उम्र का असर हमारे शरीर की बनावट के साथ-साथ पूरे स्वास्थ्य पर पड़ता है। खासतौर पर महिलाओं के शरीर को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। मेटाबॉलिज्म में बदलाव से लेकर हार्मोनल उतार-चढ़ाव से गुजरना पड़ता है। वहीं ये चुनौतियां 40 की उम्र के बाद और भी ज्यादा बढ़ जाती हैं। इन दिनों वजन कम करने के लिए कई तरह की डाइटिंग प्रचलन में हैं, जिनमें से एक इंटरमिटेंट फास्टिंग (benefits of intermittent fasting) भी है।
40 साल की उम्र से ज्यादा की महिलाओं में इंटरमिटेंट फास्टिंग ना सिर्फ उनके वजन को नियंत्रित रखने में मदद करती है, बल्कि हार्मोनल चेंजेस और मेनोपॉज से होने वाली परेशानियों से निपटने में भी मदद करता है। लेकिन, शरीर पर इसका पॉजिटिव असर हो, इसके लिए जरूरी है कि इसे व्यवस्थित और सुरक्षित तरीके से अपनी दिनचर्या में शामिल किया जाए। तो चलिए जानते हैं कि आप कैसे अपनी उम्र के अनुसार इसे फॉलो कर सकती हैं।
डायटीशियन केजल शाह बताती हैं- इंटरमिटेंट फास्टिंग एक खाना खाने का पैटर्न है, जो आपके दिन को खाने और फास्टिंग के समय में बांटता है। इसमें आप कुछ घंटो तक फास्टिंग करते हैं यानी भूखे रहते हैं और फिर खाना खाते हैं और ये साइकिल रोजाना फॉलो करते हैं। फास्टिंग से भूख वाले हार्मोन घटते हैं और मेटाबॉलिज्म स्ट्रॉन्ग होता है। धीरे-धीरे ये आपके वजन को कंट्रोल करने में मदद करता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग (benefits of intermittent fasting) इस पर फोकस करता है कि आपको कब खाना चाहिए और कब फास्ट करना है।
16-8 मेथड, इस मेथड के तहत आप 16 घंटे का उपवास करते हैं और 8 घंटे के अंदर ही खाना खाते हैं और अल्टरनेट डे पर फास्ट करते हैं। हालांकि, जब महिलाओं के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग की बात आती है, तो उम्र सहित कई फेक्टर आपके वजन को प्रभावित करते हैं।
जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारा मेटाबॉलिज्म कमजोर होने लगता है, हार्मोनल बदलाव आते हैं और मसल मास भी कम होने लगता है। केजल शाह कहती हैं- ‘मेटाबॉलिज्म, हार्मोन्स और मसल मास बताते हैं कि फास्टिंग (benefits of intermittent fasting) पर आपका शरीर कैसी प्रतिक्रिया देता है।
महिलाएं युवाओं की तुलना में अलग-अलग परिणाम अनुभव कर सकते हैं। जैसे इंसुलिन सेंसिटिविटी, कोर्टिसोल लेवल और मसल रिकवरी में बदलाव अनुभव करना। हालांकि, 40 साल से ज्यादा की महिलाएं इंटरमिटेंट फास्टिंग फॉलो कर सकती हैं, क्योंकि यह शरीर में असर दिखाता है।’
केजल शाह कहती हैं- ‘अगर इंटरमिटेंट फास्टिंग (benefits of intermittent fasting) सही तरीके से की जाए तो 40 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं के लिए भी यह सुरक्षित और फायदेमंद है। यह वेट मैनेजमेंट को सपोर्ट करता है और मेटाबॉलिक हेल्थ को मजबूत बनाता है। इसके अलावा ये सेलुलर रिपेयर को बढ़ावा देता है। हालांकि, इंटरमिटेंट फास्टिंग अपनी मेडिकल हेल्थ और लाइफस्टाइल को ध्यान में रखते हुए किया जाना जरूरी है। इसलिए इसे शुरू करने से पहले डॉक्टर्स से जरूर कंसल्ट कर लें। खासतौर पर वे लोग, जिन्हें कोई सीरियस स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं।’
क्योंकि, फास्टिंग आपकी खाना खाने की इच्छा को कम कर देती है, इसलिए अपनी हर मील में प्रोटीन, फाइबर, हेल्दी फेट्स और विटामिन जैसे पोषक तत्वों को जरूर शामिल करें। न्यूट्रिशन जर्नल में पब्लिश एक रिसर्च के अुसार, ‘हाई माइक्रोन्यूट्रशिएंट वाला खाना आपको कम भूख महसूस कराता है, भले ही इसमें कैलोरी कम होती है। ये मसल हेल्थ को बनाए रखता है और एनर्जी लेवल को भी मेंटेन रखता है। इसलिए 40 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को अपने खाने में फाइबर, प्रोटीन, हेल्दी फेट्स और विटामिन युक्त पोषक तत्वों को शामिल करना चाहिए।’
इंटरमिटेंट फास्टिंग 40 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं की तब और मदद कर सकता है, जब आप ऐसे खाद्य चुनती हैं जिससे ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रहे। दरअसल, 40 से अधिक की उम्र होने पर इंसुलिन संबंधी समस्या हो सकती है। इसलिए अपने खाने में फल, सब्जियां, साबुत अनाज, हेल्दी फैट और ग्लाइसेमिक खाद्य पदार्थ अपनी डाइट में शामिल करें, ये आपके ब्लड शुगर लेवल को स्टेबल रखता है।
अगर आप इंटरमिटेंट फास्टिंग कर रही हैं तो खुद को हाईड्रेट रखना बेहद जरूर हो जाता है, खासतौर पर जब आपकी उम्र 40 साल से ज्यादा हो। डिहाइड्रेशन से सिरदर्द और क्रेविंक की समस्या हो सकती है। ज्यादा से ज्यादा पानी, हर्बल टी या फिर इलेक्ट्रोलाइट से भरे ड्रिंक, जिनमें शुगर ना हो आपको किसी भी तरह की अनचाही समस्या से दूर रखेंगे। ये आप अपनी फास्टिंग विंडो के दौरान भी ले सकती हैं। ये आपको एनर्जेटिक रखने के साथ-साथ क्रेविंग्स को भी कंट्रोल करता है।
महिलाओं में इंटरमिटेंट फास्टिंग (intermittent fasting) से उनके शरीर में होने वाले हार्मोनल चेंजेस पर भी प्रभाव पड़ सकता है। इससे महिलाओं को पेरिमेनोपॉज या मेनोपॉज का अनुभव हो सकता है, जिसेस भूख वाले हार्मोन ग्रेलिन और लेप्टिन) और स्ट्रेस हार्मोन (कोर्टिसोल) प्रभावित हो सकते हैं। केजल शाह कहती हैं- ज्यादा समय तक भूखे रहने से बचें, नहीं तो ये स्ट्रेस और हार्मोनल डिसबैलेंस का कारण बन सकती है। ऐसे में हफ्ते में सप्ताह में दो या तीन बार इंटरमिटेंट फास्टिंग करें।
मसल रिकवरी रेट डाउन हो जाता है। ऐसे में 40 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं में इंटरमिटेंट फास्टिंग के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं। अगर आप स्ट्रेंथ ट्रेनिंग और हाई इंटेंसिटी वाले वर्काउट कर रही हैं, तो अपनी फास्टिंग विंडो को उसी के हिसाब से रखें और पोस्ट वर्कआउट मील का विशेष ध्यान रखें। इससे आपकी मसल्स को रिपेयर होने में मदद मिलेगी।
40 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं पर इंटरमिटेंट फास्टिंग (intermittent fasting) का क्या प्रभाव होता है, यह उनकी नींद पर भी निर्भर करता है। अगर आप पर्याप्त नींद नहीं लेती हैं तो ये आपके हंगर हार्मोन्स को प्रभावित करते हैं, जिससे फास्टिंग मुश्किल हो जाती है।
साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में पब्लिश एक रिसर्च के अनुसार, जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती जाती है आपकी नींद कम होती जाती है और 40 साल की उम्र में यह सबसे निचले स्तर पर पहुंच जाती है। यही कारण है कि भूख को नियंत्रित करने और इंटरमिटेंट फास्टिंग के परिणाम के लिए 7-9 घंटे की नींद लेना बेहद जरूरी है।
केजल शाह कहती हैं- ’40 साल से अधिक की महिलाएं अगर इंटरमिटेंट फास्टिंग का सही से पालन करती हैं तो असर जल्दी दिखता है। कई बार फास्टिंग का समय होने के बाद अधिक खाना खाने का कारण बन जाती है, इसलिए सुनिश्चित करें की आप ओवर ईटिंग ना करें और निर्धारित मात्रा में ही भोजन लें। ईटिंग आवर शुरू होने पर प्रोटीन, फाइबर और हेल्दी फैट वाला संतुलित आहार ही लें। इससे भूख भी नियंत्रित होती है। ‘
शरीर किसी भी तरह के चेंज पर कैसी प्रतिक्रिया देता है, यह आपकी उम्र पर काफी हद तक निर्भर करता है। 40 साल से अधिक की महिलाओं में इंटरमिटेंट फास्टिंग के चलते मूड स्विंग, सिर चकराने और थकान की समस्या हो सकती है। अपने शरीर में होने वाले चेंजेस का ध्यान रखें और अगर जरूरत महसूस होती है तो अपनी फास्टिंग शेड्यूल को थोड़ा कम कर सकती हैं या फिर कमजोरी महसूस होने पर कुछ हल्का खा सकती हैं।
इस मेथड में 12 घंटे भूखे रहती हैं और 12 घंटे के अंदर खाना खाती हैं। ये इंटरमिटेंट फास्टिंग का सबसे आसान मेथड है और बिगिनर्स के लिए हार्मोनल असुंतलन से परेशान लोगों के लिए बेस्ट है। उदाहरण के तौर पर आप- सुबह के 8 बजे से लेकर रात के 8 बजे के बीच भोजन करें और इसके बाद सुबह तक के लिए फास्टिंग करें।
इस मेथड में आपको 14 घंटे फास्ट करना होता है और 10 घंटे के अंदर खाना होता है। उदाहरण के लिए सुबह 10 से रात 8 बजे के बीच खाना खाईये और इसके बाद फास्ट करिए।
इस मेथड में आपको 16 घंटे फास्टिंग करना होता है और 8 घंटे के अंदर खाना खाने का समय होता है। उदाहरण के लिए – सुबह 10 बजे से शाम के 6 बजे के बीच आप खा सकती हैं और इसके बाद के समय में उपवास रखना होता है। ये उनके लिए बेस्ट है, जिन्हें फास्टिंग की आदत है।
यह मेथड 40 से अधिक उम्र की महिलाओं के लिए सबसे अच्छी है। इस विधि में, आपको हफ्ते के कुछ दिन 12-16 घंटे फास्ट करती हैं। ऐसी महिलाएं, जो हार्मोनल उतार-चढ़ाव से गुजर रही हैं, उनके लिए ये इंटरमिटेंट फास्टिंग का सबसे बेहतरीन मेथड है। इसमें आप रोजाना फास्ट करने के बजाय हफ्ते में 2-3 दिन फास्ट कर सकती हैं।
इस मेथड में आपको हफ्ते के 5 दिन नॉर्मल रूटीन फॉलो करना है और 2 दिन फास्टिंग करना है। इन दो दिनों के लिए आपको अपनी कैलोरी को 500 से 600 के अंदर नियंत्रित रखना है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग (intermittent fasting) से ब्लड शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है। जो लोग डायबिटीज या लो ब्लड प्रेशर की समस्या से जूझ रहे हैं, उन्हें इंटरमिटेंट फास्टिंग से बचना चाहिए।
ऐसे लोग जिन्हें फास्टिंग के चलते स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं, उन्हें इससे बचना चाहिए।
ऐसे महिलाएं जिन्हें तनाव की समस्या है, उन्हें इंटरमिटेंट फास्टिंग से बचना चाहिए, क्योंकि इससे स्ट्रेस हार्मोन के बढ़ने का खतरा रहता है, जिससे तनाव की समस्या और बढ़ सकती है।
ऐसी महिलाएं, जिन्हें कुछ विशिष्ट दवाओं के लिए समय-समय पर भोजन की आवश्यक्ता होती है, उन्हें इंटरमिटेंट फास्टिंग नहीं करना चाहिए।
अगर आपका वजन कम है, तो इंटरमिटेंट फास्टिंग से दूर रहें। इससे आपका वजन और कम हो सकता है और हालत और भी बदतर हो सकती है।
प्रेग्नेंसी के दौरान पोषण का ध्यान रखना अत्यधिक आवश्यक होता है। अगर आप प्रेग्नेंट हैं या बच्चे को ब्रेस्टफीड करा रही हैं तो इंटरमिटेंट फास्टिंग से दूर रहें।
40 से अधिक उम्र वाली महिलाओं के लिए वजन कम करने में इंटरमिटेंट फास्टिंग अत्यधिक प्रभावी हो सकता है, लेकिन इसे अपनी मेडिकल कंडीशन और व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार ही करना बेहतर है। सही तरीका चुनना, संतुलित पोषण को प्राथमिकता देना और शरीर के संकेतों को समझने से ही इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदे होंगे।
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