जैसे जैसे बच्चों की उम्र बढ़ती है, वैसे वैसे माता पिता की चिंताएं भी दोगुनी होने लगती हैं। अब परेशानी का कारण केवल स्वास्थ्य और पढ़ाई ही नहीं बल्कि रोमियो और जूलियट इफेक्ट भी उनकी एंग्ज़ाइटी को बढ़ा देता है। दरअसल, टीनएज में पहुंचने के साथ भावनाओं में बदलाव आने लगता है, जिसके चलते लड़का लड़की एक दूसरे के करीब आने लगते हैं। हो भी क्यों न, ज़ाहिर है शरीर में कई हार्मोनल बदलाव आने लगते हैं, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते है। अब वो समझने लगते हैं कि वे अपने फैसले लेने में पूरी तरह से सक्षम हैं। इस एज में पहुंचकर कुछ बच्चे जहां माता पिता के करीब आ जाते हैं, तो कुछ रोमियो और जूलियट इफेक्ट के चलते उनसे दूरी बना लेते हैं। सबसे पहले जानते हैं रोमियो और जूलियट इफेक्ट (Romeo Juliet effect) क्या है और पेरेंटस किस तरह से टीनएजर्स को इस स्थिति से बाहर निकालें।
इस बारे में मनोचिकित्सक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि रोमियो और जूलियट इफेक्ट (Romeo Juliet effect) उस स्थिति को कहते हैं, जिसमें माता पिता अपने टीनएजर बच्चे की पसंद को मानने से इंकार कर देते हैं। ऐसे में बच्चा माता पिता को अपना विरोधी मानकर लव पार्टनर के करीब आने लगता है। इस दौरान माता पिता अप्रत्यक्ष रूप से उसे किसी व्यक्ति के क्लोज ले आते हैं। दरअसल, एक्सटर्नल फार्सिस उन्हें एक दूसरे के करीब ले आती है, जिसके चलते अब जब दो लोग पेरेंटस की न के बाद भी एक हो जाते है, तो कई बार उनकी बॉडिंग पहले जितनी मज़बूत नहीं हो पाती है और तलाक का कारण बन जाती है।
फोर्बस की स्टडी के अनुसार 140 जोड़ों पर किए गए शोध में पाया गया कि उनके रिश्तों को माता पिता के हस्तक्षेप से और भी मज़बूती मिली। इससे उनमें प्यार की भावनाएँ बढ़ गईं। इस प्रभाव को समझने से माता.पिता को अपने किशोरों यानि टीनएज बच्चों के रोमांटिक रिश्तों को अधिक प्रभावी ढंग से संभालने में मदद मिल सकती है।
बच्चे माता पिता से खुलकर हर बात शेयर कर सकते है। वहीं पेरेंटस भी बच्चों को बातों ही बातों में इसके फायदों के साथ इसके जोखिम कारकों की जानकारी देने में भी समर्थ होते हैं। वे बच्चों को इसके दूरगामी प्रभावों से सचेत कर सकते हैं।
वे माता पिता जो बात बात पर बच्चों को गलत साबित करते है और उन्हें नीचा दिखाने से नहीं हिचकते हैं, तो ऐसे में बच्चे उनसे दूरी बना लेते हैं। बच्चों को सही राह पर लाने और रोमियो और जूलियट इफेक्ट (Romeo Juliet effect) से बचाने के लिए पेरेंटस को गुस्से पर नियंत्रण रखना चाहिए। साथ ही बच्चों के सामने अपने गुस्से का प्रर्दशन बार बार करने से भी बचना चाहिए।
किशोरावस्था में बच्चों के शरीर में कई बदलाव आने लगते है। इसका असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर दिखने लगता है। हर कार्य के प्रति आतुरता, चंचलता और झुंझलाहट समेत व्यवहार में कई बदलाव देखते को मिलते हैं। ऐसे में बच्चों को किसी गलत राह पर निकलने से बचाने के लिए उन्हें उनकी सीमाओं से अवगत करवाएं। साथ ही अच्छाई और बुराई में फर्क समझाकर एक सीमा को बनाए रखने की जानकरी दें।
अगर बच्चा अपने रिलेशनशिप की जानकारी माता पिता को देता है, तो ऐसे में उससे मारपीट और गुस्सा करने की जगह उसे समझाने का प्रयास करें। बच्चे का विरोध करने की जगह रिश्ते की आवश्यकता और गंभीरता की जानकारी दें। प्यार के महत्व के बारे में चर्चा करें और बच्चे के व्यवहार में बदलाव लाने का प्रयास करें।
बहुत बार बच्चा माता पिता से सहमत नहीं हो पाता है। ऐसे में किसी काउंसलर की सहायता से बच्चे को रोमियो और जूलियट इफेक्ट (Romeo Juliet effect) के बारे में समझाने का प्रयास करें। इससे जीवन पर इसके प्रभाव को जानने में मदद मिलती है। साथ ही एक्सपर्ट की राय बच्चे के लिए प्रभावी साबित होती है।
डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।