उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव आने लगते हैं और कई स्वास्थ्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। उन्हीं में से एक है डायबिटीज़। इस लाइफस्टाइल डिसऑर्डर के चलते शरीर में कई तरह के संकेत नज़र आने लगते हैं। इसके चलते न केवल महिलाओं के शरीर में थकान बढ़ने लगती है बल्कि डिहाइड्रेशन और वेजाइनल इंफेक्शन का खतरा बना रहता है। जानते हैं शरीर में नज़र आने वाले वो प्रारंभिक संकेत, जो डायबिटीज के खतरे (Diabetes in women) की ओर इशारा करते हैं।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार भारत में हर 1000 महिलाओं में से 24.4 फीसदी महिलाएं डायबिटीज़ का शिकार हैं। इसके अलावा 15 से 49 साल की 8.2 मीलियन महिलाएं इस समस्या से ग्रस्त हैं। एक अन्य रिसर्च के अनुसार मधुमेह से पीड़ित महिलाओं में पुरुषों की तुलना में हृदय रोग और कोरोनरी हृदय रोग से मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता है।
डायबिटीज़ मेटाबॉलिक रोगों का एक ग्रुप है जिसके चलते ब्लड में ग्लूकोज का स्तर बढ़ने लगता है और मधुमेह का खतरा बढ़ता है, जिसे ब्लड शुगर भी कहा जाता है। इसके तहत हार्मोन से इंसुलिन बनने की प्राक्रिया में बाधा आने लगती है। दरअसल, शरीर में मौजूद कार्बोहाइड्रेट से ऊर्जा बनाने और उपयोग करने के लिए इंसुलिन की आवश्यकता होती है।
शरीर में हाई ब्लड शुगर लेवल और हाइपरग्लाइसीमिया कैंडिडा संक्रमण का कारण बनने लगते हैं। इसे कैंडिडिआसिस भी कहा जाता है। दरअसल, शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी इस रोग के बढ़ने का कारण बनती है। ये संक्रमण माउथ, वेजाइना, पैरों और त्वचा को प्रभावित करता है। दरअसल, शरीर में शुगर का स्तर बढ़ने से संक्रमण आसानी से पनपने लगता है। यीस्ट संक्रमण से बचने के लिए खुले कपड़े पहनें और ब्लड शुगर लेवल को मेंटेन रखें।
बैक्टीरियल ग्रोथ बढ़ने के कारण इस समस्या का जोखिम बढ़ जाता है। इसके चलते यूरिन बार बार पास करना और वेजाइना के नज़दीक खुजली का सामना करना पड़ता है। साथ ही फ्लूइड बैलेंस को बनाए रखने के लिए भरपूर मात्रा में पानी पीएं। इसके चलते पेनफुल यूरिनेशन और बर्निंग सेंसेशन बढ़ने लगती है। साथ ही किडनी संक्रमण का जोखिम बढ़ने लगता है।
एनएचएस के अनुसार शरीर में मौजूद शुगर को जब एनर्जी के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता, तो ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ जाता है। इससे थकान का सामना करना पड़ता है और नींद न आने की भी समस्या बनी रहती है। शरीर मेंबढ़ने वाली थकान और कमज़ोरी एंग्ज़ाइटी और डिप्रेशन का कारण साबित होती है।
हाई ब्लड शुगर लेवल के चलते वेजाइना के आसापास ड्राइनेस बढ़ने लगती है, जिससे खुजली का सामना करना पड़ता है। इसके चलते नर्वस फाइबर डैमेज होने लगते हैं, जिससे रूखापन बढ़ने लगता है। दरअसल, शरीर में हार्मोनल बदलाव और ब्लड का फ्लो कम हो जाते से ये समस्या बढ़ने लगती है। इसके चलते लो लिबिडो, पेनफुल सेक्स और वेजाइनल इंफेक्शन की यंभावना बढ़ जाती है।
ऐसी स्थिति में महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम का जोखिम बढ़ने लगता है। दरअसल, शरीर में मेल हार्मोन एण्ड्रोजन का बढ़ता स्तर समस्या का कारण साबित होता है। जर्नल ऑफ मेनोपॉज रिव्यू के अनुसार टेस्टोस्टेरोन और एंड्रोस्टेनेडिओन वो मुख्य एण्ड्रोजन हैं, जो इस समस्या को बढ़ाते हैं। इसके चलते महिलाओं को इररेगुनर पीरियड, एक्ने, इनफर्टिलिटी और डिप्रेशन का सामना करना पड़ता है।
इस बारे में डायटीशियन और सर्टिफाइड डायबिटीज एजुकेटर डॉ अर्चना बत्रा बताती हैं कि
मधुमेह एक गंभीर वेलनेस इशु है। आहार में पौष्टिक खानपान को प्राथमिकता देकर, कार्ब्स के सेवन को नियंत्रित करके, शारीरिक गतिविधि बढ़ाकर और अपने तनाव दूर करके कम किया जा सकता हैं।
फाइबर की मात्रा को बढ़ाकर सोडियम, शुगर और अनहेल्दी फैट्स की मात्रा को नियंत्रित करने का प्रयास करें। इसके लिए आहार में ओट्स, क्विनोआ, दालें, हरी पत्तेदार सब्जियां और मौसमी फलों को शामिल करें। इससे ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखा जा सकता है।
पानी भरपूर मात्रा में पीएं, जिससे शरीर में मौजूद टॉक्सिक पदार्थों को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है। इसके अलावा शुगर लेवल को मेंटेन रखने के लिए कॉफी और चाय के सेवन को सीमित कर दें। इसकी जगह नारियल पानी और डिटॉक्स वॉटर शामिल करें।
लंबे समय तक तनाव से कोर्टिसोल का स्तर बढ़ सकता है, जिससे ब्लड शुगर लेवल का सामना करना पड़ता है। ऐसे में तनाव और एंग्जाइटी से बचें। इसके लिए रूटीन में गहरी साँस लेना, ध्यान लगान, योग का अभ्यास करना और पर्याप्त नींद ज़रूरी है।
शारीरिक गतिविधि में शामिल होने पर मानव शरीर इंसुलिन का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग करता है। सप्ताह में कम से कम 150 मिनट तक वॉक करें। इसके अलावा नियमित एरोबिक गतिविधि हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है और रक्त शर्करा को कम करती है।