हम सभी जानते हैं कि डिजिटल तकनीक और उपकरणों की उत्पत्ति कई साल पहले हो चुकी है। हांलाकि पिछले कुछ दशकों में तकनीक के क्षेत्र में जितनी तीव्र गति से विकास और अविष्कार हुआ है उतना अन्य क्षेत्रों में नहीं। इनमें डिजिटल तकनीक जिस महत्वपूर्ण चीज़ पर निर्भर है, उसको इंटरनेट कहा जाता है, जिसके माध्यम से पूरी दुनिया तक अपनी पहुंच ले जा सकते हैं। मगर जहां डिजिटल प्लेटफार्म (Digital platform) ने हमें दुनिया से जोड़ा है, तो वहीं कुछ मामलों में अलग थलग भी किया है। इंसान पर डिजिटल माध्यम (Digital addiction) इस कदर हावी हो चुका है कि ये एक आदत या लत के रूप में हमारे मन, मस्तिष्क और व्यवहार में शामिल हो चुका है।
मौजूदा समय में ये एडिक्शन डिजिटल एडिक्शन (Digital addiction), इंटरनेट एडिक्शन, मोबाइल एडिक्शन, स्क्रीन एडिक्शन, सोशल मीडिया एडिक्शन और विडियोगेम एडिक्शन के नाम से जाना जाता है। हाल ही के कुछ वर्षों में ये एक विश्वव्यापी समस्या बन चुकी है। दरअसल डिजिटल माध्यम का अत्यधिक प्रयोग व्यक्ति के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है।
इंडियन जर्नल ऑफ यूथ एंड एडॉलेसेंट के अनुसार अगस्त 2020 से जनवरी 2021 तक एक रिसर्च किया गया। 318 लोगों पर हुए इस रिसर्च में 60 फीसदी लोगों ने हर दिन चार घंटे से अधिक समय तक इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स (electronic gadget) का इस्तेमाल किया। इसमें से 80 फीसदी का मानना है कि इंटरनेट बहुत जरूरी है और 69.2 प्रतिशत लोगों ने स्क्रीन के अधिक उपयोग को स्वीकार किया। वहीं 28.9 फीसदी में इंटरनेट एडिक्शन (internet addiction) पाई गई।
डिजिटल उपकरणों पर हानिकारक निर्भरता डिजिटल एडिक्शन कहलाता है। ये तक होती है, जब तकनीक व्यक्ति के जीवन को नुकसान पहुंचाने लगती है और इसके हानिकारक प्रभावों को जानने के बाद उसे रोकना मुश्किल लगने लगता है। साथ ही व्यक्ति की तर्कसंगत रूप से सोचने की क्षमता प्रभावित होने लगती है। हानिकारक प्रभावों को जानने के बाद भी इसका खत्म करने के लिए प्रयास नहीं करते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि डिजिटल एडिक्शन को अन्य किसी एडिक्शन के समान ही माना जाना चाहिए।
फेन पर बार बार आने वाली नोटिफिकेशन उपकरण की ओर ध्यान आकर्षित करती है, जिससे फोन का एडिक्शन बढ़ने लगता है। ऐसे में अपने काम पर फोकस बनाए रखें और नोटिफिकेशन को सदैव बंद करके रखने का प्रयास करें। इससे मोबाइल से दूरी बनाए रखने में मदद मिलती है।
दिनभर मोबाइल को देखने और नोटिफिकेशन को चेक करने की जगह एक समय तय कर लें। इससे फोन पर बार बार ध्यान जाने की समस्या हल हो जाएगी। साथ ही कार्यक्षमता को प्रभावित होने से भी बचा या जा सकता है। दिन में कोई भी एक समय मोगाइल चेक करने के लिए निर्धारित कर लें।
अपने मोबाइल को हाथ में लेने से पहले टाइमर सेट कर लें। इससे उपकरण पर बिताए समय की जानकारी मिलने लगती है और व्यक्ति एडिक्शन से बच जाता है। हर बार जब भी फोन का इस्तेमाल करें, तो कोशिश करें कि पहले से कम समय के लिए इसे प्रयोग में लाएं।
जब डिजिटल उपकरण को देखने की तीव्र इच्छा बढ़ने लगे, तो अपने ध्यान को मोबाइल से हटाकर अन्य कार्यों में लगाएं। इससे उपकरण को इस्तेमाल करने की इच्छा कम होने लगती है और व्यक्ति का ध्यान अन्य कार्यों में बंट जाता है। मांइड को डायवर्ट करने से मानसिक स्वास्थ्य उचित बना रहता है।
उपकरण का अत्यधिक इस्तेमाल करने से नींद के घंटे कम होने लगते है। अपने उपकरण पर सीमित संख्या में एप्प डाउनलोड करें। सोने से पहले उपकरण को अपने आसपास रखने से बचें। इससे नींद की गुणवत्ता में सुधार आने लगता है और व्यक्ति तनाव से भी दूर रहता है।