समय के साथ-साथ हमारी उम्र भी बढती है। इसका प्रभाव हमारी स्किन पड़ पड़ता है। स्किन पर झुर्रियां पड़ने लगती हैं।शारीरिक अंग कमजोर होने लगते हैं। हमें कई तरह के रोग घेरने लगते हैं। उम्र अधिक होने पर बीमारी और फिर मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता है। एजिंग के प्रभावों को खत्म तो नहीं किया जा सकता है। कुछ उपाय आजमाकर इन्हें कुछ समय के लिए दूर (How to control aging) किया जा सकता है।
क्लिनिकल इंटरवेनशंस इन एजिंग जर्नल में एजिंग पर इटली के शोधकर्ता मैटियो टोसाटो, वेलेंटीना ज़ंबोनी और एलेसेंड्रो फेरीनी का शोधपरक आलेख प्रकाशित हुआ। इस आलेख में शोधकर्ताओं ने माना कि उम्र बढ़ने के कारणों पर कई शोध हो चुके हैं। कई सिद्धांत लिखे जा चुके हैं। इसके बावजूद उम्र बढ़ने की प्रक्रिया अत्यंत जटिल मानी जाती है।
आमतौर पर एजिंग में बढ़ती उम्र के साथ कोशिकाओं और ऊतकों में परिवर्तन होता है। यह विविध परिवर्तन हानिकारक संचय के रूप में परिभाषित किया जाता है। ये ही बीमारी और मृत्यु के बढ़ते जोखिम के लिए जिम्मेदार होते हैं। इस शोध में यह सुझाव दिया गया है कि ऑक्सीडेटिव डैमेज एजिंग यानी उम्र बढ़ने का एक महत्वपूर्ण कारण हो सकता है।
क्लिनिकल इंटरवेनशंस इन एजिंग जर्नल में यह स्पष्ट कहा गया है कि उम्र बढ़ना निश्चित है। समय के साथ बच्चा किशोर, युवा, अधेड़ और फिर धीरे-धीरे बुढ़ापे की ओर जाएगा। इस प्रक्रिया को रोका नहीं जा सकता है। लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव लाकर इसे कुछ दिनों के लिए आगे जरूर बढ़ाया जा सकता है।
डायेटरी गाइडलाइन्स फॉर अमेरिकंस में यह स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि सेचुरेटेड फैट हमारे लिए कई स्वास्थ्य समस्याएं लाते हैं। ये एजिंग को भी बढ़ावा देते हैं। हमारे द्वारा खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों में संतृप्त वसा(saturated fat) एक प्रकार का वसा होता है। डेयरी प्रोडक्ट और मांसाहार में यह मौजूद होता है। संतृप्त वसा की मात्रा को सीमित करने के लिए स्किम्ड मिल्क और बिना फैट वाले मीट का चुनाव बेहतर हो सकता है। इसके स्थान पर ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थ लेना चाहिए। इससे हृदय रोग का जोखिम कम होगा और आप अधिक दिनों तक युवा बनी रहेंगी।
इन्टरनेशनल जर्नल ऑफ़ ओबेसिटी अपने आलेख में इस बात की चेतावनी देता है कि ज्यादा भोजन और हमेशा अधिक खाते रहने की आदत आपको जल्दी बूढ़ा बना देती है।
ज्यादा खाने से आलस्य बढ़ता है और फिजिकल एक्टिविटी कम हो पाती है। इससे मोटापा बढ़ता है और कई बीमारियां भी। बीमारियां हमें असमय बुजुर्ग बना देती हैं।
किसी भी प्रकार का नशा हमारे फिजिकल और मेंटल हेल्थ को प्रभावित करता है। इसके अत्यधिक सेवन से डिप्रेशन और एंग्जायटी आम है। फ्रंटियर्स इन इमुनोलोजी जर्नल बताता है कि इससे हमारा इन्फ्लेमेशन बढ़ जाता है, जिसका प्रभाव शरीर के कई अंगों पर पड़ता है। इन्फ्लेमेशन एजिंग प्रोसेस को बढ़ा देता है। यदि एजिंग की प्रक्रिया को कम करना चाहती हैं, तो
शराब, तंबाकू या किसी भी दूसरे प्रकार के नशे से दूर रहें।
डेर्मेटो एन्डोक्रिनोलोजी जर्नल के अनुसार, अपनी त्वचा को हर दिन धूप से बचाना बहुत जरूरी है। आप घर से बाहर निकलकर जाएं या घर पर रहें, धूप से बचाव जरूरी है।
धूप से बचाने वाले कपड़ों के साथ आप खुद को कवर कर सकती हैं। घर से बाहर निकलने पर शरीर को ढंकने वाले कपड़े और हाई स्पेक्ट्रम वाले सनस्क्रीन का उपयोग करें। एसपीएफ़ 30 या उससे अधिक वाले संस्क्रीम का प्रयोग करें। शरीर के जो भाग ढंके नहीं रहते हैं, उनपर जरूर अप्लाई करें।
स्वस्थ आहार हमारी कई समस्याओं को हल कर देते हैं। हार्वर्ड हेल्थ में प्रकाशित शोध के अनुसार, आपके आहार में कार्बोहाइड्रेट की सही मात्र होनी चाहिए। मात्रा से अधिक इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि कार्बोहाइड्रेट के अलग-अलग स्रोत जैसे आलू के अलाव, साबुत अनाज और बीन्स- भी शामिल करना चाहिए। हार्वर्ड हेल्थ में शर्करा युक्त पेय पदार्थों से बचने की सलाह दी जानी चाहिए।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए एसेंशियल आयल का प्रयोग करना चाहिए। इससे न सिर्फ तनाव दूर होता है, स्किन एजिंग(skin aging) को भी दूर भगाने में कारगर है। भोजन के साथ-साथ पानी (hydration) भी भरपूर पीना चाहिए।
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