जिस प्रकार दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल होता जा रहा है। वहीं दिवाली के पटाखों के कारण मयह प्रदूषण और ज्यादा बढ़ जाता है। जब यह सामान्य लोगों के लिए इतना घातक है, तो सोचने वाली बात यह है कि अस्थमा के मरीजों की सेहत पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा। आस्था के मरीजों के फेफड़े पहले से ही संवेदनशील होते हैं, ऐसे में जब प्रदूषक कण इसे इरिटेट करते हैं, तो अस्थमा अचानक से ट्रिगर हो सकता है (foods for asthma)। अस्थमा से जुड़ी परेशानी को अवॉइड करने के लिए कुछ खास पोषक तत्वों की मदद से अपने शरीर को तैयार कर सकती हैं। जिसमें यहां बताए गए कुछ खास सुपरफूड्स आपकी मदद करेंगे (foods for asthma)।
डायटिशियन परमीत कौर, हेड और चीफ – न्यूट्रिशनिस्ट और डायटिशियन, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल गुरुग्राम ने बढ़ते संक्रमण में फेफड़ों की सेहत को बनाए रखने और अस्थमा ट्रिगेसर को अवॉयड करने के लिए कुछ खास सुपरफूड्स के नाम सुझाए हैं। तो चलिए जानते हैं इन सुपरफूड्स के बारे में, आखिर ये किस तरह काम करते हैं (foods for asthma)।
वातावरण में बढ़ते प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए, अस्थमा के मरीजों को अपनी डाइट में पर्याप्त फल और सब्जियां शामिल करनी चाहिए। ज्यादातर फल एवं सब्जियों में भरपूर मात्रा में बीटा कैरोटीन, विटामिन सी और विटामिन ई जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं।
एंटीऑक्सीडेंट के एक बेहतरीन स्रोत हैं, जो फ्री रेडिकल्स के रूप में जाने वाले सेल-हानिकारक रसायनों के कारण फेफड़ों की सूजन और जलन (सूजन) को कम करने में मदद कर सकते हैं। ट्रिगर्स को अवॉइड करने के लिए इनके सेवन से शरीर को पहले से तैयार कर लें।
अदरक एंटीऑक्सीडेंट का एक बेहतरीन स्रोत है। यह प्रदूषण के साथ ही गिरते तापमान में होने वाले अस्थमा ट्रिगर को अवॉइड करने में मदद करता है। अदरक को प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने की क्षमता के लिए जाना जाता है। यदि आपको फेफड़ों से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या है, विशेष रूप से अस्थमा तो आपको अपनी नियमित डाइट में अदरक शामिल करना जरूरी है।
आप सुबह उठकर अदरक की चाय ले सकती हैं, साथ ही शाम को भी एक चम्मच शहद के साथ अदरक का जूस लिया जा सकता है। वहीं अपनी नियमित खान-पान को बनाने में अदरक का इस्तेमाल जरूर करें। यह आपकी बॉडी को प्रदूषक कणों के ट्रिगर को अवॉइड करने में मदद करेगा।
लहसुन में एंटीऑक्सीडेंट की गुणवत्ता मौजूद होती है, जो आपको सर्दी-खांसी से निजात पाने में मदद करती हैं। आम तौर पर प्रदूषण बढ़ने से बॉडी इनफेक्टेड हो सकती है, जिसकी वजह से सर्दी-खांसी, जुकाम का अनुभव होना सामान्य है। यह अस्थमा के मरीजों के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं है। इसलिए संक्रमण से बचाव करना बहुत जरूरी है।
एक कच्चे लहसुन की फली को छोटे टुकड़ों में काट लें और दिन में एक बार एक गिलास पानी के साथ इसे लें। आपको हमेशा लहसुन की कलियों को कुचल कर डाइट में शामिल करना चाहिए। जिससे कि इनमें मौजूद एलिसन नमक एक्टिव कंपाउंड एक्टिवेट हो जाते हैं, और यह अधिक प्रभावी रूप से आपकी सहायता करता है।
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दक्षिणी एशियाई व्यंजनों को बनाने में हल्दी को मसाले के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इसमें एक करक्यूमिन नामक एक्टिव कंपाउंड मौजूद होता है, जिसमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। इस प्रकार हल्दी शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद करती है। विशेष रूप से यह प्रदूषक कणों को फेफड़े को इरिटेट करने से रोकती है, जिससे कि अस्थमा ट्रिगर नहीं होता। करक्यूमिन लेने का सबसे अच्छा तरीका है, इसे दूध में मिलाकर लेना, क्योंकि यह फैट में घुल जाती है। इसके अलावा आप हल्दी की चाय ले सकती हैं, साथ ही इसे अपनी नियमित खान-पान में ऐड जरूर करें।
ग्रीन टी सेहत संबंधित तमाम समस्याओं से निपटने में आपकी मदद कर सकती है। ठीक इसी प्रकार यह अस्थमा के मरीजों लिए भी बेहद फायदेमंद होती है। इस ड्रिंक में मौजूद एंटी इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टी इसकी गुणवत्ता को अधिक बढ़ा देती हैं। वहीं इसके एंटीऑक्सीडेंट इसे फ्री रेडिकल से लड़ने में मदद करते हैं। ये सभी कारक इसे अस्थमा के मरीजों के लिए एक बेहतर विकल्प बनाते हैं। यदि आपको अस्थमा है और आप ट्रिगर से बचना चाहती हैं, तो रोजाना ग्रीन टी पिएं। यह फेफड़ों के इरिटेशन को कम करने में मदद कर सकती है।
काली मिर्च में पिपेरिन नामक एक पदार्थ पाया जाता है, जो शरीर से हानिकारक फ्री रेडिकल्स को खत्म करने में सहायता करता है। प्रदूषण के कारण शरीर पर फ्री रेडिकल्स का प्रभाव बढ़ जाता है और बॉडी में अधिक मात्रा में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बनने लगते हैं। जिसकी वजह से तमाम संक्रमणों का खतरा बढ़ जाता है। वहीं अस्थमा की समस्या भी बढ़ सकती है।
इस मौसम अस्थमा और एलर्जी के लक्षण और भी बदतर हो सकते हैं, ऐसे में काली मिर्च सूजन को कम करते हुए संक्रमण को नियंत्रित करने में आपकी मदद करती है। काली मिर्च को अपने नियमित व्यंजनों में शामिल करने के साथ आप इसकी चाय को अपनी डाइट में शामिल कर सकती हैं।
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