पेरेंट्स होना और बच्चे की परवरिश करना एक मुश्किल और चुनौतीपूर्ण टास्क है। कठिनाईयां और चैलेंज उस वक्त और भी बढ़ जाते हैं, जब आप सिंगल पेरेंट की भूमिका में होते हैं। मेंटली, फिज़िकली, फाइनेंशियली और सामाजिक तौर पर आप हर दम एक रोलर कोस्टर पर सवार रहते हैं। जो जीवन में तनाव और एंग्जाइटी का कारण सिद्ध होता है। उस मुश्किल दौर में भले ही हम अकेले होते हैं, मगर हमारे अंदर मज़बूती बढ़ने लगती है। हांलाकि बार-बार अपने कार्यों और जीवन पर नज़र दौड़ाने से आपको रिलैक्सेशन तो नहीं मिलेगा। मगर आपको हम कुछ ऐसे उपाय सुझाने जा रहे हैं, जो आपकी मेंटल हेल्थ (single mom burnout) को बेहतर करने में कारगर साबित हो सकते हैं।
मुंबई के वॉकहार्ट हॉस्पिटल्स की मनोचिकित्सक डॉ सोनल आनंद हमें सिंगल मदर्स में अक्सर होने वाले तनाव के लक्षणों को दूर करने के लिए कुछ उपाय सुझा रहीं हैं। आप भी सिंगल मदर होने के नाते अपनी चिंता और तनाव के स्तर को नियंत्रित करने में इनकी मदद ले सकती हैं।
डॉ आनंद के मुताबिक चाहे आप अपनी मर्जी से सिंगल मदर है या हालातों से मज़बूत होकर, दोनों ही परिस्थितियों में तनाव का होना स्वाभाविक है। बच्चा हमेशा माता-पिता के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता हैं। कभी-कभी सिंगल मदर्स बच्चों का लेकर इतनी पोजे़सिव होने लगती हैं कि वो चाहती हैं कि वे उनके जीवन में हर खुशी भर दें और पिता की कमी को भी पूरा करने में समर्थ हो। यही कोशिश और गिल्ट कई बार उत्तेजना का कारण बन जाता है।
हमें लगता है कि सिंगल मदर होना एक टफ टास्क है। ऐसे में अपने आप में कठोर बनने से बेहतर है, आस-पास के माहौल का आनंद उठाएं। अपने लिए मी टाइम निकालें और उसे अपनी मर्जी से और अपने लिए बिताएं। खुद को रिलैक्स रखने के लिए एक रूटीन सेट करें और उसे फॉलो करें। कुछ वक्त ऐसा हो, जिसमें आप अपना मनपसंद खेलए वर्कआउट, योग और अन्य एक्टिविटीज़ कर सकें। इसके अलावा कुछ वक्त किताबें पढ़ने और घूमने के लिए भी निकालें।
अक्सर सिंगल मदर्स इस बात से हताश और निराश रहती हैं कि वो अपने फर्ज पूर्ण रूप से नहीं निभा पा रही है। वे इसी जुस्तजू में अपना सारा समय बच्चों को समर्पित कर देती है। इसके चलते महिलाएं अपने लिए समय नही निकाल पाती है। ध्यान रखें कि अगर आप चाहते है कि आपका बच्चा आपसे प्यार करें और आपके बीच एक अच्छा बॉन्ड हो, तो सबसे पहले गिल्ट फीलिंग को निकाल दें। बार-बार होने वाले अपराध बोध से मुक्त होकर बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं।
गिल्ट फीलिंग आपको हमेशा अपराधी होने का एहसास दिलाती है। इस बात को समझना होगा कि आर्दश मां हमें बच्चों की नज़रों में बनना है लोगों की नहीं। हमें खुद को इतना काबिल बनाना है कि बच्चों के लिए रोल मॉडल बन सके। ताकि उदाहरण देते वक्त खुद की जगह किसी और को फ्रेम न करना पड़े। काम करते करते खुद को इतना न थका लें कि बच्चों को समय देते वक्त आप थकान का एहसास करने लगें।
हम चाहते हैं कि हमारा बच्चा खुश रहे, स्वस्थ रहे और हर एक्टिविटी का हिस्सा बने। इसके चलते आपका ध्यान हर वक्त बच्चे के इर्द-गिर्द ही रहता है। तनाव से बचने रहने और बच्चे को खुशहाली देने के लिए चीखते चिल्लाते अपनी दिनचर्या को शुरू करने की बजाय बच्चे को प्यार से सहलाते हुए उठाएं। इसके अलावा योग या ध्यान को मार्निंग रूटीन में ज़रूर शामिल करें।
एक साथ सभी काम करने की आदत आपके लिए परेशानी का कारण बन सकती है। बहुत से काम एक समय में करने से हमारा माइंड एग्जॉस्ट होने लगता है। इसके चलते हम अपनी जिम्मेदारियों को पूरी तरह से नहीं निभा पाते हैं। खुश रहे और अपनी सहूतल के हिसाब से काम करते हुए दिन की शुरूआत करें।
खानपान के अलावा अपनी मेंटल हेल्थ का ध्यान रखना भी एक मां की जिम्मेदारी है। दरअसल एक मां का मानसिक संतुलन बच्चे की परवरिश को प्रभावित करने में अहम भूमिका निभाता है। अगर आप बात-बात में उलझती हैं और हर छोटी बात आपकी परेशानी का कारण बनती है, तो इसका प्रभाव बच्चे की परवरिश पर भी पड़ सकता है। बच्चा गुमसुम, निराश और परेशान रहने लगता है। खुद को खुश रखें और अपना समय बेकार की उलझनों में व्यतीत करने की बजाय वीकेंड पर घूमने जाएं और बच्चों के साथ अच्छा समय व्यतीत करें।
हर वक्त गैजेटस और मेड के सहारे बच्चे को छोड़ने की जगह खुद भी कुछ वक्त बच्चे के लिए निकालें। एक साथ कुछ वक्त बिताएं, ताकि बच्चे की इच्छाओं और इंटरस्ट जान सकें। जाहिर है कि आप बच्चे के लिए दिनभर मेहनत कर रही हैं। मगर बच्चे को अच्छी परवरिश के साथ मां का समय भी चाहिए। बच्चे चाहते हैं कि वो अपनी मां के साथ पार्क जाएं, खाना खाएं और हर दम मां का मुस्कुराता हुआ चेहरा देखें। बच्चे की हल्की सी मुस्कान जब हमें इतना सुकून देती है, तो जाहिर है कि बच्चे की मां की मौजूदगी में बेहद खुश महसूस करेंगे
एक व्यक्ति हर काम को अकेले करने में असमर्थ है। अगर आप मल्टीटास्किंग भी है, तो फिर आप दिनभर में अपने बच्चे के लिए समय नहीं निकाल पाएंगे। जो कही न कहीं आपके लिए तनाव का कारण सिद्ध होगा। वे काम जो आप नहीं कर पा रही है, तो उसके लिए अपने रिश्तेदारों, दोस्तों या फिर पेरेंटस की मदद लेना बिल्कुल भी गलत नहीं हैं। इससे आपके अंदर अकेलेपन की भावना नहीं रहेगी। अगर आप खुद को अन्य लेगों से जोड़ें रखेंगी, तभी वे आपके करीब आएंगे। इससे बच्चा भी खुशहाली का एहसास करेगा।
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