Vaso-occlusive episodes : एक एक्सपर्ट बता रहे हैं सिकल सेल रोगियों के लिए दर्द को संभालने की रणनीति

सिकल सेल डिजीज में रेड ब्लड सेल्स सिकल शेप यानी हंसिये के आकार की हो जाती हैं। ये सेल्स जब ब्लड वेसल्स में फंस जाते हैं और ब्लड सर्कुलेशन बाधित हो जाती है, तो मरीज को दर्द होने लगता है। यह दर्द शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है।
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सिकल सेल रोगों में दर्द शरीर के किसी भी हिस्से में और कभी भी हो सकता है। चित्र : अडोबी स्टॉक
Published On: 19 Jun 2024, 08:18 pm IST
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डॉ राहुल भार्गव
मेडिकली रिव्यूड

दुख और दर्द को संभाल पाना किसी के लिए भी मुश्किल होता है। मगर कुछ दर्द ऐसे होते हैं, जिनमें व्यक्ति सिर्फ पीड़ित होता है। उनके होने में न उसका कोई योगदान है और न ही उसका उपचार वह ढूंढ पाता है। सिकल सेल रोग में होने वाला दर्द (Pain in sickle cell disease) ऐसा ही एक असहनीय दर्द है। जो कभी भी शुरु हो जाता है और उसके कारण व्यक्ति अपने डेली रुटीन को पूरा कर पाने में भी असमर्थ हो जाता है। क्या इस दर्द को किसी तरह कंट्रोल (sickle cell pain treatment) किया जा सकता है? आइए जानते हैं इसके बारे में एक एक्सपर्ट से।

डॉ राहुल भार्गव, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम में प्रिंसीपल डायरेक्टर एवं चीफ बीएमटी हैं। वे मानते हैं कि सिकल सेल रोग (SCD) के मरीजों को कई तरह के लक्षणों और चुनौतियों से जूझना पड़ता है, और दर्द इनमें सबसे आम है।

आखिर क्यों सिकल सेल रोगियों को करना पड़ता है दर्द का सामना  

डॉ राहुल कहते हैं, “सिकल सेल रोग (SCD) के कारण होने वाले दर्द को समझना (Pain crisis), जिन्हें वासो-ऑक्लुसिव एपिसोड्स (Vaso-occlusive episodes) भी कहते हैं, सिकल सेल रोग (SCD) के सबसे सामान्य लक्षणों में से है। जब सिकल-शेप वाले रेड ब्लड सेल्स छोटी रक्तवाहिकाओं में रक्तप्रवाह को अवरुद्ध करते हैं, तो इसकी वजह से इस्केमिया एवं इंफ्लेमेशन होता है।”

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सिकल सेल एनीमिया से जुड़े लोगों में लाल रक्त कोशिकाएं कठोर, चिपचिपी और सिकल के शेप में हो जाती हैं। चित्र : एडॉबीस्टॉक

वे आगे कहते हैं,”दर्द शरीर में कहीं भी हो सकता है, लेकिन यह आमतौर से हड्डियों, जोड़ों, छाती तथा पेट में ज्यादा होता है। दर्द हल्का या गंभीर अथवा शरीर को कमजोर करने वाला हो सकता है।”

सिकल सेल रोगियों के लिए दर्द कंट्रोल करने के उपाय (How to deal with pain in sickle cell disease)

1 हाइड्रेशन (Stay hydrated)

डिहाइड्रेशन दर्द को ट्रिगर करता है या पेन क्राइसिस की स्थिति को और गंभीर बनाता है। इसलिए यह जरूरी है कि आप शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा बनाए रखें। तरल पदार्थों के सेवन से रक्त कम गाढ़ा होता है, जिसकी वजह से वासो-ऑक्लुसज़न की आशंका कम होती है।

डॉ भार्गव सुझाव देते हैं,”आपको हर दिन कम से कम 8 से 10 गिलास पानी का सेवन करना चाहिए। गर्मी के मौसम या शारीरिक गतिविधि के दौरान, फ्लूड का सेवन बढ़ाने से तरल पदार्थों की क्षतिपूर्ति होती है।”

2 सही दवाओं की समझ (Medication management)

ओवर-द-काउंटर विकल्प

माइल्ड से मॉडरेट पेन के लिए ओवर-द-काउंटर विकल्पों के तौर पर दर्द-निवारक जैसे एसिटामिनोफेन (टाइलेनोल) और नॉनस्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेट्री ड्रग्स (एनएसएआईडी) जैसे आइबुप्रोफेन प्रभावी होते हैं।

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प्रेस्क्रिप्शन दवाएं

गंभीर दर्द के निवारण के लिए ओपियॉइड्स समेत स्ट्रॉन्ग दवाएं दी जाती हैं। मॉर्फिन या ऑक्सीडोन जैसी दवाएं डॉक्टर की देखरेख में ली जानी चाहिए। ताकि उन पर निर्भरता से बचाव हो और साइड इफेक्ट्स का भी सही ढंग से प्रबंधन किया जा सके।

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केवल उन्हीं दवाओं का सेवन करें जो आपके डॉक्टर ने आपको बताई हैं। चित्र- अडोबी स्टॉक

हाइड्रोक्सीयूरिया

इस दवा से फिटल हिमोग्लोबिन का प्रोडक्शन बढ़ता है जिससे दर्द की फ्रीक्वेंसी कम हो जाती है, जो रेड ब्लड सेल्स को सिकल शेप में बदलने से बचाव करता है।

3 हीट थेरेपी (Heat Therapy)

दर्द से प्रभावित भागों की सिंकाई करने से मांसपेशियां रिलैक्स होती हैं और शरीर की बेचैनी कम होती है। सिंकाई के पैड्स, वार्म कम्प्रेस का इस्तेमाल करें या गुनगुने पानी से नहाने से भी दर्द से राहत मिलती है।

मगर ध्यान रखें कि अधिक लंबे समय तक सिंकाई नहीं करनी चाहिए और सुनिश्चित करें कि तापमान इतना अधिक न हो कि त्वचा जल जाए।

4 शारीरिक थेरेपी और व्यायाम (Physical activities)

नियमित शारीरिक गतिविधि और शारीरिक थेरेपी से जोड़ों के लचीलेपन में सुधार होता है, मांसपेशियां मजबूत बनती हैं और दर्द की फ्रीक्वेंसी भी घटती है। सिकल सेल रोगियों के लिए
लो इंपैक्ट व्यायाम जैसे तैराकी, सैर और योग करने की सिफारिश की जाती है। फिजिकल थेरेपिस्ट से सलाह कर कस्टमाइज़्ड एक्सरसाइज़ प्लान बनवाएं। जो कि आपकी कंडीशन के अनुरूप होनी चाहिएं।

5 तनाव से बचें (Control stress)

स्ट्रैस की वजह से दर्द बढ़ सकता है और पेन क्राइसिस को ट्रिगर करता है। स्ट्रैस मैनेज करने के लिए अपने दैनिक रूटीन में प्राणायाम, ध्यान और मसल रिलैक्सेशन को शामिल करें। इसके अलावा योग और ताइ ची जैसी एक्टिविटीज़ को रिलैक्सेशन के साथ अपनाएं, इनसे पेन मैनेजमेंट में राहत मिलती है।

6  न्यूट्रिशन और सप्लीमेंट्स (Nutrition and supplement)

आहारः

फलों, सब्जियों और लीन प्रोटीन्स तथा साबुत अनाज को आहार में शामिल करने से स्वास्थ्य ठीक बनता है और इंफ्लेमेशन भी कम होता है। अल्कोहल, कैफीन तथा शूगरी फूड्स का अधिक सेवन करने से बचें, इनकी वजह से शरीर में पानी की कमी होती है और लक्षण अधिक गंभीर होते हैं।

सप्लीमेंट्सः

फॉलिक एसिड जैसे सप्लीमेंट्स का सेवन करने से पहले अपने हेल्थकेयर प्रदाता से परामर्श करें। इनसे रेड ब्लड सेल प्रोडक्शन और साथ ही ओमेगा-3 फैटी एसिड को बढ़ावा मिलता है, जिनमें एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण होते हैं।

7 बिहेवियरल थेरेपी और काउंसलिंग (Counseling-behavioral therapy)

भावनात्मक सपोर्टः

क्रोनिक पेन के कारण भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक चुनौतियां बढ़ती हैं। बिहेवियरल थेरेपी, जैसे कि कॉग्निटिव-बिहेवियरल थेरेपी (CBT) से मरीजों को दर्द से निपटने में मदद मिलती है और उनकी मानसिक स्थिति में भी सुधार होता है।

सपोर्ट ग्रुप्सः

विभिन्न सहायता समूहों से जुड़ने पर मरीजों को अपने अनुभवों को दूसरों के साथ शेयर करने और उनके अनुभवों से कुछ सीखने का मौका मिलता है।

8 इमरजेंसी की तैयारी (Emergency management)

योजना बनाएं

यदि अत्यधिक दर्द हो तो उससे निपटने के लिए आपकी तैयारी होनी चाहिए। इसके लिए सबसे जरूरी यह जानकारी है कि आपको कब मेडिकल सहायता लेनी है। दवाओं को अपने पास रखें और साथ ही, सिकल सेल रोग (SCD) मैनेजमेंट संबंधी हॉस्पिटल प्रोटोकोल्स को बखूबी समझें।

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अचानक होने वाली किसी
भी इमरजेंसी के लिए पहले से ही तैयारी रखें। चित्र : अडोबी स्टॉक

मेडिकल अलर्ट

हो सके तो मेडिकल अलर्ट ब्रेसलेट पहनने की आदत डालें। जिसमें आपकी कंडीशन के बारे में जानकारी होनी चाहिए ताकि किसी भी इमरजेंसी की स्थिति में तत्काल मदद मिल सके। सिकल सेल रोग में कारगर तरीके से दर्द से निपटने के लिए बहुपक्षीय रणनीति जरूरी है जो कि हर व्यक्ति की जरूरतों के हिसाब से बनायी जाती है।

चलते-चलते

मेडिकल उपचार, लाइफस्टाइल में सुधार और सपोर्टिव थेरेपी के मेल से मरीजों को बेहतर ढंग से पेन कंट्रोल में सहायता मिलती है और साथ ही, लाइफ क्वालिटी में भी सुधार होता है। पेन मैनेजमेंट की ठोस योजना तैयार करने के लिए हेल्थकेयर प्रदाता के साथ मिलकर काम करना जरूरी होता है। प्रोएक्टिव मैनेजमेंट और सपोर्ट मिलने से, सिकल सेल रोग (SCD) से ग्रस्त मरीज भी अपनी इस कंडीशन की वजह से पैदा होने वाली चुनौतियों का मुकाबला कर सकते हैं और बेहतर जीवन बिता सकते हैं।

यह भी पढ़ें – Pain Management : एक्सपर्ट बता रहीं हैं गंभीर दर्द की चुनौतियां और इससे उबरने के उपाय

लेखक के बारे में
योगिता यादव
योगिता यादव

कंटेंट हेड, हेल्थ शॉट्स हिंदी। वर्ष 2003 से पत्रकारिता में सक्रिय।

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