जब आपका पेट ठीक नहीं होता, ताे दिमाग भी ठीक से काम नहीं करता। असल में आपकी आंतों का स्वास्थ्य आपके पाचन तंत्र से जुड़ा है, जिसे आपके शरीर का दूसरा मस्तिष्क भी कहा जाता है। जब आपकी इंटेस्टाइनल हेल्थ ठीक नहीं होती है, तो उसका असर पूरे शरीर पर नजर आता है। इसलिए आपके समग्र स्वास्थ्य के लिए यह जरूरी है कि आप अपनी आंतों के स्वास्थ्य पर ध्यान दें। पर इसके लिए आपको कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आपकी रसोई में ही ऐसी खास हर्ब्स मौजूद हैं, जो आपकी इंटेस्टाइनल हेल्थ (how to boost intestinal health) में सुधार कर सकती हैं।
बॉडी का हर पार्ट बेहद जरूरी है क्योंकि हर एक की अपनी एक अहम भूमिका होती है। यदि शरीर के किसी भी अंग में परेशानी हो जाती है, तो उसका असर हमारी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ पर भी पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि हम अपनी सेहत का ख्याल रखें। और खुद को हेल्दी रखें। हमारी बॉडी के सभी पार्ट को हमारा दिमाग कंट्रोल करता है लेकिन फिर भी पेट में होने वाली समस्या के समय किसी का नियनत्रण नहीं रहता है। क्योंकि खाना खाने से लेकर पचाने तक यदि कोई परेशानी होती है, तो कई समस्याएं जैसे गैस, पेट दर्द, आंतो में सूजन पैदा होने लगती है। तो चलिए आज हम आपको कुछ ऐसे घरेलू उपाय बताने वाले हैं, जिससे आपके पेट से संबंधित सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं।
मानव शरीर में आंत को ‘दूसरा मस्तिष्क’ कहा जाता है। इसमें रीढ़ की हड्डी की तुलना में अधिक न्यूरॉन्स मौजूद रहते हैं और शरीर के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से पूरी तरह से अलग तरीके से काम करते हैं। आंतों की जटिल कार्यप्रणाली हमारी हेल्थ को प्रभावित करती है। आंत को आंतरिक तंत्रिका तंत्र द्वारा नियंत्रित किया जाता है। यह एक स्वतंत्र तंत्रिका तंत्र है। जिसका कार्य केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से पूरी तरह से अलग है। यह सीधे तौर पर पाचन तंत्र के लिए जिम्मेदार होता है।
आयुर्वेद एक्सपर्ट दीक्षा भावसार सवालिया ने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम पर गटहेल्थ को ठीक करने के लिए एक पोस्ट शेयर की है। वे कहती हैं कि जब दवाएं घर पर हों, तो उन्हें खरीदने क्यों जाएं? उन्होंने हमारी रसोई में रखी ऐसी 5 जड़ी-बूटियों के बारे में बताया, जिनका इस्तेमाल आप आसानी से कर सकते हैं।
आयुर्वेद एक्सपर्ट कहती हैं कि ये अद्भुत जड़ी-बूटियां उपयोग में आसान हैं। आप इन्हें चबा सकते हैं या चाय बनाकर भी इनका सेवन कर सकते हैं।
पाचन संबंधी परेशानियों से राहत पाने के लिए सौंफ का इस्तेमाल किया जाता है। सौंफ में मौजूद एंटीस्पास्मोडिक और कार्मिनेटिव गुण पेट की गंभीर समस्याओं से छुटकारा दिलाने में काफी कारगर साबित होते हैं। ये पेट में दर्द, सूजन और गैस जैसी परेशानियों से राहत दिलाने के साथ ही अल्सर, कब्ज और दस्त में भी फायदेमंद है।
वैसे तो लोग अक्सर सौंफ का इस्तेमाल भोजन के बाद माउथ फ्रेशनर के रूप में करते हैं। लेकिन चाय बनाते समय भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। बेहतर मेटाबॉलिज्म और बैली फेट को कम करने के लिए सुबह खाली पेट इसका सेवन किया जा सकता है।
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यदि आपका पेट ठीक तरह से साफ नहीं होता है और बार-बार कब्ज की परेशानी हो रही है, तो आपको प्रतिदिन खाली पेट जीरे का सेवन करना चाहिए। वास्तव में, आंत के अनुकूल जड़ी-बूटियों में से जीरा एक है, जो पाचन प्रक्रिया को मदद करते हुए पाचन एंजाइमों को बढ़ावा देता है।
जीरे का सेवन आप सब्जियों में कर सकते हैं। इसके अलावा आप जीरे का पानी भी पी सकते हैं। 2 चम्मच जीरे को एक गिलास पानी में भिगोकर रख दें। सुबह इस पानी को 5-10 मिनट तक उबालें। इसके बाद पानी को छान लें और इसका सेवन करें।
पाचन में सुधार करने के लिए इलायची बेहद लाभकारी है। छोटी इलायची के गुण में एंटीइन्फ्लामेट्री (सूजन कम करने वाला) प्रभाव मौजूद होते है, जो पाचन से संबंधित समस्याओं से छुटकारा दिला सकता है।
छोटी इलायची का इस्तेमाल आप चाय में कर सकते हैं। इसके अलावा आप छोटी इलायची का सेवन सीधेतौर पर चबाकर भी कर सकते हैं।
जीरा, इलायची और अजवाइन का पानी सूजन, गैस्ट्रिक परेशानी और अपच से पीड़ित लोगों के लिए सबसे अच्छा होता है। इसके साथ ही भोजन के बाद 1 चम्मच अजवाइन को काला नमक के साथ गुनगुने पानी से चबाकर खाने से गैस के कारण पेट में होने वाले दर्द से तुरंत आराम मिलता है।
5. हींग (Hing)
हींग में भरपूर मात्रा में आयरन और पोटैशियम पाया जाता है। ये शरीर में मेटाबॉलिज्म को इंप्रूव करती है। यदि गैस बनने के कारण आपके पेट में दर्द हो रहा है तो आपको हींग का सेवन करना चाहिए। इसके सेवन से डाइजेश और ब्लोटिंग की परेशानी से राहत मिलती है।
हींग गैस को जल्द से जल्द दूर करती है। उचित पाचन के लिए सब्जी पकाते समय एक चुटकी हींग मिलाना हमेशा एक अच्छा विचार है। आप गैस और सूजन से राहत के लिए बच्चों के पेट पर नाभि के आसपास हींग का पेस्ट बनाकर भी लगा सकते हैं।
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