आम तौर पर लोग ये मानते हैं कि मां और पिता के बीच में हो रहा झगड़ा सिर्फ पति और पत्नी के तौर पर उनका झगड़ा है और ये ठीक भी हो सकता है। ठीक नहीं भी हुआ तो इसका उनके रिश्ते पर असर पड़ेगा, बच्चे पर नहीं। लेकिन ये सोच ग़लत है। मां और बाप के बीच में किसी भी तरह के झगड़े और खासकर आए दिन हो रहे झगड़े का असर (Parental conflict and kids mental health) बच्चों पर बुरी तरह पड़ता है। ये बच्चों की मेंटल हेल्थ से लेकर उनकी फ्यूचर बिहैवियर सब कुछ डिसाइड करता है। आज हम यही समझने वाले हैं, एक्सपर्ट की मदद से और ये भी समझेंगे कि ऐसी सिचुएशन से निपटने के लिए पैरेंट्स क्या कर सकते हैं।
जब घर में पेरेंट्स के बीच लड़ाई होती है तो बच्चे अमूमन बुरी तरह से परेशान हो जाते हैं। खासकर छोटे बच्चों को तो समझ में ही नहीं आता कि क्या हो रहा है।
कभी उन्हें लगता है कि यह सब उनके कारण हो रहा है या फिर वे डर जाते हैं कि उनके पेरेंट्स एक-दूसरे से अलग हो जाएंगे। ऐसे में उनका मेंटल हेल्थ प्रभावित होता है। इसकी वजह से बच्चे (Parental conflict and kids mental health) खुद को अकेला महसूस करने लगते हैं और घबराहट, डर, या तनाव जैसी समस्याओं के शिकार हो जाते हैं।
2. गुस्सा और चिड़चिड़ापन (Anger and Irritability)
चाइल्ड एण्ड फेमिली काउन्सलर निकिता देशमुख कहती हैं कि पेरेंट्स के झगड़ों का असर बच्चों के गुस्से पर भी पड़ता है। जब घर में हर वक्त तनाव रहता है तो बच्चे गुस्से में रहने लगते हैं या चिड़चिड़े हो सकते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उन्हें लगता है कि वो अपने पेरेंट्स के झगड़े को रोक नहीं पा रहे।
ऐसे में छोटे-छोटे कारणों पर वे (Parental conflict and kids mental health) किसी से झगड़ सकते हैं या चीजें तोड़ सकते हैं। यह गुस्सा बच्चों के स्कूल या दोस्तों के साथ भी समस्याएं दे देता है। वे ना तो अच्छे से पढ़ाई कर पाते हैं और ना ही दोस्तों के साथ ठीक से घुल-मिल पाते हैं।
अगर घर में पेरेंट्स के झगड़े हो रहे हों तो बच्चों का ध्यान पढ़ाई पर नहीं लग पाता। निकिता कहती हैं कि ऐसे कई केसेस मेरे पास भी आए जब वे स्कूल में ध्यान नहीं दे पाते क्योंकि उनका मन हमेशा घर के माहौल में रहता है। इससे उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता और वे खराब रिजल्ट लाते हैं। कभी-कभी तो बच्चों को (Parental conflict and kids mental health) स्कूल में अकेलापन या घबराहट भी महसूस होने लगती है और बुरे सिचुएशन में कहूँ तो कई बार बच्चों में पैनिक अटैक्स भी देखा गया है।
पेरेंट्स के झगड़े बच्चों के आत्मविश्वास को भी कमजोर देते हैं। अगर उनके पेरेंट्स का रिश्ता सही नहीं है, तो वे खुद को भी दोषी मानने लगते हैं। उन्हें लगता है कि अगर वे बेहतर होते तो शायद पेरेंट्स के बीच झगड़े नहीं होते। इसका असर (Parental conflict and kids mental health) उनके आत्मविश्वास पर पड़ता है। उन्हें लगता है कि वे किसी लायक नहीं। वे खुद को कमतर समझने लगते हैं और फिर लाइफ के सारे कामों में इसका असर झलकता है। चाहे वो पढ़ाई हो या खेल-कूद।
निकिता के अनुसार बच्चे, जो पेरेंट्स के झगड़े देखते हैं वे बड़े होने के बाद वो भी ऐसी आदतों के शिकार हो सकते हैं। कई बार बच्चे यह मान लेते हैं कि झगड़े भी रिश्तों का ही हिस्सा हैं और वो बड़े होने पर उसी तरह का आचरण करने लगते हैं।
ये सुनने में अजीब है लेकिन एक ऐसे बच्चे की कल्पना (Parental conflict and kids mental health) कर के देखिए जो दो साल की उम्र से मां- बाप के झगड़े को देख रहा है। या तो वो इससे इमोशनली टूट जाएगा जिससे मेंटल इशूज होंगे या फिर वो इन झगड़ों को नॉर्मल मान लेगा। इसका नतीजा ये होगा कि वो अपने रिश्तों में भी वो इन्हीं ‘नॉर्मल’ झगड़ों को अपनाएगा।
पेरेंट्स को आपस में अपनी समस्याओं को समझदारी से हल करना चाहिए। बच्चों के सामने कभी भी गुस्से में झगड़ा न करें क्योंकि यह उन्हें डराता है और ऊपर जो अभी हमने बताए वैसे असर (Parental conflict and kids mental health) दिखाई देने लगते हैं।
अगर झगड़े बढ़ जाएं, तो किसी प्रोफेशनल से काउंसलिंग लेने में कोई हर्ज नहीं। ये तरीका न सिर्फ बतौर कपल आपके लिए जरूरी है बल्कि पेरेंट्स के तौर पर भी। बच्चे को शांति से और अच्छी परवरिश देना आपकी जिम्मेदारी है।
काउंसलर निकिता देशमुख के अनुसार, देखिए, ये सही है कि रिश्तों में झगड़ा कई बार अनचाहा भी आता है। लेकिन आपको इसे स्वीकार करना होगा कि बतौर कपल आप लोगों में कुछ ठीक नहीं और इस बात को बच्चे (Parental conflict and kids mental health) से शेयर करनी होगी। बच्चों को यह समझाइए कि पेरेंट्स के झगड़े उनका दोष नहीं हैं। उन्हें यह अहसास दिलाएं कि यह सिर्फ एक समस्या है जो पेरेंट्स मिलकर हल करेंगे।
बच्चों के सामने अच्छे रिश्ते का उदाहरण पेश करें। एक-दूसरे के साथ प्यार और समझदारी से पेश आना उन्हें सिखाता है कि कैसे झगड़े बिना भी समस्याओं का हल निकाला जा सकता है।
ये भी पढ़ें – क्या आप जानते हैं कि बच्चे झूठ क्यों बोलते हैं? चाइल्ड काउंसलर बता रही हैं इसका कारण और इस आदत को कम करने के उपाय
डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।