वायुमंडल में मौजूद परागकण, धूल कण या किसी खास केमिकल के कारण हमें एलर्जी हो जाती है। इससे हमें बार-बार सर्दी-जुकाम होने लगता है। इसके कारण कान, आंख तथा गले में भी प्रॉब्लम होने लगती है। कभी-कभी मूड स्विंग के कारण भी शरीर एवं मस्तिष्क में भारीपन-सा लगता है। सुस्ती-सी छायी रहती है। हम सोचते हैं कि ऐसा क्या किया जाए कि चुस्ती और ताजगी का एहसास हो। सर्दी-जुकाम जड़ से खत्म हो जाए और मूड भी फ्रेश हो जाए। हमारी ज्यादातर मुश्किलें लाइफस्टाइल के कारण होती हैं और उसका उपचार योगासन में मौजूद है।
नेति क्रिया है समाधान
‘योगासन करें और स्वस्थ रहें’ पुस्तक के लेखक और योगाचार्य सुरेश सिन्हा के अनुसार, शरीर को टॉक्सिंस एवं अशुद्धियों से मुक्त करने के लिए षटकर्म यानी छह क्रियाएं की जाती हैं। ये छह क्रियाएं मिलकर हठयोग कहलाती हैं। इसमें से एक क्रिया है नेति। नेति क्रिया नासिका प्रदेश के शुद्धिकरण की विधि है। इससे सांस संबंधी कई समस्याओं का समाधान हो जाता है। इस क्रिया को सही तरीके से करनो पर बहुत अधिक लाभ मिलते हैं। आइए जानते हैं नेति क्रिया कैसे (How to do Neti kriya) की जाती है?
इसके लिए सबसे पहले नेति पॉट या नेति लोटा लें। यह सुपर मार्केट में आसानी से मिल जाता है।
पॉट में गुनगुना पानी भरें। पानी इतना ही गर्म हो कि नाक की अंदरूनी नली सह सके।
आधी लीटर पानी में 1 टीस्पून नमक मिलाएं।
नमक के घुल जाने के बाद लोट के टोंटी को बायीं नाक के अंदर डालें। सिर धीरे-धीरे दायीं ओर झुकाएं।
लोटे को इस प्रकार ऊपर उठाएं कि जल का प्रवाह बायें नथुने में ही हो।
मुंह खुला रखें ताकि सांस ले सकें।
पानी बायें नथुने से अंदर जाएगा और दायें नथुने से बाहर आ जाएगा।
लोटे को सही तरीके से उठाने एवं सिर को सही तरह से झुकाने पर यह क्रिया आराम से हो जाती है।
बीस सेकेंड तक जल का प्रवाह होने के बाद लोटा हटा लें।
तेज सांस लेकर और छोड़कर नाक को साफ कर लें।
यही क्रिया दाहिनी तरफ के नाक से करें।
यह क्रिया दोनों नथुने की तरफ से तीन-तीन बार करें।
अब दोनों पैरों को एक दूसरे के नजदीक रख कर दोनों हाथों को पीछे बांध लें।
कमर से सामने की ओर झुकें, सिर ऊपर उठाए रखें। तीस सेकंड तक इसी स्थिति में रहें।
इससे नाक के अंदर का पानी बाहर आ जाएगा।
झुके हुए नाक से पांच बार खूब तेज गति के साथ सांस लें और छोड़ें।
अब सीधे खड़े हो जाएं।
एक नथुना बंद कर लें और दूसरे से तेज गति से तीस बार सांस लें और छोड़ें। सांस छोड़ने पर बल डाले जिससे नाक से नमी बाहर आ जाए।
दूसरा नथुना बंद करके पहले नथुने सेे यही क्रिया करें।
अगर पूरा पानी बाहर नहीं आ पाया है, तो पूरा पानी बाहर आने तक यह क्रिया करें।
सुरेश सिन्हा के अनुसार, इसे रोज सुबह किया जा सकता है। सर्दी-जुकाम होने पर तो जरूर करना चाहिए। जल नेति नाक की समस्या के साथ-साथ जुकाम और कफ को दूर करने में भी सहायक है।
कान, आंख, गले की बीमारी को दूर करने में भी यह मददगार है। बहुत अधिक सिर दर्द, तनाव, बहुत अधिक क्रोध जैसी समस्याओं पर भी यह अच्छा प्रभाव डालता है। सुस्ती दूर होगी और शरीर और मस्तिष्क में हल्कापन महसूस होगा।
यदि आपको नाक से खून आने की बीमारी है, तो यह क्रिया न करें।
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