अधिकतर लोग सर्दियों की शुरूआत के साथ ही कभी टांगों तो कभी बाजूओं पर खुजली करते हुए नज़र आते है। स्वाभाविक तौर पर मौसम में बढ़ती शुष्कता त्वचा को रूखा बनता है, जिससे स्किन पर रैशेज और पैचिज़ नज़र आते हैं। त्वचा की ड्राइनेस के साथ साथ एलर्जी और मॉस्किटो बाइट भी खुजली का कारण साबित होते है। इसके चलते अक्सर, जांधों, बाजूओं और टांगों पर खुजली बनी रहती है और स्किन को इंफलामेशन का सामना करना पड़ता है। इस समस्याको दूर करने के लिए क्रीम या दवा की मदद ली जाती है। वे लोग जो सर्दी के मौसम में टांगों पर बढ़ने वाली खुजली की समस्या (itching on legs) से ग्रस्त है, तो उन्हें इन टिप्स का पालन करना चाहिए।
अमेरिकन अकेडमी ऑफ डर्माटोलॉजी एसोसिएशन के अनुसार हाइव्स, अटोपिक डर्माटाइटिस, सोरायसिस, रिंगवॉर्म और रूखी त्वचा टांगों पर खुजली (itching on legs) की समस्या को बढ़ा देता है। मेडिकल जर्नल ऑफ स्वीडन की रिपोर्ट के मुताबिक त्वचा की शुष्कता खुजली का कारण साबित होती है। पर्यावरण में फैले कण, मॉइश्चर की कमी, आनुवंशिक या सूजन संबंधी कारण त्वचा को क्षति पहुंचाते हैं। इसके चलते ट्रांसएपिडर्मल वॉटर लॉस और खुजली से जुड़े नर्वस फाइबर्स की सक्रियता बढ़ जाती है।
खुजली चक्र त्वचा की क्षति को बढ़ाता है, जो टांगों पर खुजली (itching on legs) का कारण साबित होता है। इस बारे में त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ नवराज विर्क से जानते हैं टांगों पर बढ़ने वाली खुजली के कारण ओर उससे राहत पाने के उपाय भी।
सर्दी के मौसम में पैरों की त्वचा शुष्क होने लगती है। ऐसे में गर्म कपड़ों को पहनने से त्वचा में खुजली का कारण साबित होती है। रूखेपन के चलते टांगों की त्वचा चेहरे के समान ही खिंची हुई और खुरदरी दिखने लगती है। मौसम में आने वाला बदलाव और निर्जलीकरण त्वचा के रूखेपन को बए़ा देते हैं।
अधिकतर टांगों पर वैक्सिंग के बाद रेज़र बंप नज़र आने लगते हैं। इनग्रोन हेयर के कारण बढ़ने वाली इस समस्या के चलते त्वचा पर रैशेज और लालिमा बढ़ने लगती है। इसके चलते वैक्सिंग या शेविंग के बाद ये समस्या कई घंटों तक बनी रहती है, जो खुजली का कारण साबित होती है।
एलर्जी के संपर्क में आने से पैरों में खुजली (itching on legs) बढ़ने लगती है। कई बार कपड़ों, प्रदूषण और पोलन एलर्जी टांगों में खुजली का कारण बनने लगती है। त्वचा में मॉइश्चर की कमी खुजली का कारण साबित होती है। इसके अलावा शेविंग क्रीम, लोशन और साबुन भी इस समस्या का कारण साबित हो सकता है।
टांगों में बढ़ने वाली खुजली (itching on legs) मधुमेह का प्रारंभिक संकेत है। शरीर में ग्लूकोज का स्तर नियंत्रित न होने के चलते इस समस्या का सामना करना पड़ता है। आमतौर पर इन्नर थाइज़ में बढ़ती खुजली का सामना करना पड़ता है। शरीर में उच्च ग्लूकोज स्तर सूजन और जलन का कारण साबित होता है।
टांगों में मच्छरों के काटेन से भी खुजली की समस्या बनी रहती है। इससे सूजन बनी रहती है और त्वचा लाल होने लगती है। इससे स्किन पर खरोंच के निशान बनने लगते है, जो स्किन के टैक्सचर को नुकसान पहुंचाता है।
शेविंग के बाद रेज़र बंप से होने वाली खुजली के अलावा बालों का फिर से उगना भी खुजली का कारण साबित होता है। पैरों की शेविंग के लगभग 12 से 48 घंटे तक खुजली की समस्या बनी रहती है।
सोरायसिस एक ऑटोइम्यून कंडीशन है, जिसके कारण त्वचा पर पैच, खुजली और दर्द बढ़ती हैं। ऐसे में रूखापन खुजली को बढ़ा देता है और त्वचा में दरारें दिखने लगती है। इसके चलते त्वचा की हाइजीन का ख्याल रखना आवश्यक है।
स्किन को रूखेपन और खुजली से बचाने के लिए नहाने या शॉवर लेने के बाद नम त्वचा पर मॉइश्चराइज़र अप्लाई करे। इसे चेहरे के अलावा बाजूओं और टांगों पर भी लगाएं। नॉन कॉस्मोजेनिक प्रोडक्टस का इस्तेमाल करें। इसके अलावा ग्लिसरीन, यूरिया या सेरामाइड जैसे तत्वों से भरपूर मॉइश्चराइज़र लगाएं। इससे स्किन में नमी को लॉक करने में मदद मिलती है।
नहाने के बाद और रात को सोने से पहले बाजूओं और टांगों पर नारियल तेल की मसाज बेहद कारगर साबित होती है। इससे त्वचा की शुष्कता को कम करके स्किन के नरिशमेंट में मदद मिलती है। इसकी मदद से स्किन के रूखेपन को कम किया जा सकता है और नेचुरल ऑयल को रीस्टोर करने में मदद मिलती है।
खुजली से बचने के लिए स्किन को हाईड्रेट रखें। इसके लिए त्वचा पर एलोवरा जेल अप्लाई करें। इसमें मौजूद एंटी बैक्टीरियल गुण खुजली और जलन को दूर करते है। इसे रोज़ाना इस्तेमाल करने से स्किन की लेयर्स को नरिश करने में मदद मिलती है।
लंबे समय तक गर्म पानी से नहाने से त्वचा का प्राकृतिक ऑयल कम होने लगता हैं। देर तक नहाने से बचें और ठंड में गर्म की जगह गुनगुने पानी से स्नान करें। साथ ही नहाने के लिए माइल्ड क्लींजर का इस्तेमाल करें।
पानी पीने से त्वचा हाइड्रेटिड रहती है, जिससे रूखेपन से बचा जा सकता है। दिनभर में 8 से 10 मिस पानी पीएं इससे शरीर में मोद विषैले पदार्थों को निष्कासित करने में मदद मिलती है और स्किन की नमी बरकरार रहती हें
ह्यूमिडिफ़ायर का इस्तेमाल करने से हवा में नमी बनी रहती है। इससे स्किन का लचीलापन बना रहता हे और बार बार होने वाली खुजली से बचा जा सकता है। इसके इस्तेमाल से हवा में मौजूद पॉल्यूटेंटस के प्रभाव को भी कम किया जा सकता है।
कपड़ों को माइल्ड डिटर्जेंट में धोने से स्किन केमिकल्स के संपर्क में नहीं आती है और टांगों पर बढ़ने वाली खुजली से बचा जा सकता है। वे लोग जो कपड़े धोने के लिए हार्श साबुन और पाउडर का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें कपड़ों को 2 से 3 बार पानी में डालकर पूरी तरह से साबुन निकलने के बाद ही सुखाना चाहिए।