तापमान का गिरता स्तर व्यक्ति के शरीर में शारीरिक और मानसिक बदलाव का कारण साबित होने लगता है। बढ़ती ठिठुरन से न केवल आलस बढ़ता हैं बल्कि व्यायाम करने और नहाने से भी कुछ लोग कतराने लगते हैं। सर्दियों में आलस्य से निपटने और स्वास्थ्य को हेल्दी बनाए रखने के लिए कई टिप्स को फॉलो करते हैं। मगर नहाने से लगने वाले डर को अक्सर इग्नोर कर देते हैं। जानते हैं सर्दी के मौसम में क्यो नहाने से लगने लगता है डर (Too lazy bath in winters) और इससे निपटने के लिए किन टिप्स की लें मदद।
इस बारे में इंटरनल मेडिकल एक्सपर्ट डॉ पी वेंकट कृष्णन बताते हैं कि सर्दियों में आलस्य कई कारणों से हो सकता है। आमतौर पर सूरज की रोशनी के संपर्क में न आने से इस समस्या का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा मौसम की स्थिति के कारण आपकी शारीरिक गतिविधियों में भी बदलाव बढ़ने लगता है। इसके चलते सर्दियों में व्यक्ति खुद को सुस्त और थका हुआ महसूस करने लगता है।
समय के साथ दिन, माह और मौसम में बदलाव आने लगता है। ठंड के मौसम में अधिकतर लोग एन्टीसिपेशन का शिकार होने लगते है। इसके चलते वे खुद को बीमारी, थका हुआ और तनाव महसूस करत हैं। ऐसे में ठंड से कतराने की जगह उसके कारणों को समझकर सुलझाने का प्रयास करें। जानतें हैं किन कारणों सें सर्दी में नहाने से अधिकतर लोग तकराते हैं।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार सर्दियों में कम समय के लिए धूप निकलने और जल्द अंधेरा हो जाने से शरीर में मेलाटोनिन का उत्पादन बढ़ने लगता है। इसके चलते व्यक्ति को थकान महसूस हो सकती है। साथ ही सीज़नल एफिसिट डिसऑर्डर का सामना भी करना पड़ता है। इसके चलते विंटर ब्लूज़ की समस्या बनी रहते है, जिससे व्यक्ति दिनभर नहाने के लिए तैयार नहीं होता है।
गर्म कपड़ों की दो से तीन लयेर्स पहनकर लोग खुद को कोज़ी महसूस करने लगते है। इसके अलावा कॉफी, चाय और सूप जैसे गर्म पेय पदार्थ बॉडी हीट को बनाए रखते हैं। अब शरीर को गर्माहट मिलने से वे संतुष्ट महसूस करते हैं, जिसके चलते नहाने से कतराने लगते हैं।
एक्जिमा या सोरायसिस जैसी त्वचा संबंधी समस्याएं पानी के संपर्क में आने पर असुविधा पैदा करने लगती हैं। इसके चलते सर्दी में लोग नहाने से पूरी तरह से बचते हैं। इसके अलावा कुछ दवाओं का सेवन त्वचा का रूखापन या संवेदनशीलता बढ़ा सकती हैं। जिससे नहाना आसान बनने लगता है।
सर्दी के दिनो में शरीर की सर्कैडियन रिदम लाइट और तापमान से प्रभावित होने लगती है। इससे नींद चक्र को बाधित किया जा सकता है। इसके अलावा ठंड के कारण मेटाबॉलिज्म बूस्ट होने लगता है, जिसके लिए शरीर को अधिक नींद की आवश्यकता होती है। भरपूर मात्रा में नींद लेने से अधिकतर लोग नींद को अवॉइड करने लगते हैं।
सर्दी भी मौसम चक्र का एक हिस्सा है। मगर अधिकतर लोगों को मौसम में आने वाले बदलाव के साथ डर का सामना करना पड़ता है। उनके अनुसार ठंड से शरीर को नुकसान पहुंच सकता है, जिसके चलते वे नकाने से कतराने लगते है।
ठंड आते ही लोगों में मन में बीमार पड़ने का डर बढ़ने लगता है। लोग इस बात से डरे और सहमे रहते हैं कि नहाने से उन्हें ठंड लग जाएगी और वे बीमार पड़ जाएंगे। ऐसे में अधिकतर लोग सर्दी में कई दिनों तक बिना नहाए ही रहते हैं।
ठंड से डरने की जगह उसको एजॉय करें। इस बात को समझने की आवयकता है कि ये मौसम का एक चक्र है। इसमें कभी गर्मी तो कभी ठंड का सामना करना पड़ता है। अपना मांडसेट पॉज़िटिव बनाए रखें। अन्य मौसम के समान इसे भी स्वीकार करना सीखें।
मन ही मन इस बात को एन्टीसिपेट कर लेने से कि शरीर ठंड में बीमार हो जाएगा मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में अपने व्यवहार को सकारात्मक रखने की कोशिश करें। इससे न नहाने की समस्या हल होने लगती है।
कुछ योग मुद्राओ की मदद से शरीर को गर्माहट प्रदान की जाती है। इन्हें नियमित तौर पर करने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ने से इंटरनल हीट जनरेट होती है। इससे स्वास्थ्य उचित बना रहता है। दिन में 15 से 30 मिनट योगासनों का अभ्यास अवश्य करें।
ज्यादा ठंड महसूस करने के कारण अधिकतर लोग खुद को घर में बंद कर लेते है। इससे शरीर में हार्मोनल इंबैलेंस बढ़ने लगता है। ऐसे में रोज़ाना नहाएं और घर से बाहर भी निकलें। इससे सुस्ती, अनिद्रा और आलस्य से बचा जा सकता है।