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40 के बाद बढ़ जाता है हाई ब्लड शुगर का जोखिम, इन 6 जांचें–परखे नुस्खों से करें इसे कंट्रोल

40 के बाद ब्लड शुगर लेवल तेज़ी से शरीर को प्रभावित करता है। दरअसल, उम्र बढ़ने के साथ शरीर की रक्त शर्करा के स्तर को रेग्यूलेट करने की प्राकृतिक क्षमता कम होने लगती है, जिससे शरीर पर अत्यधिक चीनी के सेवन के नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं।
देर रात खाना खाने और नींद पूरी न होने के चलते शरीर में हार्मोन असंतुलन का सामना करना पड़ता है, जिससे ब्लड शुगर लेवल प्रभावित होता है। चित्र- अडोबी स्टॉक
Published On: 15 Jan 2025, 08:00 pm IST

उम्र के साथ महिलाओं के शरीर में एक एक कर कई तरह के परिवर्तन आने लगते हैं। अधिकतर 40 की उम्र के बाद जहां त्वचा संबधी समस्याएं बढ़ जाती है, तो वहीं ब्लड शुगर लेवल का जोखिम भी बढ़ने लगता है। दरअसल, देर रात खाना खाने और नींद पूरी न होने के चलते शरीर में हार्मोन असंतुलन का सामना करना पड़ता है, जिससे ब्लड शुगर लेवल प्रभावित होता है। इससे शरीर में इंसुलिन रज़िस्टेंस की कमी बढ़ने लगती है। अगर आप भी डायबिटीज के जोखिम से बचना चाहती हैं, तो इन टिप्स को अवश्य करें फॉलो (tips to control blood glucose level)।

इस बारे में डायटीशियन मनप्रीत कालरा बताती है कि 40 की उम्र के बाद महिलाओं को एचबी1एसी का स्तर 6 से अधिक होता है जो प्रीडायबीटिक की ओर इशारा करता है। ये ब्लड शुगर लेवल हाई होने की ओर इशारा करता है। अक्सर लोग सुबह हाई ब्लड शुगर की शिकायत करते हैं। दरअसल, रातभर में लिवर शुगर ब्रेकडाउन का कार्य करता है, जिससे शुगर का स्तर बढ़ने लगता है। अनहेल्दी लाइफस्टाइल इस समस्या का मुख्य कारण साबित होता है। इंसुलिन सेसिटीविटी को बेहतर बनाने के लिए रूटीन में कुछ टिप्स को अवश्य शामिल की।

40 के बाद क्यों बढ़ता है ब्लड शुगर लेवल का स्तर

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार शरीर में पोषण की कमी हाई ब्लड शुगर का कारण साबित होती है। इसके लिए आहार में क्रोमियम और मैग्नीशियम शामिल करें। दरअसलए क्रोमियम कार्ब और फैट्स के मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करता है। साथ ही इंसुलिन की क्रिया को बढ़ाता है, जिससे ब्लड शुगर को नियंत्रित किया जा सकता है।

अमेरिकन डायबिटीज़ एसोसिएशन के अनुसार 40 के बाद ब्लड शुगर लेवल तेज़ी से शरीर को प्रभावित करता है। दरअसल, उम्र बढ़ने के साथ शरीर की रक्त शर्करा के स्तर को रेग्यूलेट करने की प्राकृतिक क्षमता कम होने लगती है, जिससे शरीर पर अत्यधिक चीनी के सेवन के नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं। ऐसे में टाइप 2 डायबिटीज़, वजन बढ़ना और हृदय रोग सामान्य है।

उम्र बढ़ने के साथ शरीर की रक्त शर्करा के स्तर को रेग्यूलेट करने की प्राकृतिक क्षमता कम होने लगती है। चित्र : शटरस्टॉक

इन 6 तरीकों से ब्लड ग्लूकोज़ लेवल को करें बैलेंस (tips to control blood glucose level)

1. मेथीदाना की चाय

दिन की शुरूआत मेथीदाना चाय से करें। एंटीऑक्सीडेट्स और एंटीडायबीटिक गुणों से भरपूर मेथीदाना चाय का सेवन करने से शरीर में इंसुलिन सेंसिटीविटी बनी रहती है और ग्लूकोज़ का स्तर उचित रहता है। इसे चाय के रूप में पीने के अलावा ओवरनाईट सोक करके चबाकर खाने से शरीर में कार्बोहाइड्रेट के अवशोषण को धीमा करके शरीर में क्त शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।

2. प्रोटीन रिच आहार लें

40 की उम्र के बाद शरीर में हार्मोनल बदलाव के चलते डायबिटीज़ का खतरा बढ़ने लगता है। ऐसे में प्रोटीन को आहार में शामिल करने से शरीर को एनर्जी की प्राप्ति होती है और सभी सेल्स को फायदा मिलता है। इसके लिए आहार में लीन प्रोटीन को शामिल करें। डेयरी ब्रेस्ड प्रोडक्टस के लिए योगर्ट फायदेमंद है और प्लांट बेस्ड प्रोटीन के लिए आहार में नट्स, सीड्स और भुने हुए चने का सेवन करें।

आहार में लीन प्रोटीन को शामिल करें। चित्र- अडोबी स्टॉक

3. पोस्ट मील वॉक है ज़रूरी

खाने के बाद बैठने की जगह 10 से 15 मिनट वॉक अवश्य करें। इससे शरीर में कैलोरी को जमा होने से रोका जा सकता है। साथ ही शुगर स्पाइक का खतरा कम होने लगता है। इससे मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है और खाने को पचाने में मदद मिलती है। शरीर को शुगर स्पाइक से बचाने के लिए नियमित रूप से खाना खाने के बाद सैर पर अवश्य जाएं।

4. मंडूकासन का अभ्यास करें

मंडूकासन को फ्रॉग पोज़ भी कहा जाता है। इससे खाना खाने के 30 मिनट से 1 घंटे बाद करना शरीर के लिए बेहद फायदेमंद है। इसके लिए मंडूकासन को 3 से 5 बार करें। इससे एबडॉमिनल ऑर्गन्स को मज़बूती मिलती है और ग्लोकोज़ मेटाबॉलिज्म में भी बढ़ोतरी होने लगती है। नियमित रूप से इसका अभ्यास इंसुलिन रज़िस्टेंस को कम करता है। साथ ही पेनक्रियाज़ के फंक्शन को भी इंप्रूव करता है।

5. सेब के सिरके का करें सेवन

खाना खाने के 30 मिनट बार सिरके का सेवन करैं। 1 से 2 चम्मच पानी में मिलाकर पीने से ग्लूकोज़ का एबजॉर्बशन स्लो होने लगता है। इससे वेटलॉस में मदद मिलती है और पीसीओएस के लक्षणों को कम किया जा सकता है। इसके सेवन से इंसुलिन रजिस्टेंस बना रहता है।

सेब के सिरके में मौजूद एसिटिक एसिड पीएच स्तर को संतुलित करने में मदद करता है। चित्र : शटर स्टॉक

6. रात को नौ बजे के बाद खाना खाने से बचें

देर रात खाना खाने से बॉडी की इंटरनल क्लॉक असंतुलित होने लगती है, जिससे इंसुलिन सेसिटीविटी को कम करने शुगर स्पाइक का खतरा बना रहता है। इस खतरे से शरीर को बचाने के लिए साने से 2 से 3 घंटे पर अपनी मील्स लें और कुछ देर टहलने के लिए जाएं। अधिकतर लोगों को रात में लेट खाना खाने से क्रेविंग्स की समस्या बनी रहती है। ऐसे में समय से हेल्दी मील्स लें।

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लेखक के बारे में
ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं।

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