन को कम करके त्वचा को सूदिंग इफेक्ट देने के लिए कोल्ड कंप्रैस का इस्तेमाल फायदेमंद साबित होता है। इसके लिए कुछ देर कोल्ड कंप्रैस या रूमाल में बर्फ को लपेटकर सूजन वाली जगह पर रखने से जलन से राहत मिल जाती है और खुजली की समस्या हल होने लगती है।

2. विच हेज़ल

एंटी इंफ्लामेटरी गुणों से भरपूर विच हेज़ल के तेल को त्वचा पर अप्लाई करने से बर्निंग सेंसेशन से बचा जा सकता है। इसमें मौजूद मेडिसिनल प्रापर्टीज से त्वचा को फायदा मिलता है। एनआईएच के एक रिसर्च के अनुसार स्किन पर अप्लाई किए गए जाने वाले मॉइश्चराइज़र में 10 प्रतिशत विच हेज़ल एक्सटरेक्ट या ऑयल को मिलाने से लालिमा और सूजन दूर होने लगती है।

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Wich hazel ke fayde janein
एंटी इंफ्लामेटरी गुणों से भरपूर विच हेज़ल के तेल को त्वचा पर अप्लाई करने से बर्निंग सेंसेशन से बचा जा सकता है। चित्र: अडोबी स्टॉक

3. ओटमील बाथ

ऑक्सीडेटिव तनाव को दूर करने के लिए ओटमील बाथ बेहद फायदेमंद है। पानी में 2 से 3 चम्मच ओटमील को डालकर कुछ देर तक रखें और फिर उस पानी से स्नान कर लें। इससे त्वचा पर बढ़ने वाली सूजन और जलन कम होने लगती है और स्किन को राहत मिलती है।

4. बेकिंग सोडा

एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरपूर एक बाउल पानी में 2 चम्मच बेकिंग सोडा मिलाकर पेस्ट बना लें और फिर उसे रैशेज पर लगाने से राहत मिलती है। दिन में दो बार इस पेस्ट को अप्लाई करने से सूजन की समस्या हल होने लगती है।

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लेखक के बारे में

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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