हेल्दी ग्रोथ के लिए जरूरी है बच्चों का स्क्रीन टाइम कंट्रोल करना, एक्सपर्ट से जानिए इसके लिए 6 टिप्स

बच्चों के स्क्रीन टाइम को लिमिट करना बहुत ज़रूरी है। यह उनकी फिजिकल और मेंटल दोनों हेल्थ के लिए काफी नुकसानदायक साबित हो सकता है। जानिए आप कैसे कर सकती हैं अपने बच्चों के स्क्रीन टाइम को कंट्रोल।
screen time ko kis tarah karein manage
सोने के पहले बच्चों को नाइट सूट पहनाएं, जिससे बच्चा कंफर्टेबल महसूस करता है। चित्र : शटरस्टॉक
Published On: 28 Nov 2022, 01:09 pm IST
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कोविड – 19 पैनडेमिक (covid – 19 pandemic) के बाद से बड़े हो या बच्चे सबका स्क्रीन टाइम (screen time) काफी बढ़ गया है, जो कि स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है। इतना ही नहीं, यह किसी भी शारीरिक और मानसिक सेहत को खराब कर सकता है। स्क्रीन पर ज़्यादा समय बिताना आपकी मजबूरी हो सकती है, लेकिन आपके बच्चों के लिए ये आदत काफी भरी पड़ सकती है क्योंकि वे खेलना कूदना भूल जाएंगे। इसलिए, बच्चों के स्क्रीन टाइम को लिमिट (limiting screen time) करना बहुत ज़रूरी है।

तो क्या आपका बच्चा भी बाहर खेलने खूदने और अपने दोस्तों से मिलने के बजाय बस सोशल मीडिया और स्क्रीन की दुनिया में खोकर रह गया है? यदि हां… तो यह उसकी फिजिकल और मेंटल दोनों हेल्थ के लिए काफी नुकसानदायक (harmful) साबित हो सकता है।

ऐसे में यदि आप भी अपने बच्चे के स्क्रीन टाइम से परेशान हैं और आपको समझ नहीं आ रहा है कि इसे कैसे लिमिट किया जाए, तो आपकी इसी समस्या को हल किया है पेरेंटिंग एक्सपर्ट इशिना सदाना नें। उन्होनें इस बारे में पोस्ट करते हुये एक पोस्ट भी साझा किया है।

यहां देखें उनका वीडियो

 

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एक्सपर्ट की मदद से जानिए आप कैसे कर सकती हैं अपने बच्चों के स्क्रीन टाइम को कंट्रोल

1. डिसाइड करें कि कितना स्क्रीन टाइम सही है

एक्सपर्ट इशिना के अनुसार सबसे पहले यह आपको तय करना होगा कि आपके बच्चे के लिए कितना समय फोन या लैपटॉप चलाना सही है। जब पहले यह निर्धारित कर लेते हैं तो आपके लिए आधा काम आसान हो जाता है। इसी तरह से आप बच्चों को फोन चलाने के लिए भी दे सकती हैं जिससे वे ज़िद न करें और आपके मन का काम भी हो जाए।

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फोन को हाथ भी न लगाने देना थोड़ा गलत होगा क्योंकि इससे बच्चे को और स्क्रीन देखने का मन करेगा। यह बच्चों को अग्रेसिव (aggressive) भी बना सकता है।

2. बच्चों को प्यार से समझाएं

जब फोन की बात आती है तो बच्चे जिद्दी हो सकते और आपसे लड़ सकते हैं। वे आपके सामने रो भी सकते हैं और चिल्ला भी सकते हैं, लेकिन आपको अपना धैर्य नहीं खोना है और अपनी बात पर अड़े रहना है। इस तरह से बच्चे भी आपके रवैये को देख कर शांत हो जाएंगे और आपकी बात मान लेंगे।

3. स्क्रीन टाइम को नेगेटिव न बनाएं

इशिना के अनुसार यदि आप स्क्रीन टाइम को लेकर बच्चों को बहुत डाटेंगे तो वे आपकी बात कभी नहीं सुनेंगे। बल्कि फोन को लेकर और ज़्यादा ओब्सेस्ड हो जाएंगे और आपकी बात नहीं मानेंगे। आप फोन को बच्चों से दूर करने की कोशिश करेंगे और इसे बिल्कुल नेगेटिव बना देंगे तो बच्चा इसके पीछे और भागेगा।

ये टिप्स भी कर सकते हैं आपकी मदद

अपने बच्चों के साथ समय निर्धारित करें, और स्क्रीन टाइम कम करने के बारे में गोल सेट करें। इसके बाद बच्चे को रिवार्ड भी करें।

यदि आपके बच्चे टीवी देखने सहित स्क्रीन पर भी बहुत अधिक समय बिता रहे हैं, तो इसका भी अलग गोल सेट करें। उनके स्क्रीन टाइम को आधा आधा करके डिवाइड कर दें।

स्कूल या काम के बाद, हर दिन बच्चों के साथ आमने-सामने बात करने में समय व्यतीत करें और उन पर अपना पूरा ध्यान दें।

घर में एक फोन-फ्री जोन बनाएं, जैसे खाने की टेबल आदि।

खुद भी उनके सामने फोन न चलाएं, नहीं तो बच्चों पर अच्छा असर नहीं पड़ेगा।

अपने बच्चों के साथ खेलें और उनके साथ बाहर जाएं। इससे आपको उनके साथ समय बिताने का वक़्त मिलेगा।

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लेखक के बारे में
ऐश्‍वर्या कुलश्रेष्‍ठ
ऐश्‍वर्या कुलश्रेष्‍ठ

प्रकृति में गंभीर और ख्‍यालों में आज़ाद। किताबें पढ़ने और कविता लिखने की शौकीन हूं और जीवन के प्रति सकारात्‍मक दृष्टिकोण रखती हूं।

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