बच्चों की डाइजेस्टिव हेल्थ (पाचन स्वास्थ्य) में सुधार उनकी सेहत और विकास के लिहाज से बेहद जरूरी है। जब पाचन तंत्र स्वस्थ होगा तभी वह जरूरी पाचक तत्वों का अवशोषण कर मजबूत इम्यून सिस्टम तैयार करने में मददगार होगा। ऐसा होने पर कई तरह की गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल परेशानियों का रिस्क भी कम होगा।
इसलिए अपने बच्चे को पोषण से भरपूर तरह-तरह के फूड आइटम्स का सेवन करने के लिए प्रेरित करें। संतुलित खुराक में फलों, सब्जियों, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन और हेल्दी फैट्स को शामिल करना चाहिए। इनसे शरीर के लिए जरूरी विटामिन, मिनरल, एंटीऑक्सीडेंट, और डायटरी फाइबर मिलते हैं, जो पाचन तथा स्वास्थ्य (Digestive health of children) के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
फाइबर से नियमित बाउल मूवमेंट में मदद मिलती है और कब्ज से बचाव होता है। इसलिए अपने बच्चे को फाइबर से भरपूर फूड्स लेने के लिए प्रेरित करें, इनमें फल (सेब, बेरीज़, संतरे आदि), सब्जियां (ब्रॉकली, गाजर, पालक), फलियां (बीन्स, दालें) और साबुत अनाज (ओट्स, ब्राउन राइस, साबुत गेहूं से बनी ब्रेड) आदि शामिल हैं। फाइबर का सेवन धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए ताकि पाचन संबंधी परेशानियों से बचाव हो सके।
सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा दिनभर पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करे (हाइड्रेट रहना जरूरी है)। शरीर में पानी की उपयुक्त मात्रा होने से मल नरम बनता है, जिससे मल त्याग करना आसान होता है और कब्ज से भी बचाव होता है। बच्चे को नियमत रूप से, मील्स के बीच पानी पीने को प्रोत्साहित करें।
इसके अलावा, प्रोसेस्ड और हाइ-फैट फूड्स का सेवन जितना हो सके, कम करें क्योंकि इन्हें पचाना आसान नहीं होता और इनकी वजह से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल परेशानियां भी बढ़ स्कती हैं। प्रोसेस्ड फूड में कृत्रिम एडिटिव्स, प्रीजर्वेटिव्स और अनहैल्दी फैट्स शामिल होते हैं। जिनकी वजह से आंतों में रहने वाले बैक्टीरिया का नैचुरल बैलेंस प्रभावित हो सकता है और यह पाचन संबंधी गड़बड़ी को निमंत्रण देता है।
अपने बच्चे की डायट में प्रोबायोटिक से भरपूर फूड्स को शामिल करें। योगर्ट, केफिर, खमीरयुक्त सब्जियां और कुछ खास प्रकार के चीज़ वगैरह प्रोबोयाटिक्स के अच्छे स्रोत होते हैं। आप अपने डॉक्टर से सलाह कर बच्चे को प्रोबोयाटिक सप्लीमंट भी दे सकते हैं।
बच्चों के मील्स में प्रोबायोटिक फूड्स शामिल करने से उनकी आंतों में रहने वाले उपयोगी बैक्टीरिया को पोषण मिलता है। प्रीबायोटिक्स वास्तव में, ऐसे अपचनीय फाइबर होते हैं जो केलों, प्याज, लहसुन, एस्पेरेगस, साबुत अनाज और फलियों में पाए जाते हैं। इस प्रकार के फूड आइटम्स को अपने बच्चे की डायट में शामिल कर आप उनकी आंतों में मौजूद बैक्टीरिया की ग्रोथ को बढ़ावा देते हैं जिससे पाचन प्रक्रिया बेहतर बनती है।
अपने बच्चे को हर दिन निश्चित समय पर खाने की आदत डालें, जैसे कि रैग्युलर ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर के अलावा हेल्दी स्नैक्स भी शामिल हों। नियमित समय पर मील्स लेने से पाचन में मदद मिलती है और भूख पर भी सही ढंग से नियंत्रण रहता है।
बच्चों से कहें कि वे धीरे-धीरे, चबाकर खाना खाएं ताकि भोजन आसानी से पच सके और साथ ही, ओवरईटिंग से भी बचा जा सके।
हेल्थ और खासतौर से डाइजेस्टिव हेल्थ के लिए जरूरी है नियमित व्यायाम/शारीरिक सक्रियता। इसलिए अपने बच्चे को उम्र के अनुसार उपयुक्त शारीरिक गतिविधियों के लिए प्रेरित करें। जैसे कि उन्हें घर से बाहर खेलने, साइकिल चलाने, तैराकी और खेल-कूद गतिविधियों में भाग लेने को कहें। एक्सरसाइज़ से भी बाउल मूवमेंट बेहतर होती है, सर्कुलेशन में सुधार होता है, तनाव कम होता है और पाचन में मदद मिलती है।
बच्चे तनाव से कारगर तरीके से निपट सकें, इसके लिए भी उन्हें सही तौर-तरीके सिखाएं। स्ट्रैस और एंग्जाइटी की वजह से डाइजेस्टिव हेल्थ पर बुरा असर पड़ सकता है, जिससे आंतों में शिथिलता आती है और यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल परेशानियों को जन्म देती है। अपने बच्चे को रिलैक्सेशन तकनीकें सिखाएं जैसे प्राणायाम, माइंडफुलनैस, योग और इनके अलावा उन्हें ऐसी शौकिया गतिविधियों से जोड़ें जो उन्हें पसंद हों।
अगर आपके बच्चे में किसी प्रकार के डाइजेस्टिव लक्षण दिखायी दें, जैसे पेट में दर्द, पेट फूलना, दस्त, कब्ज या फूड इन्टॉलरेंस आदि तो इस बात पर ध्यान दें कि ऐसा किस वजह से हो रहा है। और यदि ये परेशानियां बनी रहें या अधिक बिगड़ने लगें तो जांच के लिए किसी पिडियाट्रिशियन से सलाह लें।
पाचन संबंधी गड़बड़ियों से बचने के लिए जरूरी है डाइजेस्टिव इंफेक्शन से खुद को बचाना और इसके लिए अपने बच्चे को हाइजिन संबंधी अच्छी आदतों के बारे में बताएं। उन्हें भोजन से पहले, शौच के बाद और बाहर खेलकर लौटने पर नियमित रूप से साबुन और पानी से हाथ धोने को प्रेरित करें।
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