Cricket and Anxiety : क्रिकेट मैच देखते हुए होने लगती है एंग्जाइटी, तो ये टिप्स आपके लिए हैं

बल्ले की चोट लगते ही हर बॉल पर अगर आपका दिल भी बाउंड्री पार चला जाता है, तो ऐसा महसूस करने वाले आप अकेले नहीं हैं। दुनिया भर में लाखों-करोड़ों लोग आप ही की तरह क्रिकेट मैच या कोई और स्पोर्ट्स देखते हुए एंग्जाइटी महसूस करते हैं।
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क्रिकेट वर्ल्ड कप का फ़ाइनल देखने से पहले अपने मन को संभाले और मानसिक रूप से स्वस्थ रहें। चित्र-अडोबीस्टाक

देश में भले ही फेस्टिव सीजन खत्म हो गया हो, लेकिन क्रिकेट के दीवानों के लिए असली त्योहार अभी बाकी है। भारत में चल रहे ‘क्रिकेट वर्ल्ड कप’ की दीवानगी लोगों में जमकर देखी जा रही है। स्टेडियम में बैठकर ‘इंडिया..इंडिया’ करके अपनी टीम को चीयर करना हो या अपने घर की ‘लकी कुर्सी’ पर बैठ कर मनगढ़ंत टोटके आजमाना हो, मैदान पर खेल रहे खिलाड़ियों से ज्यादा उनके फैंस को जीतने की टेंशन और स्ट्रेस (sports fan anxiety) होता है। हर स्ट्रेस लिमिट में हो तभी तक अच्छा है। वरना ये आपकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। अगर आप क्रिकेट मैच देखते हुए एंग्जाइटी महसूस करते हैं, तो जानिए इसे कैसे कंट्रोल (How to control anxiety while watching cricket match) करना है।

अपनी टीम को सपोर्ट करने के लिए फैंस हर वो कोशिश करते है, जितना उनके बस में होता है। लेकिन फ़ैन्स के लिए खेल में होने वाली चीज़े सिर्फ उस खेल तक ही नहीं रहती बल्कि उनके व्यक्तिगत जीवन और मेंटल हेल्थ को भी प्रभावित करती है।

स्वाभाविक तौर पर आपने ऐसे लोगों को देखा या उनके बारे में सुना होगा जो खेल देखते-देखते इतने मशगूल हो जाते हैं, जिससे खेल में होने वाले पलों के कारण उनकी मेंटल हेल्थ भी प्रभावित होने लगती है।

कम नहीं है फैन्स एंग्जाइटी (sports fan anxiety)

किसी भी खेल के दौरान फैंस को होने वाली एंग्जाइटी को आजकल के सोशल मीडिया के दौर में ‘ फैंग्जाइटी’ (Fanxiety) भी कहा जाता है। लेकिन खेल के दौरान होने वाले इस मानसिक बदलाव के कारण कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी देखने को मिलती है।

खेल और मानसिक तनाव के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के बीच का रिश्ता समझने के लिए किए गए तमाम अध्ययनों में यह पाया गया कि, यदि खेल व्यक्ति के लिए विशेष है या व्यक्ति इसके लिए बहुत रोमांचित है, तो यह शरीर पर इतना तनाव पैदा कर सकता है कि दिल का दौरा, स्ट्रोक या अन्य खतरनाक स्थितियां तक विकसित हो सकती हैं।

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मैच के दौरान खुद को यह याद दिलाएं की यह सिर्फ़ एक खेल ही है। चित्र-अडोबीस्टॉक

शोध में भी ‘स्पोर्ट एंग्ज़ाइटी’ को बताया गया ख़तरनाक

सन 2017 में कैनेडियन जर्नल ऑफ कार्डियोलॉजी के हुए एक अध्ययन में यह पाया गया कि, अपने पसंदीदा खेल को देखते समय 20 प्रतिभागियों में लगभग 35 प्रतिशत लोगों की हृदय गति 92% तक बढ़ गई। जिसके बाद रिपोर्ट के निष्कर्ष में यह बताया गया कि किसी भी प्रशंसक के लिए मैच देखना एक तीव्र शारीरिक तनाव (Acute Physical Stress) के बराबर हृदय गति प्रतिक्रिया से जुड़ा होता है।

वहीं, इसके बाद साल 1991 में नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की एक रिपोर्ट में ‘फुटबॉल फैंस’ का ओबजरवेशन किया गया, जिसमें यह पाया गया कि पूरे मैच के दौरान फ़ेंस का ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट उतार-चढ़ाव भरा रहा। वहीं, जब किसी फ़ैन की पसंदीदा टीम के द्वारा गोल होता था, तब उसका हार्ट रेट सबसे ज्यादा स्तर पर पहुंच जाता था।

हार्वर्ड हेल्थ में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, इसीलिए किसी भी ‘हाई-इंटेंसिटी वाले खेल’ के बाद हार्ट फेलियर और कार्डियक अरेस्ट जैसी समस्याओं को अधिक मात्रा में देखा जाता है। वहीं, इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि पूर्व में हाई-इंटेंसिटी गेम्स के बाद न्यूज़ीलैंड और जापान जैसे देशों में भी अलग-अलग उम्र के लोगों में हृदय गति रुकने के कई केस देखे गए।

इस मामले पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट ?

अपने पसंदीदा खेल में स्ट्रेस लेने के कारण होने वाली समस्याओं पर हेल्थशॉट्स ने बेंगलुरु स्थित कंसल्टेंट साइकेट्रिस्ट डॉ.पावना. एस से संपर्क किया। डॉ. पावना ने बताया की जब हम अपना पसंदीदा खेल देखते हैं तो, इससे हमारा दिमाग काफी प्रभावित होता है। खेल में होने वाली हर चीज़ हमारी मानसिक स्थिति पर प्रभाव डालती है, जिससे हमें ख़ुशी या स्ट्रेस होता है।

1 बढ़ जाती है इमोशनल एंगेजमेंट : डॉ. पावना बताती हैं कि पसंदीदा खेल देखने से हमारे दिमाग का भावनात्मक केंद्र ‘लिम्बिक सिस्टम’ सक्रिय हो जाता है। लिम्बिक सिस्टम के सक्रिय होने के कारण हमारा खेल से भावनात्मक जुड़ाव हो जाता है जिससे खेल, टीम या एथलीट के साथ हमारा दिमाग गहरा संबंध बना लेता है, जिससे खेल में होने वाली चीज़े हमें प्रभावित करने लगती है ।

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2 रिलीज हो जाते है न्यूरोट्रांसमीटर : डॉ.पावना बताती हैं कि जब भी हम किसी टीम को सपोर्ट करते हैं तो हमारा दिमाग डोपामाइन नामक ‘फील-गुड’ न्यूरोट्रांसमीटर को मुख्य रूप से रिलीज कर देता है, जिससे खेल को लेकर हमारा आनंद बढ़ता है और इससे हमें अधिक जुड़ाव हो जाता है।

टीम की जीत या हार के समय कैसे रिएक्ट करता है हमारा दिमाग

जिस टीम को हम सपोर्ट कर रहे होते हैं, उसकी हार या जीत पर हमारे दिमाग की प्रतिक्रिया बताते हुए डॉ.पावना कहती है कि जिस टीम को हम सपोर्ट कर रहे होते है यदि वो जीतती है तो, इस जीत से हमारा दिमाग सकारात्मक भावनाओं को प्रोड्यूस करता है और फील-गुड हॉर्मोन यानी डोपामाइन छोड़ता है, जिससे हमें उत्साहपूर्ण अनुभूति पैदा होती है। यह न्यूरोलॉजिकल प्रतिक्रिया न केवल टीम की सफलता का जश्न मनाती है बल्कि टीम के साथ भावनात्मक संबंध को भी मजबूत करती है।

लेकिन दूसरी ओर, जब हमारी टीम हारती है तो हमारा दिमाग प्रतिक्रियाओं के एक अलग सेट को ट्रिगर करता है और ‘स्ट्रेस हॉर्मोन’ यानी कोर्टिसोल जारी करता है, जिससे निराशा और तनाव की भावना पैदा होती है। यह शारीरिक प्रतिक्रिया असफलताओं के प्रति मस्तिष्क की प्राकृतिक प्रतिक्रिया का एक साधारण हिस्सा है।

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शारीरिक और मानसिक दोनों ही तरह से खेल के दौरान होने वाला स्ट्रेस हमें नकारात्मक तौर पर प्रभावित करता है। चित्र-अडोबीस्टॉक

खेल के दौरान हमारे दिमाग पर क्या असर पड़ता है ?

खेल के दौरान हमारे दिमाग पर काफी स्ट्रेस पड़ता है, जिससे हमें एंग्जाइटी सहित कई अन्य समस्याएं भी देखने की मिलती है। इस मामले पर डॉ. पावना बताते है कि, शारीरिक और मानसिक दोनों ही तरह से खेल के दौरान होने वाला स्ट्रेस हमें नकारात्मक तौर पर प्रभावित करता है। ऐसे में कुछ मुख्य फैक्टर्स हैं, जिन्हें ऐसी समस्याएं ट्रिगर करती है।

1 शारीरिक प्रतिक्रिया पर असर पड़ता है

डॉ. पावना का मानना हैं कि खेल के दौरान चिंता एक शारीरिक प्रतिक्रिया को ट्रिगर करती है, जिसमें हार्ट रेट तेज़ होना, हाई ब्लड प्रेशर और मांसपेशियों में तनाव शामिल है। साथ ही शारीरिक तौर पर खेल में होने वाले उतार-चढ़ाव व्यक्ति के हृदय स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक भी हो सकते है।

2 एड्रेनालाईन में हो सकता है उछाल

डॉ. पावना के अनुसार, महत्वपूर्ण क्षणों में बढ़े हुए मानसिक स्तर के कारण व्यक्ति में एड्रेनालाईन उछाल होता है। आमतौर पर एड्रेनालाईन तुरंत निर्णय लेने और सतर्कता के लिए आवश्यक होता है, लेकिन खेल देखते समय यह चिंता और बेचैनी की भावनाओं को बढ़ाने का कारण बन सकता है।

3 स्वास्थ्य समस्याएं भी विकसित हो सकती है

डॉ. पावना के अनुसार, खेल देखते समय हम कई तरह की ऐसी प्रतिक्रियाएं भी करते हैं, जो शारीरिक रूप से हमें परेशान कर सकती है। अक्सर लंबे समय तक बैठकर हम अपने पसंदीदा खेल का आनंद उठाते रहते है, जिसके कारण मांसपेशियों संबंधी कई समस्याएं उत्पन्न में कमी हो सकती हैं। साथ ही मैच देखते समय कई लोग लगातार जंक फूड खाते हैं, जिससे उन्हें पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती है।

ऐसी स्थिति में आपको क्या करना चाहिए? (How to deal with sports fan anxiety)

1 आपस में बात करें – खेल देखते समय लोग इतने मशगूल हो जाते है कि आसपास बैठे लोगों से बात करना ही भूल जाते है, जिसके कारण वे उस समय खेल को ही सबकुछ मानने लगते है। ऐसा करने वे अपने मानसिक स्वास्थ्य को क्षति पहुंचाते है।

2 पानी पिएं – खेल देखते समय पानी पीते रहें क्योंकि पानी हमारे शरीर की टॉक्सिसिटी को बाहर निकालने का काम करता है, जिसके कारण मानसिक और शारीरिक स्तर पर शरीर को तनाव नहीं होता।

3 उल्टी गिनती गिनें – यदि आपको लगता है कि मैच ऐसी स्थिति में फंस गया है, जहां से आगे कुछ भी हो सकता है, तो चिल्लाएं या गुस्साएं नहीं बल्कि अपने मन में ही उल्टी गिनती गिनना शुरू कर दे, ऐसा करके आपके अंदर पेशंस आएगा।

4 बेहतर है वहां से उठ जाएं – यदि आपको लग रहा है कि जैसा आपने सोचा था, मैच वैसे नहीं जा रहा है तो खिलाड़ियों या खुद पर झुंझलाने से अच्छा है कि आप वहां से उठ कर चले जाएं।

5 दोहराएं कि यह सिर्फ एक खेल है – वहीं, अगर खेल के परिणाम आपके अनुरूप नहीं आएं, तो निराश और हताश होने की कोई आवश्यकता नहीं हैं। अपने मन को समझाएं कि यह मात्र एक खेल ही है। इसके अलावा दुनिया और भी है।

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लेखक के बारे में

पिछले कई वर्षों से मीडिया में सक्रिय कार्तिकेय हेल्थ और वेलनेस पर गहन रिसर्च के साथ स्पेशल स्टोरीज करना पसंद करते हैं। इसके अलावा उन्हें घूमना, पढ़ना-लिखना और कुकिंग में नए एक्सपेरिमेंट करना पसंद है। जिंदगी में ये तीनों चीजें हैं, तो फिजिकल और मेंटल हेल्थ हमेशा बूस्ट रहती है, ऐसा उनका मानना है। ...और पढ़ें

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