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प्रदूषण बच्चों में बढ़ा रहा है सांस संबंधी समस्याएं, तो इन इफेक्टिव तरीकों से करें मैनेज

बच्चों का श्वसन तंत्र नाजुक होता है। घर में जलाए जाने वाले मॉस्किटो रिपेलेंट हो या बाहर का प्रदूषण, दोनों ही उनके लिए समस्याएं खड़ी कर सकते हैं। अपनी बच्चों की सुरक्षा और उन्हें श्वसन संबंधी समस्याओं से बचाने के लिए कुछ चीजों को जान लेना जरूरी है।
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बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है बढ़ता वायु प्रदूषण। चित्र शटरस्टॉक।।
Updated On: 6 Nov 2024, 06:31 pm IST
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दीवाली का त्यौहार खुशियां और उत्साह लेकर आता है, लेकिन पटाखों के कारण वायु प्रदूषण का स्तर भी बढ़ जाता है। इन दिनों सांस संबंधी समस्याओं के साथ हॉस्पिटल पहुंचने वाले लोगों की संख्या काफी बढ़ गई है। सांस संबंधी समस्याएं बच्चों (Respiratory issue in kids) को ज्यादा परेशान कर रही हैं। असल में प्रदूषण सांस से सम्बंधित समस्याओं का कारण बन सकता है। बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा करना और उन्हें प्रदूषण से बचाना आवश्यक है। मैं यहां दीवाली के बाद बच्चों की सांस लेने की समस्याओं को कम करने के कुछ सरल, लेकिन प्रभावी तरीके बता रहा हूं। उम्मीद करता हूं कि ये आपके लिए उपयोगदायी होंगे।

बच्चों को सांस संबंधी समस्याओं से बचाने के उपाय (tips to manage respiratory issue in kids)

1. घर के अंदर की हवा को शुद्ध रखें

हो सके तो एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें। इन दिनों प्रदूषण से निपटने के लिए घर में एयर प्यूरीफायर लगाना जरूरी हो गया है। खासकर बच्चों के सोने के कमरे में। यह कमरे की हवा में मौजूद पोल्यूटेंट्स को फिल्टर कर सकता है और साफ हवा का प्रवाह सुनिश्चित करता है।

2. मॉस्किटो रिपेलेंट में सावधानी बरतें

इन दिनों मच्छरों की तादाद भी काफी बढ़ गई है। इससे बचने के लिए अकसर लोग घरों में  मॉस्किटो रिपेलेंट और अन्य अगरबत्तियां लगाते हैं। ये सभी रेस्पिरेटरी सिस्टम के लिए खतरनाक हो सकते हैं। इन्हें तब लगाएं, जब कमरे में कोई न हो। खासतौर से बच्चों के सोते समय इन्हें न लगाएं।

Bacho ko pollution ke harmful effects se bachaye
बच्चों को प्रदूषण के दुष्प्रभावों से बचाएं। चित्र:शटरस्टॉक

3. बाहरी प्रदूषण से बचाव

प्रदूषण के पीक समय में बाहर जाने से बचें: खासकर शाम के समय, जब हवा में प्रदूषण का स्तर अधिक होता है, तब बच्चों को घर के अंदर ही रखें। अगर बाहर जाना आवश्यक हो तो सुबह का समय चुनें, जब वायु गुणवत्ता बेहतर होती है।

4. मास्क का उपयोग करें :

अगर बच्चों को बाहर जाना हो तो उन्हें एन95 या फिर साधारण 3 प्लाई मास्क पहनाएं । मास्क को रोज़ाना बदलें और दोबारा इस्तेमाल से बचें।

5. बच्चों को श्वसन राहत प्रदान करें

नेजल सलाइन ड्रॉप्स:

अगर बच्चों को नाक बंद महसूस हो रही है तो उनकी नाक में सलाइन ड्रॉप्स डालें, जो कि नाक को साफ़ रखने में मदद करता है। लेकिन, दवाइयों से बने ड्रॉप्स का उपयोग बिना डॉक्टर की सलाह के न करें।

स्टीम इनहेलेशन:

एक साल से बड़े बच्चों के लिए हल्का स्टीम इनहेलेशन करवाना मददगार हो सकता है। इसके लिए एक हल्के स्टीम मशीन का उपयोग करें और बच्चों को स्टीम देते समय सावधानी बरतें।

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6. हाइड्रेशन और डिटॉक्सिफिकेशन के उपाय

अधिक पानी पिलाएं:

बच्चों को नियमित अंतराल पर पानी, नारियल पानी और हल्के हर्बल टी देने से उनके शरीर से पोलूटेंट्स आसानी से बाहर निकल पाते है। इससे उनके फेफड़ों और श्वसन तंत्र को भी आराम मिलता है।

पोषक तत्वों से भरपूर भोजन दें:

हल्का उबला हुआ सूप और हरी सब्जियां बच्चों के लिए लाभकारी होती हैं। इनसे उन्हें ज़रूरी पोषक तत्व मिलते हैं, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) को बढ़ाते हैं और प्रदूषण से होने वाले नुक़सान को कम करते हैं।

7. अस्थमा और एलर्जी से ग्रसित बच्चों के लिए सावधानियां

बचाव की दवाइयां लें :

अगर बच्चे को अस्थमा या एलर्जी की समस्या है, तो डॉक्टर से परामर्श लेकर पहले से आवश्यक दवाइयाँ और इंजेक्शन ले लें। इससे अस्थमा अटैक और एलर्जी के लक्षणों को कम किया जा सकता है।

Bachcho ko asthma se bachane ke liye parents ka aware hona zyada zaruri hai
अगर बच्चे को अस्थमा है तो उसके लिए बचाव किट हमेशा तैयार रखें। चित्र : अडोबी स्टॉक

इमरजेंसी किट हमेशा तैयार रखें:

घर में एक इमरजेंसी किट रखें जिसमें बच्चों के लिए इनहेलर और एलर्जी के लिए अन्य दवाइयाँ होनी चाहिए। इनका सही समय पर उपयोग श्वसन समस्याओं को तुरंत कम करने में मदद करता है।

8. बाहर शारीरिक गतिविधियों को कम करें

बाहर खेल-कूद करने से बचें:

प्रदूषित हवा में गहरी सांस लेने से फेफड़ों पर दबाव पड़ सकता है। इसलिए, बाहर की गतिविधियों को कम करके घर में ही हल्की योग और साँस लेने के व्यायाम कराएं।

इन सभी उपायों से आप अपने बच्चों को दीवाली के बाद होने वाले प्रदूषण और उससे उत्पन्न श्वसन समस्याओं से बचा सकते हैं। इन उपायों का पालन करके बच्चों को सुरक्षित और स्वस्थ बनाए रखें, ताकि वे त्यौहार के बाद भी खुश और उत्साहित रहें।

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लेखक के बारे में
डॉ कुशल अग्रवाल
डॉ कुशल अग्रवाल

डॉ. कुशल अग्रवाल एक प्रसिद्ध नवजात शिशु विशेषज्ञ हैं और केवीआर अस्पताल, काशीपुर में नवजात शिशु चिकित्सा और बाल रोग विभाग के प्रमुख हैं। केवीआर अस्पताल एक मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल है, जो एनएबीएच द्वारा मान्यता प्राप्त है और उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्र में अत्याधुनिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करता है। वे इस अस्पताल के संस्थापक और मैनेजिंग पार्टनर भी हैं।

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