EXPERT SPEAK

28 फीसदी लोग हैं डिजिटल एडिक्शन का शिकार, जानें मानसिक स्वास्थ्य का कैसे रखें ख्याल

डिजिटल प्लेटफार्म ने जहां दुनिया को जोड़ा है, तो वहीं कुछ मामलों में अलग थलग भी किया है। इंसान पर डिजिटल माध्यम इस कदर हावी हो चुका है कि ये एक आदत या लत के रूप में हमारे मन, मस्तिष्क और व्यवहार में शामिल हो चुका है।
Digital addiction kise kehte hain
डिजिटल उपकरणों पर हानिकारक निर्भरता डिजिटल एडिक्शन कहलाता है। ये तब होती है, जब तकनीक व्यक्ति के जीवन को नुकसान पहुंचाने लगती है चित्र ; शटरस्टॉक
Updated On: 11 Oct 2024, 06:05 pm IST
  • 142

अंदर क्या है

  • डिजिटल एडिक्शन किसे कहा जाता है
  • डिजिटल एडिक्शन की कैसे करें पहचान
  • डिजिटल एडिक्शन के दुष्प्रभाव
  • डिजिटल एडिक्शन से कैसे पाएं राहत

हम सभी जानते हैं कि डिजिटल तकनीक और उपकरणों की उत्पत्ति कई साल पहले हो चुकी है। हांलाकि पिछले कुछ दशकों में तकनीक के क्षेत्र में जितनी तीव्र गति से विकास और अविष्कार हुआ है उतना अन्य क्षेत्रों में नहीं। इनमें डिजिटल तकनीक जिस महत्वपूर्ण चीज़ पर निर्भर है, उसको इंटरनेट कहा जाता है, जिसके माध्यम से पूरी दुनिया तक अपनी पहुंच ले जा सकते हैं। मगर जहां डिजिटल प्लेटफार्म (Digital platform) ने हमें दुनिया से जोड़ा है, तो वहीं कुछ मामलों में अलग थलग भी किया है। इंसान पर डिजिटल माध्यम (Digital addiction) इस कदर हावी हो चुका है कि ये एक आदत या लत के रूप में हमारे मन, मस्तिष्क और व्यवहार में शामिल हो चुका है।

मौजूदा समय में ये एडिक्शन डिजिटल एडिक्शन (Digital addiction), इंटरनेट एडिक्शन, मोबाइल एडिक्शन, स्क्रीन एडिक्शन, सोशल मीडिया एडिक्शन और विडियोगेम एडिक्शन के नाम से जाना जाता है। हाल ही के कुछ वर्षों में ये एक विश्वव्यापी समस्या बन चुकी है। दरअसल डिजिटल माध्यम का अत्यधिक प्रयोग व्यक्ति के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है।

इंडियन जर्नल ऑफ यूथ एंड एडॉलेसेंट के अनुसार अगस्त 2020 से जनवरी 2021 तक एक रिसर्च किया गया। 318 लोगों पर हुए इस रिसर्च में 60 फीसदी लोगों ने हर दिन चार घंटे से अधिक समय तक इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स (electronic gadget) का इस्तेमाल किया। इसमें से 80 फीसदी का मानना है कि इंटरनेट बहुत जरूरी है और 69.2 प्रतिशत लोगों ने स्क्रीन के अधिक उपयोग को स्वीकार किया। वहीं 28.9 फीसदी में इंटरनेट एडिक्शन (internet addiction) पाई गई।

Mobile phone ke nuksaan
डिजिटल माध्यम का अत्यधिक इस्तेमाल एक विश्वव्यापी समस्या बनकर उभर रहा है। चित्र : शटरस्टॉक

सबसे पहले जानते हैं डिजिटल एडिक्शन किसे कहा जाता है

डिजिटल उपकरणों पर हानिकारक निर्भरता डिजिटल एडिक्शन कहलाता है। ये तक होती है, जब तकनीक व्यक्ति के जीवन को नुकसान पहुंचाने लगती है और इसके हानिकारक प्रभावों को जानने के बाद उसे रोकना मुश्किल लगने लगता है। साथ ही व्यक्ति की तर्कसंगत रूप से सोचने की क्षमता प्रभावित होने लगती है। हानिकारक प्रभावों को जानने के बाद भी इसका खत्म करने के लिए प्रयास नहीं करते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि डिजिटल एडिक्शन को अन्य किसी एडिक्शन के समान ही माना जाना चाहिए।

कैसे पहचानें कि आप है डिजिटल एडिक्शन का शिकार (How to know if you are a victim of digital addiction)

  • क्या हम समय गुज़ारने के लिए डिजिटल माध्यम का सहारा लेते हैं, जब कि कुछ और उपयोगी कार्य कर सकते हैं।
  • फोन का इस्तेमाल करते वक्त समय का अंदाज़ा नहीं हो पाता है। लोगों से बात करते वक्त उपकरण पर नज़र रहना
  • मोबाइल और डिजिटल उपकरण पर समय बिताने की अवधि का दिनों दिन बढ़ते चले जाना
  • अन्य कारणों को छोड़कर या बीच में रोककर अपने डिजीटल उपकरण पर लगातार समय बिताना
  • कम समय के लिए डिजिटल उपकरण से दूर होने पर बेचैनी का एहसास होना
  • आपको ये लगना कि डिजिटल उपकरण का उपयोग अन्य दैनिक उपयोगी कार्यों को कम कर देता है
  • कुछ नया न होने पर भी डिजिटल उपरण को बार बार चेक करते रहना
  • डिजिटल उपकरण खराब होने पर या नेटवर्क की समस्या होने पर खुद को परेशान, मायूस, तनावपूर्ण, बीमार और असहज महसूस करना

डिजिटल एडिक्शन के दुष्प्रभाव (Side effects of digital addiction)

  • सिर, हाथ, गर्दन और पीठ में दर्द बढ़ने लगता है। इसके अलावा आंखों में धुंधलापन और वाहन दुर्घटना का खतरा बना रहता है।
  • उदासी, चिड़चिड़ापन, अवसाद, चिंता, आक्रामकता तथ व्यवहारिक समस्याओं के होने की आशंका।
  • सामाजिक तथ पारिवारिक संबधों में कटुता और नकारात्मकता का उत्पन्न होना। वैवाहिक जीवन टूटने की कगार पर पहुंच जाना।
  • शैक्षिक तथा व्यवसायिक स्तर में गिरावट आ जाना तथा आर्थिक नुकसान उठाना।
  • जब स्थिति अधिक भयावह हो तो व्यक्ति खुद को नुकसान पहुंचाने से भी नहीं हिचकिचाता है और आत्मघाती कदम उठा लेता है।
bed pr na karein mobile use
सोने से पहले मोबाईल फ़ोन के प्रयोग से बचें। चित्र- अडोबी स्टॉक

डिजिटल एडिक्शन से कैसे पाएं राहत (tips to deal with digital addiction)

1. नोटिफिकेशन को बंद कर दें

फेन पर बार बार आने वाली नोटिफिकेशन उपकरण की ओर ध्यान आकर्षित करती है, जिससे फोन का एडिक्शन बढ़ने लगता है। ऐसे में अपने काम पर फोकस बनाए रखें और नोटिफिकेशन को सदैव बंद करके रखने का प्रयास करें। इससे मोबाइल से दूरी बनाए रखने में मदद मिलती है।

2. उपकरण देखने के लिए समय करें निर्धारित

दिनभर मोबाइल को देखने और नोटिफिकेशन को चेक करने की जगह एक समय तय कर लें। इससे फोन पर बार बार ध्यान जाने की समस्या हल हो जाएगी। साथ ही कार्यक्षमता को प्रभावित होने से भी बचा या जा सकता है। दिन में कोई भी एक समय मोगाइल चेक करने के लिए निर्धारित कर लें।

3. टाइमर सेट कर लें

अपने मोबाइल को हाथ में लेने से पहले टाइमर सेट कर लें। इससे उपकरण पर बिताए समय की जानकारी मिलने लगती है और व्यक्ति एडिक्शन से बच जाता है। हर बार जब भी फोन का इस्तेमाल करें, तो कोशिश करें कि पहले से कम समय के लिए इसे प्रयोग में लाएं।

पोल

कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच बंद कर देने चाहिए स्कूल?

4. अन्य कार्यो में खुद को बिज़ी कर लें

जब डिजिटल उपकरण को देखने की तीव्र इच्छा बढ़ने लगे, तो अपने ध्यान को मोबाइल से हटाकर अन्य कार्यों में लगाएं। इससे उपकरण को इस्तेमाल करने की इच्छा कम होने लगती है और व्यक्ति का ध्यान अन्य कार्यों में बंट जाता है। मांइड को डायवर्ट करने से मानसिक स्वास्थ्य उचित बना रहता है।

gadget se khud ko door karen.
जब डिजिटल उपकरण को देखने की तीव्र इच्छा बढ़ने लगे, तो अपने ध्यान को मोबाइल से हटाकर अन्य कार्यों में लगाएं।

5. डिजिटल उपकरण को बिस्तर के पास न रखें

उपकरण का अत्यधिक इस्तेमाल करने से नींद के घंटे कम होने लगते है। अपने उपकरण पर सीमित संख्या में एप्प डाउनलोड करें। सोने से पहले उपकरण को अपने आसपास रखने से बचें। इससे नींद की गुणवत्ता में सुधार आने लगता है और व्यक्ति तनाव से भी दूर रहता है।

लेखक के बारे में
Dr. Yuvraj pant
Dr. Yuvraj pant

Dr. Yuvraj pant psychologist at govt. medical college Haldwani, Uttarakhand

अगला लेख