नियमित खानपान की आदतों में आने वाले उतार चढ़ाव शरीर को कई प्रकार से प्रभावित करते हैं। इससे पोषक तत्वों की कमी के अलावा एसिड रिफ्लक्स का सामना करना पड़ता है। दरअसल, देर रात कुछ खाना और अधिक स्पाइसी फूड इनटेक का बढ़ना एसिड रिफ्लक्स (causes of acid reflux) का कारण बनने लगता हैं। इसके कारण सीने में जलन (heartburn), खांसी (cough) और चेस्टपेन की समस्या (causes of chest pain) बढ़ जाती है। कुछ आसान टिप्स की मदद से इस समस्या को दूर किया जा सकता है। जानते हैं एसिड रिफ्लक्स (acid reflux home remedies) क्या है और इसे दूर करने के आसान उपाय।
इस बारे में डायटीशियन मनीषा गोयल बताती हैं कि एसिड रिफ्लक्स (acid reflux) उस स्थिति को कहते हैं, जब पेट में मौजूद खाद्य पदार्थ और एसिड पेट को गले से जोड़ने वाले पाईप एसोफेगस में वापिस लौटने लगता है। इससे गले और सीने में जलन (heartburn) बढ़ने लगती है। इस समस्या को जीईआरडी यानि गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स (Gastroesophageal reflux) कहा जाता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार अनहेल्दी मील्स के अलावा बैठने का गलत पोश्चर एसिड रिफ्लक्स का कारण बनने लगता है। ऐसे में बैठने के लिए सही पोश्चर अपनाएं और काम के दौरान ब्रेक्स लें। वहीं अमेरिकी कॉलेज ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के अनुसार नियमित रूप से स्मोकिंग (smoking) करने से एसिड रिफ्लक्स (acid reflux) बढ़ने लगता है। इससे इंटेस्टाइन लाइनिंग में इरिटेशन बढ़ने लगता है।
खाना खाने के बाद एकदम से लेट जाना और रात में सोने से पहले ज्यादा मसालेदार खाना खाने से पेट में एसिड बनने लगता है। एसिड एसोफेगस के ज़रिए गले में लौटने लगता है। इससे जलन का सामना करना पड़ता है।
प्रेगनेंसी के दौरान पेट में दबाव बढ़ने लगता है। इससे डायाफ्राम में मांसपेशियों में खिंचाव बढ़ जाता है, जो एसिड रिफ्लक्स को बढ़ाता है। गर्भावस्था के दौरान शरीर में होने वाले हार्मोनल परिवर्तन लोअर एसोफैजियल स्फिंक्टर को रिलैक्स और कमजोर कर देते है।
धूम्रपान के चलते लोअर एसोफैजियल स्फिंक्टर पर दबाव बढ़ने लगता है। इससे डाइजेशन स्लो हो जाता है, जिसके चलते पेट में एसिड प्रोड्यूस होने लगता है। डायाफ्राम मसल्स की कमज़ोरी एसिड रिफ्लक्स का कारण साबित होती है। सेकेण्ड हैंड स्मोकिंग भी इस समस्या का कारण बन सकती है।
वे लोग जो मोटेपे के शिकार है, उनके पेट पर प्रैशर बढ़ने लगता है। इसके चलते फैट टिशूज़ से एस्ट्रोजन का सिक्रीशन बढ़ जाता है, जो एसिड रिफ्लक्स को बढ़ाता है। शरीर को वज़न तेज़ी से बढ़ने से मांसपेशियों में कमज़ोरी को बढ़ाता है।
मेडिसिनल प्रॉपर्टीज़ से भरपूर अदरक का सेवन करने से डाइजेशन में मदद मिलती है। इसमें मौजूद एंटी इंफ्लामेटरी गुण जलन को दूर करके ब्लोटिंग और गैस से बचाजा है। अदरक के टुकड़े को बचाने के अलावा उसे पानी में उबालकर या फिर उसके रस को शहद में मिलाकर लेने से फायदा मिलता है।
केला एक अल्कलाइन और लो एसिड फूड है। इसके सेवन से शरीर को सॉल्यूबल फाइबर पेक्टिन की प्राप्ति होती है। इससे डाइजेशन बूस्ट होता है और पेट दर्द व जलन से राहत मिल जाती है। इससे एसोफेगल लाइनिंग में बढ़ने वाली इरिटेशन को रोका जा सकता है।
डाइजेशन को बूस्ट करने के अलावा इंटेस्टाइन में बढ़ने वाली सूजन और इरिटेशन से बचने के लिए सौंफ का सेवन करें। इसमें मौजूद एंटी बैक्टीरियल और एंटी इंफ्लामेटरी प्रॉपर्टीज़ से पेट में बढ़ने वाले दर्द और जलन दूर करने में मदद मिलती है।
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कस्टमाइज़ करेंसिट्रस फलों, कैफीन, चॉकलेट और तले भुने व स्पाइसी फूड से दूरी बनाकर रखें। इससे एसिड रिफ्लक्स की समस्या बनी रहती है। आहार में लो एसिड और फाइबर रिच फूड्स को अवश्य शामिल करें। इसके अलावा देर रात खाना खाने से भी बचें