दीवाली का त्यौहार खुशियां और उत्साह लेकर आता है, लेकिन पटाखों के कारण वायु प्रदूषण का स्तर भी बढ़ जाता है। इन दिनों सांस संबंधी समस्याओं के साथ हॉस्पिटल पहुंचने वाले लोगों की संख्या काफी बढ़ गई है। सांस संबंधी समस्याएं बच्चों (Respiratory issue in kids) को ज्यादा परेशान कर रही हैं। असल में प्रदूषण सांस से सम्बंधित समस्याओं का कारण बन सकता है। बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा करना और उन्हें प्रदूषण से बचाना आवश्यक है। मैं यहां दीवाली के बाद बच्चों की सांस लेने की समस्याओं को कम करने के कुछ सरल, लेकिन प्रभावी तरीके बता रहा हूं। उम्मीद करता हूं कि ये आपके लिए उपयोगदायी होंगे।
हो सके तो एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें। इन दिनों प्रदूषण से निपटने के लिए घर में एयर प्यूरीफायर लगाना जरूरी हो गया है। खासकर बच्चों के सोने के कमरे में। यह कमरे की हवा में मौजूद पोल्यूटेंट्स को फिल्टर कर सकता है और साफ हवा का प्रवाह सुनिश्चित करता है।
इन दिनों मच्छरों की तादाद भी काफी बढ़ गई है। इससे बचने के लिए अकसर लोग घरों में मॉस्किटो रिपेलेंट और अन्य अगरबत्तियां लगाते हैं। ये सभी रेस्पिरेटरी सिस्टम के लिए खतरनाक हो सकते हैं। इन्हें तब लगाएं, जब कमरे में कोई न हो। खासतौर से बच्चों के सोते समय इन्हें न लगाएं।
प्रदूषण के पीक समय में बाहर जाने से बचें: खासकर शाम के समय, जब हवा में प्रदूषण का स्तर अधिक होता है, तब बच्चों को घर के अंदर ही रखें। अगर बाहर जाना आवश्यक हो तो सुबह का समय चुनें, जब वायु गुणवत्ता बेहतर होती है।
अगर बच्चों को बाहर जाना हो तो उन्हें एन95 या फिर साधारण 3 प्लाई मास्क पहनाएं । मास्क को रोज़ाना बदलें और दोबारा इस्तेमाल से बचें।
अगर बच्चों को नाक बंद महसूस हो रही है तो उनकी नाक में सलाइन ड्रॉप्स डालें, जो कि नाक को साफ़ रखने में मदद करता है। लेकिन, दवाइयों से बने ड्रॉप्स का उपयोग बिना डॉक्टर की सलाह के न करें।
एक साल से बड़े बच्चों के लिए हल्का स्टीम इनहेलेशन करवाना मददगार हो सकता है। इसके लिए एक हल्के स्टीम मशीन का उपयोग करें और बच्चों को स्टीम देते समय सावधानी बरतें।
बच्चों को नियमित अंतराल पर पानी, नारियल पानी और हल्के हर्बल टी देने से उनके शरीर से पोलूटेंट्स आसानी से बाहर निकल पाते है। इससे उनके फेफड़ों और श्वसन तंत्र को भी आराम मिलता है।
हल्का उबला हुआ सूप और हरी सब्जियां बच्चों के लिए लाभकारी होती हैं। इनसे उन्हें ज़रूरी पोषक तत्व मिलते हैं, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) को बढ़ाते हैं और प्रदूषण से होने वाले नुक़सान को कम करते हैं।
अगर बच्चे को अस्थमा या एलर्जी की समस्या है, तो डॉक्टर से परामर्श लेकर पहले से आवश्यक दवाइयाँ और इंजेक्शन ले लें। इससे अस्थमा अटैक और एलर्जी के लक्षणों को कम किया जा सकता है।
घर में एक इमरजेंसी किट रखें जिसमें बच्चों के लिए इनहेलर और एलर्जी के लिए अन्य दवाइयाँ होनी चाहिए। इनका सही समय पर उपयोग श्वसन समस्याओं को तुरंत कम करने में मदद करता है।
प्रदूषित हवा में गहरी सांस लेने से फेफड़ों पर दबाव पड़ सकता है। इसलिए, बाहर की गतिविधियों को कम करके घर में ही हल्की योग और साँस लेने के व्यायाम कराएं।
इन सभी उपायों से आप अपने बच्चों को दीवाली के बाद होने वाले प्रदूषण और उससे उत्पन्न श्वसन समस्याओं से बचा सकते हैं। इन उपायों का पालन करके बच्चों को सुरक्षित और स्वस्थ बनाए रखें, ताकि वे त्यौहार के बाद भी खुश और उत्साहित रहें।
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