शरीर में वेटगेन के साथ स्किन का फैलाव बढ़ने लगता है, जिससे स्किन स्ट्रेच होती चली जाती है। महिलाओं के लिए इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण प्रेगनेंसी हो सकता है। उस वक्त शरीर में अन्य बदलावों के अलावा अगर त्वचा पर कुछ रह जाता है, तो वो है स्ट्रेच मार्क्स। इन्हें दूर करने के लिए महिलाएं कई उपाय करने लगती है। इसमें कोई दोराय नहीं कि वज़न कम होने से शरीर को अनगिनत फायदे मिलते हैं। मगर त्वचा को इसके चलते कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जानते हैं वेटलॉस के दौरान त्वचा का कैसे रखें ख्याल (skin care during weight loss)।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार मोटापे के चलते जब त्वचा काफी खिंचती है और लंबे समय तक उसी तरह बनी रहती है। ऐसी स्थिति में कोलेजन और इलास्टिन फाइबर को नुकसान होता है। ऐसे में स्किन वापिस अपनी जगह पर पहुंचने की क्षमता खोने लगती है, जिसके चलते मार्क्स का सामना करना पड़ता है।
अगर कोई महिला लंबे वक्त तक मोटापे का शिकार रही है, तो उससे स्किन में बदलाव आने लगते हैं। नतीजन इलास्टिन और कोलेजन लॉस का भी सामना करना पड़ता है। इसके चलते त्वचा की फर्मनेस पर उसका असर दिखने लगता है।
मार्क्स और झुर्रियों का बढ़ना इस बात पर भी निर्भर करता है कि किसी व्यक्ति ने कितना वज़न कम किया किया है। तेज़ी से वज़न कम हो जाने से स्किन सेल्स प्रभावित होते हैं, जिससे त्वचा ढ़ीली पड़ने लगती है। इससे स्किन की डलनेस बढ़ जाती है।
उम्र के साथ स्किन में कोलेजन की मात्रा कम होती चली जाती है। ऐसे में वेटलॉस के बाद त्वचा पर मार्क्स दिखने हैं, और गर्दन व चीक बोनस के नज़दीक स्किन सैगी दिखने लगती है। इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि बढ़ती उम्र में झुर्रियों की समस्या बढ़ सकती है।
वेटलॉस के दौरान सूर्य की किरणों के संपर्क में रहने से भी त्वचा का ढ़ीलापन बढ़ जाता है। इससे त्वचा की नमी कम होने लगती है, जिससे फाइन लाइंस चेहरे पर सॉ नज़र आती है। गर्दन की त्वचा पर भी इसका प्रभाव दिखता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट आूफ हेल्थ के अनुसार स्किन में फर्मनेस को मेंटेन रखने के लिए पानी का नियिंमत सेवन करें। इससे स्किन में इलास्टीसिटी कायम रहती है और त्वचा पर वेटलॉस का प्रभाव नज़र नहीं आता है। इससे एपिटाइट को भी नियंत्रित किया जा सकता है। साथ ही डिटॉक्स वॉटर भी रूटीन में शामिल करें। इससे शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है।
अपनी मील में विटामिन ए, सी और ई की मात्रा को बढ़ाएं। इसेक अलावा हेल्दी फैट्स पाने के लिए ओमेगा 3 फैटी एसिड का भी सेवन करेंं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार विटामिन सी से कोलेजन सिंथीसिज़ बढ़ने लगता है और ओमेगा 3 फैटी एसिड एंटी एजिंग के प्रभावों से मुक्त रखता है। इसके अलावा प्रोटीन के सेवन से स्किन को लाइसिन और प्रोलाइन जैसे अमीनो एसिड प्राप्त होते हैं, जो कोलेजन को बढ़ाते हैं।
प्रिंसटन युनिवर्सिटी हेल्थ सर्विसेज़ के अनुसार डाइटिंग का असर त्वचा पर दिखने लगता है क्योंकि वजन कम होने और बढ़ने दोनों से त्वचा खिंचती है और अपना लचीलापन खोने लगती है। इसके चलते त्वचा पर रिंकल्स और ढीलापन बढ़ता है।
धूप से त्वचा को बचाने के लिए मॉइश्चराइज़र से लेकर सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। इससे त्वचा की लोच बर करार रहती है। स्किन क्लीन और हाइड्रेट रहती है। इसके अलावा विटामिन सी, रेटिनॉल और एंजी एजिंग क्रीम का इस्तेमाल फायदेमंद साबित होता है।