दालचीनी शुद्ध है या मिलावटी, इसकी जांच के लिए एक्सपर्ट की बताई 4 बातों का रखें ख्याल
आमतौर पर रेसिपीज़ का स्वाद और उसकी गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए चुटकी भर दालचीनी का इस्तेमाल किया जाता है। खड़े मसालों में से एक दालचीनी हर रसोईघर में आसानी से पाई जाती है। कुछ लोग इसे साबुत तो कुछ पीसकर इसका इस्तेमाल करते है। नेचुरल मिठास लिए हुए इस मसाले में पोटेशियम, मैग्नीशियम और मिनरल्स की उच्च मात्रा पाई जाती है। बाज़ार में आसानी से उपलब्ध ये मसाला दिखने में लकड़ी के समान नज़र आता है। इसी के चलते इसमें मिलावट का खतरा तेज़ी से बढ़ने लगा है। अगर आप भी असली और नकली में फर्क नहीं कर पा रही हैं, तो चलिए जानते हैं कैसे असली दालचीनी का पता (cinnamon purity test) लगाया जा सकता है।
दालचीनी क्यों है खास (Importance of cinnamon)
मेडिसिनल प्रॉपर्टीज़ से भरपूर दालचीनी में एंटीऑक्सीडेंटस की उच्च मात्रा पाई जाती है। इससे शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव कम हो जाता है, जो फ्री रेडिकल्स के खतरे को कम कर देता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार दालचीनी में एंटीइंफ्लामेटरी तत्व पाए जाते हैं। इसके सेवन से मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है और शरीर का इंसुलिन सेंसिटीवटि से भी बचाया जा सकता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार इसमें मौजूद डाइजेस्टिव एंजाइम पाचन के दौरान कार्बोहाइड्रेट ब्रेकडाउन को धीमा कर देते है। साथ ही दालचीनी में पाए जाने वाले कंपाउंड कोशिकाओं में चीनी के अवशोषण को बेहतर बनाने के लिए इंसुलिन के रूप में कार्य करते हैं।
असली और नकली दालचीनी में क्या है फर्क (How to identify real or fake cinnamon)
असल स्पाइस सीलोन की नरम छाल वाली दालचीनी है। इसे सिनामोमम वेरम (Cinnamomum verum) भी कहा जाता है। श्रीलंका में पाया जाता है। वहीं इसी तरह से दिखने वाला अन्य खाद्य पदार्थ कैसिया कहलाता है, जिसे सिनामोमम कैसिया (Cinnamomum cassia) नाम के पौधे से प्राप्त किया जाता है। आसानी से किसी भी स्टोर पर मिलने वाला ये मसाला दालचीनी की तुलना में सस्ता है। असल वाला जहां मुलायम और आसानी से टूट जाता है, तो ये बेहद सख्त है।
इस बारे में डायटीशियन डॉ अदिति शर्मा बताती हैं कि आमतौर पर पाउडर की फॉर्म में मिलने वाली दालचीनी खाने से परहेज करना चाहिए। उसमें अडल्ट्रेशन की संभावना सबसे ज्यादा पाई जाती है। इसके अलावा किसी भी मसाले को चैके करने के लिए उसे तोड़कर देखना आवश्यक है। अगर वो असल होगा, तो स्टिक के टूटते ही उसमें से सुगंध आने लगेगी। एंटीऑक्सीडेंटस से भरपूर इस मसाले का इस्तेमाल सूप बनाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा पुलाव और बिरयानी को भी खड़े मसालों का प्रयोग करके स्वादिष्ट बनाया जा सकता है। सर्दी के मौसम में चाय और काढ़ा बनाने के लिए भी इसे डाला जाता है।
असली दालचीनी का पता कैसे लगाएं (How to check pure cinnamon)
1. मसाले का रंग
इसकी खरीददारी के दौरान रंग का खास ख्याल रखें। असली का कलर रैडिश ब्राउन होने की जगह हल्का भूरा होता है। दरअसल, नकली मसाले को पॉलिश किया जाता है। ऐसे में हाथ में लेते ही उसका रंग हाथ पर दिखने लगता है। इस तरीके से असली दालचीनी की पहचान की जा सकती है।
2. तीखी और तेज़ स्मैल
मसाले के पैकेट को खोलते ही उसमें से तीखी गंध आती है, जो उसके असली होने का प्रमाण है। इसमें मौजूद सिन्नामेल्डिहाइड कंपाउड इसकी स्मैल को बरकरार रखता है। इसके चलते इस सुपरफूड का इसतेमाल इत्र बनाने के लिए भी किया जाता है।
3. स्वाद में मिठास होगी महसूस
हल्का सा तोड़कर चख लेने से मिठास का अनुभव होता है। प्राकृतिक मिठास के चलते इसका इस्तेमाल आइसक्रीम, पुडिंग और चॉकलेट में किया जाता है। दरअसल, इसमें मौजूद अरोमेटिक ऑयल इसकी सुगंध और स्वाद को बढ़ा देता है।
4. आकार और टैक्सचर में होता है फर्क
आमतौर पर इस मसाले की डंडियां अंदर की ओर मुड़ी होती है और उन्हें क्विल्स कहते हैं। इसके अलावा ये मुलायम होती हैं, जिसे आसानी से तोड़ा जा सकता है। वहीं नकली डंडियों में कांटे नज़र आते हैं और वो इसके मुकाबले सख्त और ठोस नज़र आती है।