बहुत से बच्चे रात में सोने में वक्त लगाते है। वर्किंग होने के कारण जहां पेरेंट्स को ऑफिस की चिंता सताने लगती है, वहीं बच्चे देर रात तक खेलने कूदने में मसरूफ रहते हैं। लेट नाइट सोने के कारण बच्चों के साथ-साथ पेरेंट्स की भी नींद डिस्टर्ब होने लगती है। कुछ बच्चे ऐसे होते हैं, जो समय पर सो तो जाते हैं, मगर मिड नाइट उठकर तंग करने लगते हैं। बच्चों का ऐसा व्यवहार माता पिता के लिए परेशानी का सबब बन जाता है। अगर आप भी चाहते हैं कि आपका बच्चा अच्छी नींद ले तो इन टिप्स का अवश्य ध्यान रखें (how to give healthy sleep to kids)।
साल 2008 की एक कनाडियन स्टडी के मुताबिक, वो बच्चे जिनकी उम्र 3 साल से कम है और जो रात में 10 घंटे से कम नींद लेते हैं। उनमें भाषा और पढ़ने की समस्याएं विकसित होने का अधिक जोखिम रहता है। दरअसल, दिन के दौरान बच्चा जो कुछ भी सीखता है, उसका दिमाग रात में सोते वक्त उसे स्टोर करने का काम करता है।
एमबीबीएस, चाइल्ड एंड न्यू बॉर्न स्पेशलिस्ट डॉ अभिषेक नायर कहते हैं बच्चों के लिए पढ़ाई, खान पान और अन्य एक्टिविटीज़ के साथ साथ हेल्दी स्लीप बेहद ज़रूरी है। अगर बच्चे भरपूर नींद लेंगे, तो इससे उनका मानसिक और शारीरिक विकास पूर्ण रूप से होगा। जब बच्चे सोते हैं, तो उस वक्त नींद में पाइनियल ग्लैण्ड से मेलाटोनिन नाम का हार्मोंन सिक्रीट होता है। इससे बच्चे को गहरी नींद आने लगती है। इसके लिए बच्चों को सोने से चार से पांच घंटे पहले स्क्रीन से दूर रखना चाहिए।
नवजात शिशुओं को 14 से 17 घंटे सोना चाहिए
4 महीने से 1 साल के बच्चे को 12 से 16 घंटे
1 से 2 साल के बच्चे को 11 से 14 घंटे
3 से 5 साल के बच्चे को 10 से 13 घंटे
6 से 12 साल के बच्चों को 9 से 12 घंटे
13 से 18 साल के टीनएजर्स को 8 से 10 घंटे
ये टिप्स करेंगे बच्चों को जल्दी सुलाने में आपकी मदद
अगर आपके कमरे में देर तक लाइट जलती रहेंगी, तो बच्चे आसानी से नहीं सो पाएंगे। ऐसे में कमरे में मौजूद सभी लाइट्स को बंद कर दें। अधिकतर बच्चे अंधेरे में गहरी नींद सोते हैं।
आजकल भले ही अलग कमरों का चलन है। मगर मां का स्पर्श बच्चे के विकास में अहम भूमिका अदा करता है। जब भी आप बच्चे को सुलाते हैं, तो कोशिश करें कि खुद भी उसके साथ ही सोएं। दरअसल, ऐसे में बच्चा खुद को अपने पेरेंटस के साथ महफूस समझता है। उसे किसी चीज़ का डर और भय नहीं रहता है।
एक रिसर्च की मानें, तो दिनभर में 10 से 15 मिनट की मालिश बच्चों के शरीर को आराम पहुंचाती है। इससे बच्चे के मसल्स रिलैक्स होने लगते हैं और शारीरिक अंगों में होने वाली दर्द दूर हो जाती है। सोने से कुछ देर पहले बच्चे की मालिश करना न भूलें।
डॉ अभिषेक नायर का कहना है कि बच्चों को सुलाने के लिए नियमबद्ध तरीके से समय का ध्यान रखें। रात को आठ बजे या नौ बजे, आप अपने हिसाब से बच्चे को सोने के लिए तैयार करें। अगर आप इसे रूटीन में शामिल करेंगी, तो बच्चा अपने आप उस समय पर सोने लगेगा।
बाकी बच्चों के साथ उसे भी खेलने के लिए बाहर भेजें। अगर आप बाहर नहीं भेज सकती, तो बच्चे को कुछ देर पार्क ले जाएं या स्पोर्टस काम्प्लेक्स में बच्चों को कोई भी स्पोर्टस ज्वाइन करवाएं। इससे बच्चे के शारीरिक विकास के साथ मानसिक विकास भी होने लगता है। दरअसल, कुछ देर लगातार खेलने से बच्चे को थकान महसूस होने लगती है। इसके चलते वो अपने आप समय से सो जाता है।
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कस्टमाइज़ करेंडॉ अभिषेक के मुताबिक बच्चों की मील्स को लेकर पेरेंटस का सतर्क होना बेहद ज़रूरी है। अगर बच्चे समय से खाना खाएंगे, तभी वे सही वक्त पर सो पाएंगे। ऐसे में बच्चों समय से डिनर करवाने के बाद उन्हें कुछ देर टहलने दें, ताकि खाना डाइजेस्ट हो सके। नियम के मुताबिक बच्चों को रात नौ बजे तक सुला दें। इसके चलते बच्चे सुबह आसानी से उठ सकते हैं।
अधिकतर मामलों में ऐसा देखा गया है कि बच्चे घंटों तक टैब और मोबाइल फोन में मसरूफ रहते है। ऐसे में बच्चों को स्क्रन टाइम कम करे। डॉ अभिषेक का कहना है कि दिनभर में बच्चों को मात्र 45 मिनट तक गैजेट देखने की छूट देनी चाहिए। इसके अलावा दो साल से कम उम्र के बच्चों को इनसे दूर रखना चाहिए। साथ ही शाम सात बजे के बाद बच्चों को गेजेटस से दूर रखना चाहिए। इससे बच्चों को नींद आने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।
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