हर व्यक्ति का शरीर एक दूसरे से अलग होता है। किसी के लिए गर्मी असहनीय हो जाती है, तो कुछ शरीर में सर्द हवाओं के चलते ही ठिठुरन महसूस करने लगते हैं। यूं तो ठंड में सर्दी, जुकाम और जोड़ों में दर्द का सामना करना पड़ता है। मगर आवश्यकता से ज्यादा ठंड महसूस करने और कई लेयर्स पहनने की स्थिति को कोल्ड इंनटॉलरेंस कहा जाता है। वे लोग जो ठंड के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, उन्हें इस समस्या का सामना करना पड़ता है। जानते हैं कोल्ड इनटॉलरेंस (Cold intolerance) के कारण और इससे बचने के उपाय भी।
आर्टिमिस अस्पताल गुरूग्राम में सीनियर फीज़िशियन डॉ पी वेंकट कृष्णन बताते हैं कि कोल्ड इनटॉलरेंस उस स्थिति को कहते हैं जब शरीर ठंडे तापमान के प्रति अधिक संवेदनशील होने लगता हैं। खासतौर से उन लोगों को ठंड लगने का खतरा बना रहता है, जिन्हें पुरानी स्वास्थ्य समस्याएं हैं या जिनके शरीर में वसा की मात्रा कम होती है। कपड़ों की लेसर्य बढ़ाने के अलावा पोषण और स्वास्थ्य समस्याओं से राहत पाकर कोल्ड इनटॉलरेंस से राहत पाई जा सकती है।
एनीमिया यानि शरीर में हेल्दी रेड ब्लड सेल्स की कमी ठंड लगने का कारण साबित होती है। पीरियड के दौरान हैवी ब्लीडिंग, पोषण की कमी और आरबीसी बनाने में असमर्थता खून की कमी को बढ़ा देते हैं। ठंड लगना एनीमिया के शुरुआती लक्षणों में से एक है। अनहेल्दी मील, बॉवल डिज़ीज, रक्त की कमी या गर्भावस्था खून की कमी का कारण बनने लगते हैं। ऐसे में व्यक्ति को बेवजह थकान, कमजोरी, ठंडे हाथ और पैर जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ता हैं।
हाइपोथायरायडिज्म कोल्ड इनटॉलरेंस का एक अन्य मुख्य कारण है। हाइपोथायरायडिज्म उस स्थिति को कहते हैं, जब थायरॉयड ग्लैंड शरीर को ठीक से काम करने के लिए पर्याप्त थायराइड हार्मोन नहीं बना पाता है। इसमें वेटगेन के अलावा ठंड लगने की समस्या बनी रहती है।
डायबिटीज़ एक लाइफस्टाइल डिसऑर्डर है जो तेजी से बढ़ रही है। इसका असर किडनी पर देखने को मिलता है। इस स्थिति को डायबीटिक नेफ्रोपैथी कहा जाता है। इससे नर्व डैमेज की समस्या बनी रहती है और ठंड लगने की समस्या का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा ठंड से हाथ, पैर और चेहरे पर सूजन बनी रहती है।
वे लोग जो शाकाहारी है, उनमें विटामिन बी12 की कमी पाई जाती है। ये आमतौर पर उन लोगों को प्रभावित करती है जिनकी उम्र 50 से अधिक हैंए या गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी करवा चुके हैं। ठंड लगने के अलावा ऐसे लोगों को कब्ज, दस्त, थकान, सांस लेने में तकलीफ व भूख न लगने का सामना करना पड़ता है।
ब्लड वेसल्स डिसऑर्डर के चलते हाथ और पैर के तलवे ठंडे रहते हैं। दरअसल, हाथों और पैरों की ब्लड वेसल्स के संकुचित होने से ब्लड की सप्लाई उचित तरीके से नहीं हो पाती है। इससे ब्लड क्लॉट का खतरा बना रहता हैं। इसके अलावा ब्लड वेसल्स संकुचित हो जाते है।
स्लीप एंड थर्मोरेगुलेशन की रिपोर्ट के अनुसार नींद की कमी सर्कैडियन क्लॉक को बाधित करती हैए, जिससे नींद और जागने का पैटर्न बाधित होने लगता है। इससे हार्मोनल असंतुलन बढ़ जाता है, जिससे शरीर के तापमान में बदलाव दिखने लगता है। इसके चलते हाथों और पैरों में ज्यादा ठंड लगती है और शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन नियमित नहीं रहता है।
शरीर को ठंड से बचाने के लिए हेल्दी मील लें और कैलोरी की मात्रा को बढ़ाएं। इसके लिए आहार में हेल्दी फैट्स को शामिल करें, ताकि शरीर का एनर्जी की प्राप्ति हो सके। आहार में मौमी फल, सब्जियां, सीड्स और नट्स को शामिल करें। अनीमिया की कमी को दूर करने के लिए आयरन की भी भरपूर मात्रा लें
कुछ देर व्यायाम करने से शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन बढ़ने लगता है। इससे शरीर स्वस्थ और दिन भर एक्टिव रहता है। साथ ही ठंड लगने की समस्या से भी बचा जा सकता है। शरीर के तापमान को नियमित बनाए रखने के लिए रोज़ाना वॉक भी करें।
गर्म कपड़ों की लेयर्स के अलावा जुराबें और टोपर भी अवश्य पहनें। इससे शरीर में गर्माहट बनी रहती है और ठिठुरन कम होने लगती है। साथ ही रूम हीटर्स की भी मदद ले सकते है। इससे शरीर का तापमान उचित बना रहता है।
शरीर में आने वाले बदलाव के लिए डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। साथ ही उनकी बताई दवा को लेकर शरीर को स्वस्थ रखने का प्रयास करे। समय समय पर चेकअप के लिए जाएं, जिससे अनीमिया और थयरॉइड जैसी समस्या को दूर किया जा सकता है।