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प्रेगनेंसी में कब्ज कर रही है परेशान, तो जानिए इसका कारण और छुटकारा पाने के घरेलू उपाय

प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर बढ़ने लगता है। इससे बॉडी मसल्स में ऐंठन बढ़ने लगती है, जिनमें आंते भी शामिल हैं। ऐसे में आंतों का कार्य सुचारू रूप न हो पाने के कारण पाचन क्रिया धीमी होने लगती है। इससे कब्ज का सामना करना पड़ता है।
आंतों का कार्य सुचारू रूप न हो पाने के कारण पाचन क्रिया धीमी होने लगती है। इससे कब्ज का सामना करना पड़ता है। चित्र – अडोबीस्टॉक
Published On: 21 Jan 2025, 08:00 pm IST

गर्भावस्था के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव नज़र आने लगते है। कभी मूड स्विंग, तो कभी पीठ में दर्द, तो कभी कब्ज की समस्या। अक्सर महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान कब्ज की समस्या का सामना करना पड़ता है। शरीर में पानी की कमी से लेकर हार्मोनल इंबैलेंस इस समस्या के कारणों में शुमार है। हांलाकि डे टू डे लाइफ की इन समस्याओं का उपचार संभव है। घरेलू नुस्खे इस समस्या से राहत दिलाने में कारगर साबित होते हैं। जानते हैं प्रेगनेंसी के दौरान कब्ज (constipation during pregnancy) का कारण और राहत पाने के उपाय भी।

प्रेगनेंसी में क्यों बढ़ती है कब्ज की समस्या (constipation during pregnancy)

इस बारे में गायनोगोलॉजिस्ट डॉ शिवानी सिंह बताती हैं कि प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर बढ़ने लगता है। इससे बॉडी मसल्स में ऐंठन बढ़ने लगती है, जिनमें आंते भी शामिल हैं। ऐसे में आंतों का कार्य सुचारू रूप न हो पाने के कारण पाचन क्रिया धीमी होने लगती है। इससे कब्ज का सामना करना पड़ता है। एक्टा ऑब्सटेट्रिशिया एट गाइनेकोलॉजिकल स्कैंडिनेविका के अनुसारए लगभग चार में से तीन गर्भवती महिलाओं को किसी न किसी समय कब्ज और अन्य आंत्र समस्याओं का अनुभव होने की संभावना बनी रहती है।

बच्चे की ग्रोथ के साथ यूट्रस पर दबाव बढ़ने लगता है। इससे शरीर में ब्लोटिंग बढ़ने लगती है, जिससे शरीर को कब्ज का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा शरीर का वज़न बढ़ने से शरीर का लचीलापन कम होने लगता है और कब्ज की समस्या बनी रहती है। इसके लिए शरीर को हाइड्रेटेड रखना आवश्यक है और आहार में फाइबर की भरपूर मात्रा को शामिल करें। इसके अलावा देर तक बैठने और खड़े होने से भी परहेज करें।

आहार में फाइबर की भरपूर मात्रा को शामिल करें। इसके अलावा देर तक बैठने और खड़े होने से भी परहेज करें। चित्र : अडोबीस्टॉक

इन टिप्स से कब्ज की समस्या को दूर करने में मिलती है मदद (Tips to deal with constipation during pregnancy)

1. फाइबर रिच फूड का करें सेवन

गर्भवती महिलाओं को दिनभर में 25 से 30 ग्राम फाइबर की मात्रा लेने की सलाह दी जाती है। इसमें मौसमी फलों और सब्जियों के अलावा साबुत अनाज, दालों और नट्स को भी शामिल करना चाहिए। इससे शरीर को फाइबर के अलावा एंटीऑक्सीडेंट्स की भी प्राप्ति होती है, जिससे शरीर में बढ़ने वाले ऑक्सीडेटिव तनाव से राहजत मिल जाती है। हरी पत्तेदार सब्जियों को सूप से लेकर रेसिपाज़ तक हर चीज़ में इस्तेमाल करना चाहिए।

2. भरपूर मात्रा में पानी पीएं

खासतौर से सर्दियों में निर्जलीकरण की समस्या बनी रहती है। ऐसे में वे महिलाएं जो गर्भव्ती है, उन्हें दिन में 8 से 10 गिलास पानी अवश्य पीने चाहिएं। इसके अलावा वॉटर कंटेट से भरपूर फलों का सेवन करें और आहार में सूप, मिल्क शेक्स और स्मूदी को भी शामिल करें। इससे शरीर में बढ़ने वाली डिहाइड्रेशन की समस्या से बचा जा सकता है और शरीर एक्टिव बना रहता है।

वॉटर कंटेट से भरपूर फलों का सेवन करें और आहार में सूप, मिल्क शेक्स और स्मूदी को भी शामिल करें। चित्र : शटर स्टॉक

3.स्मॉल मील्स लें

ऐसे में ओवरइटिंग करने से बचें और एक समय में अधिक मात्रा में खाना डाइजेशन को स्लो बना सकता है। तीन बड़ी मील्स को छ छोटी मील्स से रिप्लेस कर लें। इससे पेट में बनने वाली गैस, अपच और ब्लोटिंग को कम किया जा सकता है।

4. प्रोबायोटिक्स को आहार में शामिल करें

आहार में दही और उससे बनी चीजों को शामिल करे। इससे पाचनतंत्र एचित बना रहता है और इंटेस्टाइन में गुड बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ने लगती है। दरअसल, प्रोबायोटिक्स की मदद से फूड ब्रेक डाउन में मदद मिलती है, जिससे पाचनतंत्र उचित बना रहता है।

5. शारीरिक गतिविधि आवश्यक है

अधिक समय आराम करने से शरीर में लचीलापन कम होने लगता है। ऐसे में कब्ज की समस्या बढ़ती चली जाती है। इससे बचने के लिए शरीर की सक्रियता को बनाए रखना आवश्यक है और पीठ व कमर में बढ़ने वाली ऐंइन से भी बचा जा सकता है।

शरीर की सक्रियता को बनाए रखना आवश्यक है और पीठ व कमर से बचा जा सकता है।

6. प्री नेटल योगा है ज़रूरी

गर्भवती महिलाओं के लिए स्ट्रेचिंग कई तरह से लाभदायक साबित होती है। इससे शरीर फिट और तनावमुक्त बना रहता है। प्रेगनेंसी में बढ़ने वाले दर्द भी कम होने लगते है। बेक पेन और शाटिका के दर्द को दूर करने के लिए कैट काओ पोज़ करें। इसके अलावा मसल्स की मज़बूती के लिए प्राणायाम, चाइल्ड पोज़ और लजिज़ की भी मदद ली जा सकती है।

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लेखक के बारे में
ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं।

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