पेट और ब्रेन दोनों का तनाव दूर करता है त्रिफला चूर्ण, जानिए इसे तैयार करने का आसान तरीका

कब्ज दूर करने के अलावा, आयुर्वेद में कई रोगों को दूर करने के लिए सबसे अधिक त्रिफला चूर्ण का प्रयोग होता है। इसे घर पर बनाना भी आसान है। आइये जानते हैं त्रिफला के फायदों और इसे तैयार करने की विधि को।
trphala churn ko ghr par taiyaar kren
त्रिफला भोजन के उचित पाचन और अवशोषण को बढ़ावा दे सकता है। सीरम कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर सकता है। चित्र : एडोब स्टॉक
स्मिता सिंह Published: 14 Dec 2022, 08:00 am IST
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आयुर्वेद में सबसे अधिक जिस हर्ब का प्रयोग होता है, वह है त्रिफला चूर्ण। यह कई प्रकार की जड़ी-बूटियों से मिल कर तैयार होता है। यह कई प्रकार के रोगों को दूर कर शरीर को स्वस्थ बनाता है। इसलिए आयुर्वेद में सबसे अधिक त्रिफला चूर्ण का ही प्रयोग होता है। इस चूर्ण पर सबसे अधिक रिसर्च हुए हैं। इसे घर पर भी बनाया जा सकता है। इस आलेख में जानते हैं त्रिफला के फायदों और घर पर तैयार करने की विधि (how to make triphala churna) के बारे में।

त्रिफला के बारे में क्या कहती हैं वैज्ञानिक रिसर्च(research on triphala) 

वर्ष 2017 में केलिफोर्निया के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर रिसर्च एंड ट्रेनिंग इन इंटीग्रेटिव हेल्थ के क्रिस्टीन तारा पीटरसन और आयुर्वेद और योग अनुसंधान विभाग(चोपड़ा फाउंडेशन), कार्ल्सबैड के दीपक चोपड़ा ने त्रिफला चूर्ण के चिकित्सीय उपयोग पर अदध्ययन किया। इसके निष्कर्षों को जर्नल ऑफ़ अल्टरनेटिव एंड कॉम्प्लीमेंट्री मेडिसिन जर्नल और पबमेड सेंट्रल में भी स्थान दिया गया।

त्रिफला चूर्ण के तत्व (Triphala nutrients)

त्रिफला चूर्ण को पॉली हर्बल (Poly Herbal) भी कहा जाता है। इसमें आंवला ( Emblica Officinalis), बहेड़ा (Terminalia bellirica) और हरितकी (Terminalia chebula) को शामिल किया जाता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, मिनरल्स, सोडियम, आहार फाइबर के अलावा शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट गैलिक एसिड, चेबुलजिक एसिड और चेबुलिनिक एसिड भी पाए जाते हैं।

बायोएक्टिव फ्लेवोनोइड्स जैसे कि क्वेरसेटिन और ल्यूटोलिन, सैपोनिन्स, एंथ्राक्विनोन, अमीनो एसिड, फैटी एसिड भी पाए जाते हैं। इसमें एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, गैस्ट्रिक हाइपरएसिडिटी में कमी, एंटीपायरेटिक, एनाल्जेसिक, एंटी बैक्टीरियल, एंटीमुटाजेनिक गुण पाए जाते हैं। इसमें हाइपोग्लाइसेमिक, एंटीकैंसर, हेपेटोप्रोटेक्टिव, केमोप्रोटेक्टिव, रेडियोप्रोटेक्टिव भी पाए जाते हैं।

अब जानिए कितना फायदेमंद है त्रिफला चूर्ण

1 गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं में देता है राहत(triphala for gastrointestinal problems) 

त्रिफला भोजन के उचित पाचन और अवशोषण को भी बढ़ावा दे सकता है। सीरम कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर सकता है। परिसंचरण में सुधार कर सकता है। पित्त नलिकाओं को शिथिल कर सकता है। यह होमियोस्टैसिस को बनाए रख सकता है। त्रिफला गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्वास्थ्य में उपयोग के लिए सबसे प्रसिद्ध है। त्रिफला के जलीय और अल्कोहल-आधारित दोनों अर्क दस्त को रोकते हैं।

इस रिसर्च में 11 लोगों पर आंवला के क्लिनिकल प्रभाव को जांचा गया। इससे उपचार से कब्ज कम हो गया, म्यूकस, पेट में दर्द, हाइपरएसिडिटी और पेट फूलने जैसी स्थिति में सुधार हो गया।

2 तनाव कम करता है त्रिफला का चूर्ण(triphala for stress)  

पशु अध्ययनों से पता चला है कि त्रिफला ठंड से प्रेरित तनाव से बचाता है। तनाव से प्रेरित व्यवहार परिवर्तन और जैव रासायनिक परिवर्तन जैसे कि लिपिड पेरोक्सीडेशन और कॉर्टिकोस्टेरोन के स्तर में वृद्धि करता है। इसके एंटीऑक्सिडेंट गुण तनाव को कम करने में सक्षम हैं।

3 डायबिटीज में भी है फायदेमंद ( triphala for diabetes) 

एक पशु अध्ययन में, त्रिफला को 10 सप्ताह के लिए मोटापे से ग्रस्त चूहों को दिया गया। इससे शरीर में वसा का संचयन, वजन कम हुआ। इससे कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स और कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल को भी कम किया गया। शुगर की दवा के साथ त्रिफला का सेवन फास्टिंग ब्लड शुगर और फास्टिंग सीरम इंसुलिन का लेवल भी कम हो गया।

Triphala pet ke liye bahut achchha hai
डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद है त्रिफला।  चित्र : शटरस्टॉक

वैश्विक मोटापा महामारी को देखते हुए, संबंधित स्वास्थ्य संबंधी बोझ को कम करने के लिए अधिक उपचार विकल्प आवश्यक हैं।

4 त्रिफला और हृदय स्वास्थ्य ( triphala for heart health) 

इस अध्ययन में त्रिफला के हाइपरकोलेस्टेरेमिक और हाइपोलिपिडेमिक प्रभावों की सूचना दी गई। त्रिफला गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट और हृदय प्रणाली में असंतुलन को दूर करने के लिए मददगार जड़ी बूटी मानी गई। हालांकि इस ओर अधिक व्यापक अध्ययन किया जाना चाहिए।

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इस विधि से आप भी घर पर तैयार कर सकती हैं त्रिफला चूर्ण

आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. केशव चौहान बताते हैं, ‘ त्रिफला चूर्ण बनाने के लिये तीन तरह की जड़ी-बूटियों का प्रयोग किया जाता है। ये हैं हरड़, बहेड़ा और आंवला।

1 इसे बनाने के लिए 1 भाग हरड़, 2 भाग बहेड़ा और 3 भाग आंवला लें।
2 चूर्ण बनाने के लिए यह जरूरी है कि इन तीनों को खूब सुखाया जाए।
3 सूखने के बाद आप आसानी से इनमें मौजूद गुठली को निकाल कर अलग कर सकती हैं।

Triphala se kare weight loss
त्रिफला चूर्ण बनाने के लिये 1 भाग हरड़, 2 भाग बहेड़ा और 3 भाग आंवला लें।। चित्र : शटरस्टॉक

4 अब ये तीनों सामग्री चूर्ण बनने के लिए तैयार हैं। अब इन तीनों को खूब बारीक पीसकर उसका चूर्ण बना लें।
5 लीजिए आपका त्रिफला चूर्ण तैयार हो गया है। इस चूर्ण को एयर टाइट कंटेनर में रख लें।
6 रोज रात में सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ 1 चम्मच त्रिफला चूर्ण लें।

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