अच्छा स्पीकर बनना है, तो इन 8 चीजों की परवाह करना छोड़ दें, जानिए कैसे आएगा निखार
अंदर क्या है
- क्यों पब्लिक स्पीकिंग से डरते हैं कुछ लोग
- कैसे बनें अच्छे वक्ता?
- अच्छा वक्ता बनने के लिए क्या न करें
दुनिया भर में 77 प्रतिशत आबादी पब्लिक स्पीकिंग से डरती है। साइंस डाइरेक्ट में छपी एक रिपोर्ट ऐसा कहती है। उन्हें लगता है कि शायद वो कुछ गड़बड़ कर देंगे। इसके पीछे अलग अलग दिक्कतें हो सकती हैं लेकिन इस डर को दूर करना इतना भी मुश्किल नहीं है। छोटी छोटी जतनों के सहारे हम इस मुश्किल से पार पा सकते हैं और एक बेहतरीन वक्ता बन सकते हैं। आज हम आपको ऐसी ही 10 आदतों के बारे में बताने वाले हैं जिन्हें छोड़कर आप एक कंफिडेन्ट वक्ता (how to become good speaker) बन सकते हैं।
डर जिनकी वजह से लोग पब्लिक स्पीकिंग से डरते हैं लोग
1. गलतियां करने का डर
पब्लिक स्पीकिंग का सबसे आम डर यह है कि हमसे बोलने में कोई ग़लती ना हो जाए। हम किसी शब्द का ग़लत उच्चारण ना कर दें। यही डर हममे घबराहट भर देते है और हम पब्लिक स्पीकिंग से डरने लगते हैं।
2.जज होने का डर
कई लोग पब्लिक स्पीकिंग के दौरान यह सोचते हैं कि लोग उनको जज करेंगे या आलोचना करेंगे। यह डर तब और बढ़ता है जब हमें लगता है कि अगर हमारा प्रेजेंटेशन असरदार नहीं रहा तो दूसरों की नजर में हमारी इज्जत कमजोर हो जाएगी।
3.आवाज या फिजिकल अपीयरेन्स
यह अक्सर देखा गया है कि बहुत सारे लोग अपनी आवाज और अपने शरीर की वजह से कमतर महसूस करते हैं। उदाहरण के लिए कोई अपने शरीर की बनावट की वजह से झिझकता है तो कोई अपनी आवाज की वजह से। उन्हें लगता है कि लोग उनके कंटेन्ट से ज्यादा उनके अपीयरेन्स को जज करेंगे। इसलिए उन्हें पब्लिक स्पीकिंग से डर लगता है।
4.सवालों का डर
पब्लिक स्पीकिंग में अक्सर सवाल-जवाब का सेशन होता है जिससे बहुत से लोग घबराते हैं। उन्हें डर होता है कि अगर कोई सवाल पूछ लिया गया तो वे तुरंत जवाब नही पाएंगे। इस डर की वजह से, वे बोलने से कतराते हैं।
5. टेक्निकल गड़बड़ियों का डर
आम तौर पर पब्लिक स्पीकिंग माइक और प्रोजेक्टर जैसी तकनीकी चीजों के सहारे हो रही होती है। ऐसे लोग जिन्हे पब्लिक में बोलने का डर होता है, वे इन चीजों के ठीक से काम ना करने के डर से भी घबरा सकते हैं और इस वजह से वे बोलने से कतराने लगते हैं।
छोड़ें ये आदतें और बनें अच्छे वक्ता (how to become good speaker)
1.खुद पर संदेह मत करिए
अच्छा बोलने के लिए सबसे पहले हमें ये आदत छोड़नी (how to become good speaker) होगी। लोग अक्सर सेल्फ डाउट की वजह से पब्लिक स्पीकिंग से झिझकते हैं। एलआईडी पब्लिशिंग की एक रिपोर्ट में डॉक्टर सबीरूल इस्लाम कहते हैं कि बहुत सारे केसेस में सेल्फ डाउट आपके लिए बेहतर साबित होती है क्योंकि इसी की वजह से आप काम को बेहतर करने की कोशिश करते हैं। लेकिन पब्लिक स्पीकिंग के केस में ये सही नहीं है। ऐसे केस में सेल्फ डाउट केवल तैयारी तक नहीं रुकता, आपके साथ मंच तक जाता है। इसी की वजह से आप बोलने में झिझकने लगते हैं और फिर मामला गड़बड़ हो जाता है।
2. बहुत ज्यादा तैयारी मत करें
बहुत ज्यादा तैयारी भी आपके आत्मविश्वास को घटा सकती है। ऐसे केस में बार बार आपको लगेगा कि कुछ छूट तो नहीं रहा। आप तैयार किया हुआ याद करने की कोशिश करेंगे और बोलना भूल जाएंगे या बोलने में लड़खड़ाने लगेंगे।
इसके अलावा अगर आप बार-बार अपने भाषण या प्रस्तुति को परफेक्ट करने में लगे रहते हैं, तो आप अपने आप को मानसिक रूप से थका सकते हैं। इसके बजाय आप मेन पॉइंटर्स तैयार करें और जब बोलना हो तो उसे अपने शब्दों में बोलें।
3.ज्यादा तेज न बोलें
आत्मविश्वास की कमी की वजह से लोग अक्सर अपने भाषण को कम समय में समेटने की कोशिश करने लगते हैं। यह आदत ठीक नहीं। हमेशा ध्यान रखें कि आप सुनने वालों को अपनी बात समझाने के लिए कुछ बोल रहे हैं। ऐसे में तेज बोलना आपके पूरी तैयारी को बेकार कर सकता है। पब्लिक स्पीकिंग (how to become good speaker) में भी वैसे ही बोलें जैसे आप अपने किसी मित्र या करीबी से बात करते हैं।
4. नजरें न चुराएं
जब आप किसी के साथ बातचीत कर रहे होते हैं तो यह बहुत जरूरी है कि आप उनकी आँखों में देखे। अगर आप सुनने वालों से नजरें नहीं मिलाते हैं, इसका मतलब ये है कि आपमें आत्मविश्वास की कमी है। कंफिडेंट वक्ता हमेशा अपने श्रोताओं से संपर्क बनाए रखता है और उनकी आँखों में देखता है। यह न केवल आपके आत्मविश्वास को दिखाता है, बल्कि श्रोताओं से बेहतर जुड़ने का एक तरीका भी है।
5. ग़लतियां न छिपाएं
ऐसा मत मानें और ऐसा कभी हो नहीं सकता कि किसी वक्ता से कभी कोई ग़लती ना हो। बड़े बड़े वक्ताओं से भी कुछ ग़लतियां हो ही जाती हैं। अगर आपसे भी बोलते वक्त कोई ग़लती होती है तो उसे छिपाने की कोशिश मत करें। उसे स्वीकार करें और आगे बोलें। ग़लती छिपाने की कोशिश में आपका बोलना प्रभावित हो सकता है और आपका पूरा भाषण भटक सकता है।
6.बॉडी लैंग्वेज का ध्यान न रखना
ये बहुत जरूरी है कि आप जैसे या जो बोल रहे हैं उसी अनुसार आपकी बॉडी लैंग्वेज का ख्याल रखें। अगर आप बोलने के दौरान घबराहट में अपनी आँखों को चुराते हैं या बार-बार अपनी घड़ी देखते हैं, तो आपकी ये सब हरकतें आपको सुनने वालों को प्रभावित करती हैं। सही ढंग से खड़े होएं और अपनी बातों के अनुसार ही अपने हाथों की हरकत करें।
7. खुश करने की कोशिश न करें
बोलने के दौरान हम लोग अक्सर सुनने वालों के मन की बात कहने की कोशिश करते हैं ताकि वे खुश हो सकें। हमें लगता है कि ये अच्छे वक्ता बनने के गुण (how to become good speaker) हैं। लेकिन इससे कई बार हमारी मूल बात जिसे बोलने की तैयारी हमने की होती है, वही गायब हो जाती है। इस वजह से हमारा भाषण कमजोर पड़ जाते हैं। इसलिए हमें दूसरों को खुश करने की आदत छोड़नी होगी।
8.दूसरों से तुलना न करें
अंतिम और जरूरी आदत जो आपको बेहतरीन वक्ता (how to become good speaker) बनने के लिए छोड़नी होगी, वो है – दूसरों से तुलना। ये मत सोचिए कि आपसे पहले या आपके बाद कौन बोलेगा और क्या बोलेगा। आप क्या बोलेंगे, केवल इस बारे में आपको सोचना है। यदि आप हमेशा अपनी तुलना दूसरों से करते हैं तो यह आपके आत्मविश्वास को घटा सकता है। हर व्यक्ति का अपना एक अलग तरीका होता है। खुद की तुलना दूसरों से करने से आपको यह महसूस हो सकता है कि आप उनके जितना अच्छा नहीं बोल सकते। आपको हमेशा खुद को याद दिलाना होगा कि आप भी अच्छा बोलते हैं।
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