घुटनों के दर्द में राहत दे सकती हैं ये 4 एक्सरसाइज़, यहां हैं इनके फायदे और अभ्यास का तरीका
घुटनों में दर्द रहना एक सामान्य समस्या है, जो गलत जूते पहनने और उंची नीची सड़क पर चलने समेत कई कारणो से बढ़ने लगता है। उम्र भी घुटनों में बढ़ने वाली समस्या का एक मुख्य कारण है। इसके कारण चलने फिरने और उठने बैने में तकलीफ का सामना करना पड़ता है। अक्सर लोग मांसपेशियों में बढ़ने वाली ऐंठन और सूजन को दवा खाकर दूर करने का प्रयास करते हैं। मगर कुछ आसान एक्सरसाइज़ इस समस्या को हल करने में मददगार साबित हो सकती है। जानते हैं घुटनों के दर्द को दूर करने के लिए आसान एक्सरसाइज़ (exercise to relieve knee pain)।
जर्नल अमेरिकन फैमिली फिजिशियन की रिपोर्ट के अनुसार लगभग 25 फीसदी लोगों को घुटने में दर्द का अनुभव होता है। रिपोर्ट के अनुसार पिछले 20 वर्षों में घुटने के दर्द के मामलों में 65 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
आर्थराइटिस फाउंडेशन के अनुसार, ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण घुटने के दर्द का सामना करना पड़ता है। उम्र से पहले हड्डियों की कमज़ोरी के कारण महिलाओं और वृद्ध वयस्कों में ये समस्या सामान्य रूप से पाई जाती है। इसके अलावा घुटने में अचानक चोट आना, कमज़ोर मांसपेशियों, ओबेसिटी और मसल्स इंबैलेंस होने भी इस समस्या को बढ़ा देता है।
घुटने के दर्द को दूर करने वाली एक्सरसाइज़ (Exercise to reduce knee pain)
1. क्लैम शेल एक्सरसाइज़ (Clam shell exercise)
हिप्स और ग्लूट्स को मज़बूती प्रदान करने वाली क्लैम शैल एक्सरसाइज़ को करने से चलने और उठने बैठने में मदद मिलती है। इसके नियमित अभ्यास से घुटनों की मांसपेशियों में लचीलापन बना रहता है, जिससे दर्द की समस्या हल हो जाती है।
- इस एक्सरसाइज को करने के लिए मैट पर सीधे लेट जाएं और दाहिनी तरफ करवट लें। दाहिने हाथ को उपर की ओर उठाएं।
- अब घुटनों को 90 डिग्री तक मोड़कर रखें और बाएं घुटने को जितना संभव हो उतना ओपन कर लें और फिर दूसरे घुटने पर रखें।
- 20 बार 2 सेट्स में इस एक्सरसाइज़ का अभ्यास करें। इससे घुटनों में बढ़ने वाले दर्द को कम किया जा सकता है।
2. साइड लेग रेज़ एक्सरसाइज़ (Side leg raise)
साइड लेग रेज एक बॉडीवेट एक्सरसाइज है, जिसे लेटकर या फिर खड़े होकर दोनों तरह से किया जा सकता है। इसे करने से ग्लूट्स, कोर और हैमस्ट्रिंग को मज़बूती मिलती है। इससे पेट के निचले हिस्से की मांसपेशियों पर प्रैशर बढ़ने लगता है।
जानें कैसे करें साइड लेग रेज़ एक्सरसाइज़
- इस एक्सरसाइज़ को करने के लिए बाई ओर करवट लेकर लेट जाएं और दोनों घुटनों को माड़कर रखें।
- अब दाई टांग को एकदम सीधा कर लें और टांग को जितना संभव को उपर उठाएं और फिर नीचे लेकर आएं।
- शरीर की क्षमता के अनुसार इस एक्सरसाइज़ का अभ्यास करें। इससे हिप्स मसल्स में प्रेशर बढ़ने लगता है, जिससे शरीर का लचीलापन बना रहता है।
3. स्टैटिक क्वाड स्ट्रेच (static quad stretch)
थाइज़ में सामने की ओर मौजूद मीस्ल को क्वाड्रिसेप्स मांसपेशियां कहा जाता है। इस व्यायाम को करने से इन मसल्स में खिंचाव आता है, जिससे ब्लड का सर्कुलेशन बढ़ने लगता है। इसे लेटकर या फिर खड़े होकर किया जा सकता है। इससे घुटनों के दर्द को कम किया जा सकता है।
जानें कैसे करें स्टैटिक क्वाड स्ट्रेच एक्सरसाइज़
- इस एक्सरसाइज़ को करने के लिए पेट के बल मैट पर लेट जाएं और फिर दोनों टांगों के मध्य दूरी बनाकर रखें।
- अब दाईं टांग को घुटनों से मोड़ते हुए हिप्स के पास लेकर आएं और उपर की ओर स्ट्रेच करें। इस दौरान गहरी सांस लें
- इसके बाद दाई टांग को ज़मीन पर रखें और बाई टांग को उपर की ओर लेकर आएं। 10 से 15 बार इस एक्सरसाइज़ का अभ्यास करें।
- नियमित रूप से इसका अभ्यास करने से घुटनों के दर्द को कम किया जा सकता है।
4. हैमस्ट्रिंग स्ट्रेच (Hamstring stretch)
हैमस्ट्रिंग मांसपेशियों की मज़बूती के लिए इस व्यायाम का अभ्यास करें। इससे शरीर का संतुलन बना रहता है और पीठ के निचले हिस्से के मसल्स रिलैक्स हो जाते है, जिससे दर्द व सूजन को कम किया जा सकता है।
जानें कैसे करें हैमस्ट्रिंग स्ट्रेच एक्सरसाइज़
- इस एक्सरसाइज़ को करने के लिए पीठ के बल लेट जाएं और दाई टांग को उपर की ओर उठा लें। इस दौरान गहरी सांस लें।
- अब तौलिए का लेकर दाएं पैर से घुमाकर नीचे की ओर खींचें। इससे घुटनों की मांसपेशियां रिलैक्स होने लगती हैं।
- शरीर की क्षमता के अनुसार इस व्यायाम का अभ्यास करें। उसके बाद दोनों टांगों को सीधा कर लें।
डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।