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बरसात में बढ़े रहे हैं फूड पॉइजनिंग के मामले, जानिए इससे कैसे बचना है

नमी युक्त मौसम में बैक्टीरिया की तेज़ी से होने वाली ग्रोथ से भोजन में विषाक्तता बढ़ने लगती है जिससे फूड पॉइजनिंग का खतरा मंडराने लगता है। जानते हैं किन टिप्स की मदद से इससे बचा जा सकता है
मौसम में बढ़ने वाली उमस और तापमान में आने वाला बदलाव वातावरण में बैक्टीरिया की ग्रोथ को बढ़ा देता है। चित्र : अडोबी स्टॉक
ज्योति सोही Published: 30 Jul 2024, 05:00 pm IST
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बारिश के दिनों में कभी हल्की फुहारें, तो कभी होने वाली उमस स्वास्थ्य को कई तरीके से प्रभावित करती है। अब ऐसे मौसम में खानपान में बरती गई लापरवाही सेहत पर भारी पड़ सकती हैं। अधिकतर लोग मानूसन में बाहर को तला हुआ खाना पसंद करते हैं, जो पाचनतंत्र को नुकसान (Digestive problems) पहुंचा सकता है। दरअसल, नमी युक्त मौसम में बैक्टीरिया की तेज़ी से होने वाली ग्रोथ से भोजन में विषाक्तता बढ़ने लगती है जिससे फूड पॉइजनिंग का खतरा (food poisoning risks) मंडराने लगता है। इससे पेट दर्द (Stomach pain), उल्टी, दस्त और अपच का सामना करना पड़ता है। जानते हैं फूड पॉइजनिंग (food poisoning) क्या है और किन टिप्स की मदद से इससे बचा जा सकता है।

फूड पॉइजनिंग किसे कहते हैं (What is food poisoning)

सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार फूड पॉइजनिंग (food poisoning) एक फूड बॉर्न डिज़ीज़ यानि खाद्य जनित बीमारी है। ये समस्या कंटेमिनेटिड फूड या पानी का सेवन करने से फैलने लगती है। इस परेशानी से ग्रस्त लोगों को बुखार, पेट में दर्द, डायरिया और सिरदर्द (Headache) का सामना करना पड़ता हैं। मौसम में बढ़ने वाली उमस और तापमान में आने वाला बदलाव वातावरण में बैक्टीरिया की ग्रोथ को बढ़ा देता है।

फूड पॉइजनिंग फूड बॉर्न डिज़ीज़ है। ये समस्या कंटेमिनेटिड फूड या पानी का सेवन करने से फैलने लगती है। चित्र : अडोबी स्टॉक

क्यों करना पड़ता है फूड पॉइजनिंग का सामना (Why do you have to face food poisoning?)

इस बारे में डायटीशियन मनीषा गोयल बताती हैं कि बारिश के दिनों में वातावरण में माइक्रोब्स, वायरस, पेरासाइटस और बैक्टीरिया बढ़ जाते है। ऐसे मौसम में फ्राइड या बचा हुआ खाना खाने से माइक्रोआर्गेनिज़्म (microorganism) तेज़ी से बढ़ने लगते हैं, जो डाइजेशन को स्लो करके डायरिया, उल्टी और बुखार का खतरा बढ़ा देते हैं। इससे इंटेस्टाइन को नुकसान पहुंचता है। ऐसे में संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए और खाना बनाते समय हाइजीन का ख्याल रखना भी ज़रूरी है।

जानते हैं फूड पॉइजनिंग से बचने की टिप्स (Tips to get rid of food poisoning)

1. शरीर को हाइड्रेट रखें

नियमित मात्रा में पानी का सेवन करने से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स का बैलेंस (electrolyte balance) बना रहता है। इससे शरीर में निर्जलीकरण की स्थिति से बचा जा सकता है। इसके लिए आहार में नारियल पानी (coconut water), नींबू पानी और डिटॉक्स वॉटर शामिल करें। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंटस की मात्रा इम्यून सिस्टम को बूस्ट कर सक्रमण के प्रभाव को कम कर देती है।

2. हर्बल टी का सेवन करें

तुलसी या पुदीने की पत्तियों से तैयार हर्बल टी का सेवन करने से शरीर को एंटीऑक्सीडेंटस और एंटी बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज़ की प्राप्ति होती है। इससे शरीर में बढ़ने वाली ब्लोटिंग, डायरिया और पेट दर्द से बचा जा सकता है। फूड प्वाइजनिंग के जोखिम को कम करने के लिए तुलसी या पुदीने की पत्तियों को पानी में उबाल लें और फिर उसमें काली मिर्च और शहद को मिलाकर घोल तैयार करके पीएं।

हर्बल टी का सेवन करने से शरीर को एंटीऑक्सीडेंटस और एंटी बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज़ की प्राप्ति होती है। चित्र : शटरस्टॉक

3. ताज़ा खाना खाएं

फ्रेश फूड खाने से सेहत को पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है। पहले से कटे हुए फल और सब्जियों को खाने से परहेज करें। इसके अलावा बासी खाना भी शरीर में फूड प्वाइजनिंग को जोखिम बढ़ा देता है। अपने पाचन को हेल्दी बनाए रखने और माइक्रोऑरगेनिज्म से बचने के लिए हल्का फुल्का खाना खाएं और आहार में प्रोटीन, कैल्शियम, जिंक, मैग्नीशियम और आयरन को शामिल करें।

4. प्रोबायोटिक्स को आहार में शामिल करें

डेली रूटीन में प्रोबायोटिक्स को शामिल करने से गट में हेल्दी बैक्टीरिया बढ़ते है, जिससे डाइजेशन बूस्ट होता है। इससे इंटेस्टाइन में बढ़ने वाली फूड बॉर्न इलनेस का खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को भी डिटॉक्स किया जा सकता है। डायरिया के लक्षणों से बचने के लिए आहार में दही और छाछ का सेवन अवश्य करें।

प्रोबायोटिक्स की मदद से फंगल इंफे्क्शन को कम किया जा सकता है। चित्र : शटर स्टॉक

5. हाइजीन को ख्याल रखें

फलों और सब्जियों को पकाने और काटने से पहले अवश्य धो लें। इसके अलावा बर्तनों को भी धोकर ही इस्तेमाल करें। कुकिंग के दौरान साफ सफाई का ख्याल रखने से बैक्टीरिया का प्रभाव कम हो जाता है। इससे स्टैफिलोकोकस संक्रमण से मुक्ति मिल जाती है।

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ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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