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टीनएज का आकर्षण डिप्रेशन की तरफ ले जा रहा है, तो जानिए आप उन्हें कैसे संभाल सकती हैं

टीनएज में शरीर के साथ-साथ भावों में भी परिवर्तन होते हैं। यदि आपकी बेटी या छोटी बहन किशाेर उम्र के साथ आकर्षण और अफेयर के कारण अवसादग्रस्त हो रही है, तो जानिए इस स्थिति में आपको क्या करना है। 
किशोरों के मन में रोमांस और प्यार के बारे में अवास्तविक विचार हो सकते हैं। चित्र: शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 20 Oct 2023, 09:43 am IST
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टीनएज में कदम रखते ही शरीर में कई सारे परिवर्तन होने लगते हैं। शरीर में हार्मोनल बदलाव भी होते हैं। शारीरिक के साथ-साथ टीनएज में कुछ भावनात्मक बदलाव भी होते हैं। इनमें से एक है विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षण। इस उम्र में हर लड़के और लड़की को विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षण होता है। इसे वे लगाव और प्यार मान बैठते हैं। इसके कारण न सिर्फ उनका पढ़ाई से ध्यान हट जाता है, बल्कि कभी-कभी लड़ाई-झगडे होने के कारण वे अवसाद में भी चले जाते हैं। यदि आपकी बेटी या छोटी बहन के साथ ऐसा ही कुछ हुआ है, तो उसे अवसाद से बचाना (how to deal with teenage depression) आपकी जिम्मेदारी है। यहां हम कुछ उपाय दे रहे हैं जो आपके काम आ सकते हैं। 

टीनएज में यदि बच्चे आकर्षण और अफेयर के कारण तनाव और अवसाद में चले जाएं, तो हमें क्या करना चाहिए, इसके बारे में सीनियर साइकोलोजिस्ट डॉ. सुरेखा खन्ना से हमारी बातचीत हुई। उन्होंने इस संबंध में कई सुझाव दिए, जो किसी भी टीनएज के लिए हेल्पफुल हो सकते हैं।  

पेरेंट्स को होनी चाहिए जानकारी

डॉ. सुरेखा बताती हैं, ‘कई बार बच्चे ब्रेकअप के कारण बच्चे बहुत अधिक तनाव में रहते हैं और उनके पेरेंट्स को पता ही नहीं रहता है। जब बच्चे टीनएज में कदम रखते हैं, तो पेरेंट्स की जिम्मेदारी बनती है कि वे यह पता लगाएं कि उनका बच्चा इन दिनों क्लास, कोचिंग या सोसाइटी में किस बच्चे या व्यक्ति से अधिक घुलमिल रहा है, उनसे किस तरह की बातें शेयर कर रहा है या उसका आकर्षण किस ओर अधिक है। इस काम में वे बच्चों के दोस्त जैसे बने रहें न कि जासूस या हंटर मैन।’

यहां हैं बच्ची को अफेयर के कारण होने वाले डिप्रेशन से बचाव के तरीके

1 सख्ती नहीं बरतें पर आपके विचार प्रभावी हों

कभी-कभार बच्चे का व्यवहार मन में आशंका पैदा कर देता है। यदि आपकी बच्ची ज्यादा शांत रहने लगी है या कमरे में अकेले रहना पसंद करने लगी है, तो संभव है कि वह किसी अफेयर के चक्कर में फंस गई हो। यह जानने पर उस पर सख्ती नहीं बरतें। 

बातों ही बातों में उसे यह एहसास दिलाएं कि उसके बारे में आपको पता है। उसे प्यार से यह  समझाने की कोशिश करें कि उसका एक गलत फैसला पूरे परिवार को प्रभावित कर सकता है। इसलिए उससे समझदारी की अपेक्षा है।

2 डांटे नहीं प्यार से समझाएं

डॉ. सुरेखा कहती हैं, ‘यदि आपको बच्चे के अफेयर के बारे में पता चलता है, तो उसे डांटे नहीं। प्यार से समझाएं। जिस लड़के को वह प्यार करने लगी है, क्या वह उसके स्वाभाव से वाकिफ है। अगर वह उसे अच्छी तरह जानती है, तो ईमानदारी के साथ उसकी अच्छाइयों और बुराइयों के बारे में बताने को कहें। 

कभी कभार सामने वाला बच्चा सिर्फ टाइम पास के लिए फ़्लर्ट कर रहा होता है। यदि वह अपने दोस्त की बुराइयां ज्यादा गिनाती है, तो उसे समझाएं कि उससे बेहतर भविष्य की उम्मीद नहीं की जा सकती है। इसलिए उसे भुलाने में ही समझदारी है।’  

3 प्यार और आकर्षण के बीच फर्क समझाएं

बेटी को बताएं कि टीन ऐज में आकर्षण होना सहज बात है। पर उसके साथ जिंदगी बिताने का फैसला सरल नहीं है। प्यार के लिए स्वभाव, आचार-व्यवहार, विचार और साथ ही लक्ष्य के प्रति समर्पण भी जरूरी है। 

आकर्षण लक्ष्य से भटकाव दिलाता है, जबकि प्यार मंजिल दिलाता है। लेकिन प्यार के लिए परिपक्व उम्र होना बेहद जरूरी है। उसे यह बताएं कि नए दोस्त बनाने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन इसकी वजह से पढाई या करियर में बाधा नहीं पहुंचनी चाहिए।    

4 बच्चे का मनोबल कमजोर नहीं पड़ने दें

यदि टीनएजर बच्ची बहुत उदास रहने लगी है, तो उसे यह एहसास दिलाएं कि आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण बच्ची है। उसे बेकार की बातों में उलझने की बजाय आगे बढ़ने की सीख दें। उसे अपनी रुचि के रचनात्मक कार्यों से जोड़ने की कोशिश करें। उसे योग-  मेडिटेशन से जोड़ने की कोशिश करें।

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बच्चों को योग-ध्यान और प्राणायाम की ओर प्रेरित कर उनका स्ट्रेस दूर किया जा सकता है।
चित्र: शटरस्टॉक

5 घूमाने ले जाएं

स्थान परिवर्तन से मूड चेंज होता है। किसी प्राकृतिक स्थान में घूमने ले जाएं। इससे वह न सिर्फ ब्रेकअप के अवसाद से बाहर आएगी, बल्कि उसके विचारों पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। 

स्थान परिवर्तन से मूड चेंज होता है। किसी प्राकृतिक स्थान में घूमने ले जाएं। चित्र: शटरस्टॉक

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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