बच्चे की परवरिश पेरेंटस के लिए एक उत्सव के समान है। उसे बढ़ते हुए देखना एक अनूठी खुशी का अनुभव प्रदान करता है। अब बच्चे के जन्म के साथ ही मां से उसका लगाव बढ़ने लगता है। बच्चा मां को पहचानने लगता है। डॉक्टर्स की रेकमेंडेशन के मुताबिक अधिकतर मदर्स एक साल तक बच्चे को ब्रेस्ट फीड (Breast feeding) करवाती है। अगर आप भी ऑफिस जाने के लिए अब तैयार है, मगर आपका बेबी ब्रेस्ट फीड पर है, तो खुद को उसके लिए पूरी तरह से रेडी कर लें ((how to go back to work after maternity leave)।
इसकी मदद से न्यू मदर्स अपना दूध एक बॉटल में निकालकर रख सकती है। जो बच्चे को दिनभर में भूख के हिसाब से उसे दिया जा सकता है। आप चाहें, तो इसे रेफ्रिजरेटर में भी स्टोर कर सकते हैं। दरअसल, दो प्रकार के ब्रेस्ट मिल्क पंप की मदद से आप दूध स्टोर कर सकते हैं। मैन्युअल पंप (Manual pump) से आप खुद दूध निकाल सकती हैं। वहीं इलेक्ट्रिक ब्रेस्ट पंप (Electric breast pump) बैट्री से ऑपरेट होता है।
इसे ब्रेस्ट पर लगाकर दूध अपने आप बॉटल में फिल होने लगता है। कामकाजी महिलाओं के साथ साथ होम मेकर्स भी इसका प्रयोग करती है। कई बार बच्चा जब पूरी तरह से दूध नहीं पी पाता, तो इसकी मदद से बच्चे को बॉटल में दूध पिलाया जाता है। इससे स्तन में गांठे भी बनने लगती है। ऐसे में दूध को निकालकर रखा जाता है।
दिनभर बच्चा जब मां से दूर रहता है, तो वो रोने लगता है। ऐसे में बच्चे को पैंपर करने के लिए और ब्रेस्ट फीडिंग के लिए रात का समय भी चुन सकती है। इससे बच्चा मन मुताबिक दूध पीकर गहरी नींद सो जाता है। इससे बच्चे को स्लीपिंग पैटर्न अपने आप बनने लगता है। साथ ही लंबे वक्त तक सोना बच्चे की ग्रोथ में भी मददगार साबित होता है।
बच्चे के जन्म के वक्त मां के स्तन से कोलोस्ट्रम आने लगता है। पीले रंग का ये तत्व बच्चे ही हेल्थ के लिए बेहद फायदेमंद होता है। चाइल्ड केयर उक्सपर्ट के मुताबिक पहले छह महीनों तक बच्चे को पूरी तरह से ब्रेस्ट फीडिंग पर रखने की सलाह दी जाती है, ताकि उसे सभी ज़रूरी पोषक तत्व प्राप्त हो सकें। उसके बाद बच्चे के डाईट प्लान में ठोस आहार को शामिल किया जाता है। इससे बच्चे को पेट आसानी से भर जाता है। अगर आप काम काजी महिला हैं और ब्रेस्ट फीड नहीं करवा पा रही हैं, तो छ महीनों के बाद डॉक्टरी सलाह से मील में फ्रूटस, दाल का पानी और दलिया देना आरंभ कर सकती है।
अगर आपका कार्यस्थल घर के नज़दीक है, तो आपको बच्चे के साथ समय बिताने का वक्त आसानी से मिल सकता है। इसके लिए आप लंच ब्रेक में घर आकर बच्चे को ब्रेस्ट फीड करवा सकते हैं। इसके अलावा आप ऑफिस के नज़दीक बच्चे को डे केयर सेंटर में डाल सकते है। इससे आप बच्चे को जाकर मिल सकते है। वहीं कुछ ऑफिस में डे केयर सेंटर्स भी बनाए जाते है। जहां बच्चों को रखा जाता है, ताकि न्यू मदर्स अपने बच्चे को जब चाहें, मिल सकें और फीड करवा पाएं।
डब्ल्यूएचओ (WHO) के हिसाब से प्रेगनेंसी के चलते मेंटल और फिजिकल स्ट्रेस महिलाओं में मिसकैरेज की वजह साबित हो सकता है। भारत के अलावा दुनिया के बहुत से देशों में मेटरनिटी लीव (Maternity leave) दी जाती है। मेटरनिटी बेनिफिट एक्ट 2017 के मुताबिक भारत में महिलाएं 26 सप्ताह की मेटरनिटी लीव ले सकती हैं।
वहीं प्रेगनेंट महिलाएं बच्चे के जन्म से पहले आठ सप्ताह की लीव ले सकती हैं। लेटेस्ट अमेंडमेंट के हिसाब से लीव खत्म होने के बाद एम्प्लाय के वर्क नेचर के हिसाब से उसे वर्क फ्रॉम होम दिया जा सकता है। आप अपने ऑफिस के नियमाें के बारे में जानें और जितना हो सके उतना मेटरनिटी लीव का लाभ लें।
बच्चे के जन्म के कुछ घंटों तक स्तन से निकलने वाला कोलोस्ट्रम बच्चों को बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाने का काम करता है। इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। ये एक ऐसा सुपरफूड है, जिसे किसी भी फॉर्मुला मिल्क से रिप्लेस नहीं किया जा सकता है। पीले रंग का ये चिपचिपा तत्व बच्चे की ग्रोथ में फायदेमंद होता है।
मां का दूध हल्का होता है, जो आसानी से पचनशील होता है। इससे न सिर्फ बच्चों का मानसिक विकास होता है बल्कि उनके डज्ञइजेस्टिव सिस्टम को भी मज़बूती मिलती है। इससे बच्चे को संपूर्ण पोषण की प्राप्ति भी होती है।
ब्रेस्ट फीडिंग मां के लिए भी एक वरदान है। प्रेगनेंसी के दौरान बढ़ हुए वज़न को कम करने के लिए आप कई तरीके अपनाती है। अगर आप बच्चे को नियमित तौर पर फीड करवा रही हैं, तो आपका वज़न अपने आप कम होने लगता है। इससे शरीर में कैलोरीज़ बर्न होने लगती हैं।
ये भी पढ़ें