अक्सर जानकारी के अभाव में हम कुछ चीज़ों और बातों को गलत समझ लेते हैं। हम उस चीज़ से जीवन भर डरते रहते हैं, जबकि वह चीज़ उतनी खौफनाक नहीं होती है। यह बात एचआईवी और एड्स पर फिट बैठती है। एचआईवी होने के बावजूद व्यक्ति लंबे समय तक जी पाता है। जबकि एड्स एचआईवी की अंतिम स्टेज है। एड्स के बारे में बहुत सारे टैबूज को तोड़ने और जागरूकता फैलाने के लिए प्रति वर्ष 1 दिसंबर को वर्ल्ड एड्स डे (World AIDS Day) मनाया जाता है। आज हेल्थ शॉट्स के इस लेख में हम बताने जा रहे हैं कि कैसे एचआईवी पॉजिटिव होने के बाद भी आप एक हेल्दी लाइफ (how to live a healthy life with HIV) जी सकते हैं।
एड्स के बारे में अब भी लोग बहुत सारी भ्रामक अवधारणाओं के शिकार हैं। आधी-अधूरी जानकारी के कारण स्थिति और भी ज्यादा भयावह हो जाती है। इसलिए इस विश्व एड्स दिवस हम आपके उन सभी सवालों के जवाब दे रहे हैं, जिन्हें पूछने में अब भी आपको दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
एचआईवी से पीड़ित होने की आशंका पर किससे बात की जाए, दवाएं कहां से ली जाएं। साथ ही डाइट क्या होनी चाहिए, किस तरह के उन्हें व्यायाम करना चाहिए, इन सभी बातों की जानकारी जरूरी है। ये जानने के लिए हमने बात की पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम के डॉ संजय गुप्ता (इंटरनल मेडिसिन) और नॉएडा इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज (NIIMS) के एम डी मेडिसिन डॉ. शैलेन्द्र कुमार मंझवर से। आइये सबसे पहले जानते हैं एचआईवी और एड्स के बीच के फर्क को।
डॉ. शैलेन्द्र कुमार कहते हैं, ‘एचआईवी (Human immunodeficiency virus) एक ऐसा वायरस है, जो सीधे कोशिकाओं पर हमला करता है। ऐसी कोशिकाएं जो शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करती हैं। इससे व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और वह कई तरह की बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है।’
डॉ संजय बताते हैं, ‘आमतौर पर एचआईवी असुरक्षित यौन संबंध, बिना कंडोम सेक्स और इंजेक्शन या दवा के उपकरण शेयर करने से फैलता है। अगर एक गर्भवती मां एड्स से पीड़ित है, तो यह गर्भावस्था के दौरान और यहां तक कि स्तनपान के दौरान बच्चे को भी बीमारी दे सकती है।यदि इलाज नहीं कराया जाता है, तो एचआईवी ही एड्स (Acquired Immunodeficiency Syndrome) का रूप ले सकता है।
मानव शरीर कभी-भी एचआईवी से छुटकारा नहीं पा सकता है। इसका कोई प्रभावी इलाज अब तक मौजूद नहीं है। यदि एक बार किसी व्यक्ति को एचआईवी हो जाता है, तो उसे सिर्फ अपनी इम्यूनिटी स्ट्रांग करने पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि यह जीवन भर के लिए रहता है।’
एड्स (AIDS) एचआईवी संक्रमण का अंतिम चरण है। यह तब होता है जब वायरस के कारण शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली बुरी तरह प्रभावित हो जाती है। एचआईवी वाले अधिकांश लोग एड्स विकसित नहीं करते हैं, क्योंकि निर्धारित एचआईवी दवा लेने से रोग की प्रगति बंद हो जाती है।
व्यक्ति की सीडी 4 कोशिकाएं (cluster of differentiation cell) इम्यून सिस्टम से जुड़ी होती हैं। जब सीडी 4 कोशिकाएं 200 कोशिकाएं प्रति क्यूबिक एमएम से घट जाती हैं, तो एड्स हो जाता है। स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली वाले किसी व्यक्ति में सीडी 4 की संख्या 500 और 1,600 कोशिकाओं/मिमी होती है।
डॉ. शैलेन्द्र कुमार कहते हैं, एचआईवी पॉजिटिव होने पर सबसे पहले परीक्षण कराना चाहिए। एड्स परीक्षण की सुविधा ज्यादातर अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या डॉक्टर क्लिनिक में उपलब्ध होती है। किसी फार्मेसी से या ऑनलाइन सेल्फ-टेस्ट किट खरीद कर खुद भी इसका परीक्षण किया जा सकता है। डॉक्टर की देखरेख में जब एचआईवी की दवा लेनी शुरू की जाती है, तो रेगुलर इंटरवल पर डॉक्टर से परामर्श और चेकअप कराना जरूरी है।’
डॉ. शैलेन्द्र कुमार कहते हैं, परीक्षण के बाद यदि आप एचआईवी पॉजिटिव पाए जाते हैं, तो सबसे जरूरी है कि तुरंत दवा शुरू करें। दवा भी ख़ास अस्पतालों में ही उपलब्ध होती है और बिना डॉक्टर परमिशन लेटर के दवा भी नहीं मिल पाती है। इसलिए समय पर दवा उपलब्ध करा लेनी चाहिए। दवा के अभाव में एचआईवी पॉजिटिव ही एड्स के मरीज हो जाते हैं।’
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कस्टमाइज़ करेंडॉ. शैलेन्द्र कुमार कहते हैं, एचआईवी से पीड़ित लोगों का इम्यून सिस्टम ही प्रभावित होता है। इसलिए उन्हें पोषक तत्वों से भरपूर भोजन लेना चाहिए। हरी सब्जियां, मौसमी फल, पत्तेदार सब्जियां, साबुत अनाज, प्रोटीन से भरपूर डेयरी प्रोडक्ट और दालों को अपने आहार में शामिल करना चाहिए।
एचआईवी पॉजिटिव लोगों को अपना वजन कंट्रोल रखना चाहिए, इसलिए वे लो सैचुरेटेड फ़ूड लें। सोडियम और एक्स्ट्रा शुगर वाले खाद्य पदार्थ संतुलित मात्रा में चुनें। कच्चे अंडे, मांस और समुद्री भोजन खाने से उन्हें बचना चाहिए। साथ ही साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखें।’
एचआईवी पॉजिटिव लोगों को जरूर व्यायाम करना चाहिए। नियमित शारीरिक गतिविधि और व्यायाम को उन्हें अपनी लाइफस्टाइल का हिस्सा बनाना चाहिए। वे अपने रूटीन में वॉकिंग (Walking) को जरूर शामिल करें। साथ ही डांसिंग, साइकिलिंग और स्विमिंग को भी शामिल कर सकते हैं। ये सभी व्यायाम हृदय और फेफड़ों को स्वस्थ रखते हैं।
डॉ. संजय बताते हैं, ‘इन दिनों कई अभियान चल रहे हैं जो समाज में सही संदेश फैलाने का काम कर रहे हैं।अब ऐसे केस की संख्या में काफी कमी देखी जा रही है। इस साल विश्व एड्स दिवस की थीम ‘वैश्विक एकजुटता, साझा जिम्मेदारी’ है। आइए हम समाज में इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाएं।”
डॉ. संजय बताते हैं, ‘ एक रिसर्च के अनुसार, असुरक्षित यौन संबंध के कारण हमारे देश में पिछले 10 सालों में एचआईवी के 17 लाख से ज्यादा केस सामने आए हैं। लोग अभी भी बर्थ कंट्रोल मेथड्स का इस्तेमाल नहीं करते हैं। सामाजिक कलंक के कारण इलाज नहीं ढूढ़ने पर कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों में यह बीमारी जल्दी फैलती है। यह जरूरी नहीं है कि एचआईवी पॉजिटिव होने के बाद आपकी सेक्स लाइफ पूरी तरह खत्म हो जाए। इसके बाद भी लोग सेक्स का आनंद ले सकते हैं, बशर्ते कि वे कुछ बातों का ध्यान रखें।’
यदि आपका पार्टनर एचआईवी पॉजिटिव नहीं है, तो डॉक्टर के निर्देशन में एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी ले सकती हैं (Antiretroviral therapy)। यह वायरस को इम्यून सिस्टम को डैमेज करने से रोक देता है। यह वायरस के अमाउंट को घटा देता है। यह थेरेपी लेने के 6 महीने बाद से काम करना शुरू करता है। साथ ही हर 3 महीने पर अपना ब्लड टेस्ट जरूर कराएं।
महिला हो या पुरुष, यदि दोनों कंडोम का प्रयोग करते हैं, तो एचआईवी होने की संभावना बहुत कम हो जाती है।
सेक्स करने के तरीके से भी संक्रमण फैलने का खतरा निर्भर करता है। एनल सेक्स से एचआईवी फैलने का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। ओरल सेक्स से एचआईवी संचरण बहुत कम होता है या कोई जोखिम नहीं होता है। पेनिस या या योनि के अंदर कंडोम रखने से यह जोखिम और भी कम हो जाता है।
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