Anti-inflammatory diet: विद्या बालन की तरह बिना एक्सरसाइज वेट लॉस करना है तो ट्राई करें ये एंटी इंफ्लेमेटरी डाइट

शरीर में इंट्रासेल्युलर और एक्स्ट्रासेल्युलर फ्लूइड में इंबैलेसिंग इंफ्लामेशन को बढ़ा देता है। इससे शरीर में सूजन का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा प्रोटीन की कमी और वॉटर रिटेंशन से भी इस समस्या का जोखिम बढ़ जाता है।
Anti-inflammatory diet ke fayde
एंटी इंफ्लेमेटरी डाइट आपकी बॉडी को सभी पोषक तत्वों की गुणवत्ता प्राप्त करने में मदद करता है। चित्र : अडॉबीस्टॉक
Published On: 17 Nov 2024, 02:00 pm IST
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वेटलॉस न कर पाने के कारण महिलाएं अक्सर चितिंत नज़र आती है। हांलाकि प्रेगनेंसी के बाद अधिकतर महिलाओं को वेटगेन का सामना करना पड़ता है। मगर ये मोटापा कैलोरीज़ जमा होने के अलावा इंफ्लामेशन के चलते भी बढ़ने लगता है। लंबे वक्त से इन्फ्लेमेशन की शिकार बॉलीवुड अदाकारा विद्या बालन ने कई किलो वज़न कम करके इस तथ्य को और भी पुख्ता बना दिया है। उनकी वेटलॉस जर्नी हांलाकि बिल्कुल भी आसान नहीं थी। मगर इस बारे में जानकारी जुटाने के बाद उन्होंने हेल्दी तरीके से वेटलॉस कर खुद को स्लिम और फिट बनाया है। जाने है शरीर में इन्फ्लेमेशन बढ़ने का कारण और इंफ्लेमेटरी डाइट (Anti-inflammatory diet) जो वेटलॉस में मददगार साबित हो सकते हैं।

शरीर में क्यों बढ़ने लगती है इंफ्लामेशन (Causes of inflammation)

इस बारे में डायटीशियन डॉ अदिति शर्मा बताती हैं कि शरीर में इंट्रासेल्युलर और एक्स्ट्रासेल्युलर फ्लूइड में इंबैलेसिंग इंफ्लामेशन को बढ़ा देता है। इससे शरीर में सूजन का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा प्रोटीन की कमी और वॉटर रिटेंशन से भी इस समस्या का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे में एंटी इंफ्लेमेटरी खाद्य पदार्थों के सेवन से फायदा मिलता है और शरीर में बढ़ने वाले वज़न को कम करके हेल्दी वेट मैनेजमेंट में मदद मिलती है। शरीर में सूजन दो प्रकार की होती है।

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इसके सेवन से शरीर में फ्री रेडिकल्स का स्तर कम होने जाता है, जो रिएक्टिव मॉलिक्यूल्स के रूप में सूजन का कारण बनते हैं।

इंफ्लेमेशन या सूजन 2 तरह की होती है  (Types of inflammation)

1 एक्यूट इंफ्लामेशन

एक्यूट इंफ्लामेशन एक सुरक्षात्मक प्रतिक्रिया है। ये समस्या शरीर में कभी भी अचानक बनने लगती है, जो समय के साथ ठीक होने लगती है। चोटिल होने या फिर फूड एलर्जी से इस समस्या का सामना करना पड़ता है।

2 क्रॉनिक इंफ्लामेशन

ये समस्या ऑटोइम्यून डिज़ीज, जेनेटिक्स या किसी क्रॉनिक संक्रमण के कारण बढ़ने लगती है। ये समस्या महीनों से लेकर सालों तक बनी रहती है। इससे टिशूज़ से लेकर ऑर्गन्य को नुकसान पहुंचता है। इसके चलते शरीर में बढ़ने वाली

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार एंटी इंफ्लामेटरी डाइट पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों पर आधारित होती है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट की उच्च मात्रा पाई जाती हैं। इसके सेवन से शरीर में फ्री रेडिकल्स का स्तर कम होने जाता है, जो रिएक्टिव मॉलिक्यूल्स के रूप में सूजन का कारण बनते हैं।

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1. विटामिन्स ए वाले आहार

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार विटामिन-ए एंटीऑक्सीडेंट के रूप में शरीर में फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को कम करने में मदद करता है। इसमें मौजूद एंटी इंफ्लामेटरी गुण सूजन के प्रभाव को कम करते हैं। इसके अलावा विटामिन बी, सी और डी की मदद से शरीर में पोषक तत्वों का अवशोषण बढ़ जाता है, जिससे सूजन से राहत मिलती है।

विटामिन ए के लिए शरीर पपीता, संतरा, शकरकंदी और टमाटर का सेवन करें। विटामिन बी के लिए चने और एसप्रेगस फायदेमंद साबित होता है। वहीं विटामिन सी की उच्च मात्रा के लिए कीवी, नींबू और ब्रोकली का सेवन करे। वहीं विटामिन डी के लिए धूप लें और डॉक्टर की सलाह के मुताबिक सप्लीमेंटस लें।

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विटामिन-ए एंटीऑक्सीडेंट के रूप में शरीर में फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को कम करने में मदद करता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

2. ओमेगा 3 फैटी एसिड

ओमेगा 3 फैटी एसिड का सेवन करने से शरीर में सूजन पैदा करने वाले कंपाउड साइटोकाइन्स और इन्फ्लेमेटरी ईकोसैनोइड्स का स्तर नियंत्रित रहता है। इसके अलावा सूजनरोधी मॉलिक्यूल्स यानि रिसोल्विन, मैरेसिन, लिपोक्सिन और प्रोटेक्टिन का स्तर कम हो जाता है। इससे मेटापा, हृदय रोगों, डायबिटीज़, और ओस्टियोपिरोसिस का खतरा कम होने लगता है। इसके लिए आहार में अलसी के बीज, चिया सीड्स, अखरोट, सोयाबीन और मछली का सेवन करें।

3. पॉलीफेनॉल्स

प्लांट बेस्ड फूड्स से पॉलीफेनॉल्स की प्राप्ति होती है। इससे सूजन की समस्या हल होने लगती है। पालक, और मेथी जैसी हरी पत्तेदार सब्जियों के अलावा कॉफी, चाय, डार्क चॉकलेट, अनार, सेब और बैरीज़ से पॉलीफेनॉल की प्राप्ति होती है। दरअसल, पॉलीफेनॉल्स एक एंटीऑक्सीडेंटस के रूप में शरीर को सूजन से बचाने में मदद करते हैं ।

4. करक्यूमिन

एंटी इंफ्लामेटरी गुणों से भरपूर करक्यूमिन कंपाउड से सूजन को कम किया जा सकता है। नेशनल इंस्टीट्यूट आूफ हेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार करक्यूमिन के साथ पिपरिन कंपाउड को मिलाने से उसका एब्जॉर्बशन 2000 प्रतिशत बढ़ जाता है। इसके सेवन से शरीर में इंफ्लामेशन से बढ़ने वाले मोटापे के अलावा अर्थराइटिस और डायबिटीज़ से जुड़ी सूजन की समस्या को भी दूर किया जा सकता है। ये तत्व विशेष रूप से हल्दी और करी पत्ता में पाया जाता है।

5 बैरीज़ का करें सेवन

बैरीज़ में एंथोसायनिन नाम के एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। इन कंपाउड में सूजनरोधी प्रभाव होते हैं जो सूजन को कम कर देते है। आहार में स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी, रास्पबेरी और ब्लैकबेरी को शामिल करें।

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बैरीज़ में एंथोसायनिन नाम के एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। इन कंपाउड में सूजनरोधी प्रभाव होते हैं जो सूजन को कम कर देते है चित्र : अडॉबीस्टॉक

6 ग्रीन टी है एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर

ग्रीन टी के सेवन से शरीर को एंटीइंफ्लामेटरी प्राेपर्टीज़ की प्राप्ति होती है। इसे रूटीन में शामिल करने से मोटापा, अल्ज़ाइमर और कैंसर से राहत मिलती है। इससे शरीर को एंटीऑक्सीडेंटस की प्राप्ति होती है।

7 अदरक से दूर होगी सूजन

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार अदरक में 400 से अधिक नेचुरल कंपाउड पाए जाते हैं। इसके सेवन से शरीर को जिंजेरोल, शोगोल और डायरीलहेप्टानोइड्स की प्राप्ति होती हैं। इसे रेसिपीज़ में एड करके और चाय में उबालकर पीने से फायदा मिलता है।

8 ऑक्सीडेटिव तनाव कम करने वाला आहार

हल्दी के सेवन से एक्टिव कंपाउड करक्यूमिन की प्राप्ति होती है। इससे सूजन के कारण बढ़ने वाला दर्द भी कम होता है। इससे शरीर में बढ़ने वाली ऑक्सीडेटिव तनाव को कम किया जा सकता है।

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लेखक के बारे में
ज्योति सोही
ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं।

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