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Active v/s Hyperactive : कहीं आप भी अपने एक्टिव बच्चे को हाइपरएक्टिव तो नहीं समझ रहीं? समझिए इन दोनों में अंतर

यदि आपको लगता है कि आपका बच्चा हाइपरएक्टिव है और आप उसे सही से हैंडल नहीं कर पा रही हैं, तो यहां हैं हाइपरएक्टिव बच्चों को मैनेज करने के एक्सपर्ट टिप्स।
बच्चे को ऐसी एक्टिविटीज से जोड़ें, जो उसे मजेदार लगती हो। चित्र : शटरस्टाॅक
स्मिता सिंह Updated: 9 Aug 2022, 19:09 pm IST
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“मेरी फ्रेंड श्वेता मुझसे अपने 6 वर्षीय बेटे के बारे में अक्सर कहती है, ‘रघु बहुत ज्यादा शरारती है। वह एक पल भी स्थिर से नहीं बैठता। मुझे लगता है कि उसे कुछ मेंटल प्रॉब्लम है।” श्वेता जैसी मांओं की फेहरिस्त बहुत लंबी है, जो अपने बच्चे के बहुत ज्यादा एक्टिव होने या अत्यधिक शरारत करने की आदत को मेंटल प्राॅब्लम का नाम देती हैं। यह जानना जरूरी है कि बच्चों का एक्टिव होना किसी तरह की प्रॉब्लम नहीं है। विशेषज्ञ मानते हैं कि ब्रेन के डेवलपमेंट के लिए एक्टिव होना फायदेमंद है। हां हाइपर एक्टिविटी को ठीक ढंग से मैनेज न कर पाना नुकसानदेह हो सकता है। आइए समझते हैं दोनों के बीच का अंतर और यह भी कि आप अपने बच्चे को कैसे मैनेज (How to manage hyperactive child) कर सकती हैं।

एक पुरानी कहावत है कि बच्चे शरारत नहीं करेंगे, तो कौन करेगा! हालांकि हम इसे पूरी तरह नहीं मानते, पर यह बात तो मानी ही जा सकती है ज्यादातर बच्चे एक्टिव होते हैं। और उनकी इस एनर्जी को चैनलाइज किए जाने की जरूरत होती है। वरना बड़े होने पर उनका फोकस प्रभावित हो सकता है। अत्यधिक ऊर्जा उनकी पढ़ाई या दूसरे किसी कार्य को प्रभावित कर सकती है।

बच्चे की एनर्जी को करना चाहिए चैनलाइज 

डॉ. पल्लवी राव चतुर्वेदी (PHD) एक मशहूर पेरेंटिंग कोच हैं। इंस्टाग्राम पर गेट सेट पेरेंटिंग विद पल्लवी के नाम से वे इंस्टाग्राम पर पेरेंटिंग टिप्स भी देती हैं। अपने एक ताजा इंस्टाग्राम पोस्ट में उन्होंने पेरेंट्स से कहा है कि यदि आपको लगता है कि आपका बच्चा हाइपर एक्टिव है और आप उसे अधिक चौकस, अपने लक्ष्य के प्रति केंद्रित और कम हाइपर बनाना चाहती हैं, तो कुछ ट्रिक्स आपके काम आ सकती हैं। डॉ. पल्लवी ने सुपर एक्टिव बच्चों को मैनेज करने के 5 उपयोगी टिप्स (Tips to manage hyperactive children) बताए।

समझिए एक्टिव और हाइपरएक्टिव बच्चे में अंतर 

बच्चे दो तरह के होते हैं एक्टिव और हाइपर एक्टिव । यह सच है कि बच्चों में एनर्जी लेवल काफी हाई होता है। वे एक मिनट भी स्थिर नहीं रहना चाहते हैं। लेकिन सामान्य तौर पर यदि वे एक्टिव हैं, तो कोई समस्या नहीं है।

यदि वे सामान्य से अधिक एक्टिव हैं, तो इसका मतलब है कि वे हाइपर एक्टिव की श्रेणी में हैं। ऐसे बच्चे अंटेशन डेफिसिट हाइपर एक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) के शिकार हैं। बच्चों में यह समस्या इन दिनों खूब देखी जा रही है। यदि कोई बच्चा एडीएचडी का शिकार है, तो वह सामान्य से अधिक बोलता है, छोटी-छोटी बातों पर उसे तेज गुस्सा (Anxiety) आता है। किसी चीज के देने से मना करने पर वह तेज आवाज में चीखने-चिल्लाने लगता है। उसकी बातें बड़े उम्र वाले लोगों की तरह हो सकती हैं।

एक्टिव बच्चों के लिए यहां हैं डॉ. पल्लवी राव चतुर्वेदी के 5 महत्वपूर्ण पेरेंटिंग टिप्स

1 उम्र के हिसाब से चुनें इंट्रेस्टिंग एंगेजिंग एक्टिविटी

यदि आपका बच्चा 5 वर्ष का है, तो इस एज ग्रुप के बच्चे को किस तरह की एक्टिविटीज को करने में मजा आएगा या उसमें एंगेज हो पाएगा, उसका चुनाव कर, उससे बच्चे को जोड़ना होगा। इसमें आप वेबसाइट पर उपलब्ध पेरेंटिंग वीडियोज, आर्टिकल्स, पॉडकास्ट पर उपलब्ध कंटेंट आदि की मदद ले सकती हैं। 

2 स्थिर रहने की उम्मीद न करें 

डॉ. पल्लवी बताती हैं कि बच्चे की उम्र को 4 से मल्टीप्लाई करने के बाद जो रिजल्ट आते हैं, बच्चा उतने मिनट तक ही स्थिर बैठ सकता है। इससे अधिक समय तक उसके स्थिर रहने की अपेक्षा न करें। उदाहरण केे लिए आपका बच्चा यदि 5 वर्ष का है, तो 5x4=20 मिनट तक ही वह स्थिर रह सकता है। इसलिए हर 20 मिनट पर उसे ब्रेक लेने दें। इस ब्रेक में आप उसे किस तरह एंगेज करती हैं, यह आप पर निर्भर करता है।

3 फिजिकल एक्टिविटी में करें एंगेज 

खुद को फ्री रखने और बच्चे को शांत करने के लिए उसके हाथों में मोबाइल न थमाएं। इसकी बजाय उसे तरह-तरह की फिजिकल एक्टिविटीज में एंगेज करें। उसकी च्वॉइस के मुताबिक स्पोर्ट खेलने के लिए उसे प्रेरित करें। जो बच्चे हाइपर एक्टिव होते हैं, अलग-अलग तरह के खेलों में एंगेज कर उन्हें थकाना पड़ता है। जब थक कर वह घर आएगा, तो निश्चित तौर पर शांति से बैठ पाएगा।

अपने हाइपर एक्टिव बच्चे को स्क्रीन से नहीं, उसकी मनपसंद एक्टिविटी से जोड़ें। चित्र: शटरस्टॉक

4 डिस्ट्रैक्शन फ्री एनवॉयरन्मेंट का चुनाव

यदि आपका बच्चा पढ़ने बैठता है, तो उस दौरान घर में चल रहे टीवी को ऑफ कर दें। रिलेटिव से मोबाइल पर बातचीत न करें। संभव हो, तो स्विच ऑफ या म्यूट कर दें। उसके सामने किसी भी तरह के लड़ाई-झगड़े, बहस, शिकायतें आदि का पिटारा न खोल कर बैठें। आप जितना ही उसे डिस्टैक्शन फ्री एन्वॉयरन्मेंट देंगी, उतना ही वह अपनी पढ़ाई या दूसरी एक्टिविटीज में एंगेज हो पाएगा।

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5 मेंटेन करें डेली कैलेंडर

अपने बच्चे की एक्टिविटीज, पढ़ाई, खेल-कूद का पूरे सप्ताह का कैलेंडर बनाएं। उसके अनुरूप चीजों को मैनेज करें। ध्यान दें कि दोपहर में यदि उसे सोने की आदत है, तो नींद खुलने के बाद उसका एनर्जी लेवल हाई होगा। उस समय पढ़ाई या अपने मनोनुकूल काम में उसे एंगेज करें। पढ़ाई के बाद उसका एनर्जी लेवल लो होगा। फिर उसे अपनी रुचि के आर्ट ऐंड क्राफ्ट में एंगेज करें।

डायरी या कैलेंडर में तय की गई एक्टिविटीज के अनुसार, बच्चों को एंगेज करें। चित्र : शटरस्टॉक

चलते-चलते

बच्चे को प्रतिदिन केअरफुली ऑब्जर्व करें। आपको उसमें निश्चित तौर पर पॉजिटिव बदलाव दिखेंगे। यदि उसे दिन भर अपने कैलेंडर के मुताबिक एंगेज करने के बावजूद उसकी आदतों और व्यवहार में परिवर्तन नहीं देख पा रही हैं, तो पेडिएट्रिक्स से मिलने में हिचकें नहीं।   

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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