बारिश के मौसम (Rainy season) ने दस्तक दे दी है। बारिश से वातावरण में तो ठंडक आ चुकी है, लेकिन स्किन संबंधी समस्याएं भी आपको परेशान कर सकती हैं। ग्रामीण इलाकों में आज भी मौसम बदलने या बारिश के मौसम (सावन-भादो) में नीम के पानी से स्नान किया जाता है। मां कहती है कि बारिश के मौसम में नीम से बढ़कर आपका कोई दूसरा साथी नहीं हो सकता है। यह न सिर्फ स्किन की देखभाल करता है, बल्कि संपूर्ण शरीर के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। भारत में नीम के पानी से नहाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इससे मौसमी संक्रमण से बचने के साथ-साथ इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद भी मिलती है।
आयुर्वेद (Ayurveda) में नीम को औषधीय गुणों (Neem medicinal benefits) वाला पेड़ माना जाता है। इसकी पत्तियों से लेकर तने, फल और जड़ों के दवा में उपयोग की बात कही गई है। इन सभी में हीलिंग गुण होते हैं। नीम काे संस्कृत में निम्बा कहा जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ है अच्छा स्वास्थ्य। नीम स्वाद में कड़वा होता है, लेकिन स्वास्थ्य के लिए इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता। इसका उपयोग त्वचा की समस्याओं जैसे मुंहासे, सोरायसिस, चिकनपॉक्स आदि को दूर करने के लिए किया जाता है।
मौसम बदलने पर नीम के पानी से नहाना बेहद फायदेमंद माना जाता है। क्योंकि इस समय मौसमी संक्रमण सबसे अधिक होता है। इस दौरान सामान्य फ्लू या सर्दी होने का भी खतरा रहता है। नीम की पत्तियां पूरे शरीर के टॉक्सिंस को दूर करने में मदद करती हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाती है।
जिस स्थान पर ह्यूमिडिटी अधिक होती है जैसे कि कोलकाता, मुंबई आदि, वहां फोड़े-फुंसी, स्किन एलर्जी की समस्या अधिक होती है। नीम में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। इसलिए नीम बाथ (Neem Bath) काफी फायदेमंद है। सोरायसिस और एक्जिमा में यह काफी असरकारक है।
बिहार, उत्तर प्रदेश के ज्यादातर गांवों में आज भी गर्मी और नमी के कारण बच्चों को हुए फोड़े-फुंसियों और घाव को ठीक करने के लिए उन्हें नीम की पत्तियों से स्नान कराया जाता है। नीम की पत्तियों को पीसकर उनके घावों पर लगाया जाता है।
नीम की पत्तियों के पानी से नहाने से पिंपल्स, दाग-धब्बे और ब्लैकहेड्स खत्म हो जाते हैं।
एंटी-माइक्रोबियल, एंटी बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुणों के लिए जाना जाता है नीम। इसलिए यह सोरायसिस, एक्जिमा और चिकनपॉक्स जैसी त्वचा की समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। जिन लोगों को चेचक है, उन्हें अपने आसपास नीम रखने की सलाह दी जाती है। चिकनपॉक्स होने पर नीम के पानी से स्नान करने से राहत मिलती है।
बारिश में सबसे अधिक डैंड्रफ की समस्या होती है। डैंड्रफ को दूर करने के लिए नीम की पत्तियों से नहाना चाहिए। यह न सिर्फ बालों को चमकदार बनाता है, बल्कि स्कैल्प की इन्फ्लेमेशन और इन्फेक्शन को दूर करने में भी मदद करता है।
यदि काम करते हुए थक गई हैं या आंखों में एलर्जी हो गई है, तो नीम की पत्तियों के पानी से स्नान करें। थकान दूर हो जाएगी और आंखों की एलर्जी भी।
नीम के पत्तों को उबालें
एक भगौने में पानी डालकर 4-5 मुट्ठी नीम के पत्ते डालकर उबालें।
हरा होना चाहिए पानी
नीम का काढ़ा तब तक उबालें जब तक कि पत्तियां अपना रंग न छोड़ दें। इससे पानी हरा दिखने लगता है।
छान लें
कॉटन या मलमल के कपड़े से छान लें।
नहाने के पानी में मिलाएं
तैयार अर्क या नीम जूस को नहाने के पानी में मिलाकर सप्ताह में दो-तीन बार नहाएं।
हल्के हाथों से रगड़ें
नीम बाथ लेते हुए धीरे-धीरे पूरे शरीर को हल्के हाथों से रगड़ें। इससे न सिर्फ स्किन हाइड्रेट होगी, न्यूट्रीशन मिलेगा, बल्कि स्किन संबंधी समस्या भी दूर होगी।
नीम के साथ एलोवेरा और तुलसी
नीम की पत्तियों के साथ कभी एलोवेरा पत्ती या तुलसी की पत्ती मिलाकर भी उबाल सकती हैं।
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