कब्ज और डायबिटीज की छुट्टी कर सकते हैं अलसी के बीज, इन 5 टेस्टी तरीकों से करें डाइट में शामिल  

अलसी पोषक तत्वों का खजाना हैं। पानी में अघुलनशील फाइबर होने के कारण ये आपके डाइजेस्टिव ट्रैक्ट में बने रहते हैं, जिससे आपको कब्ज से राहत मिलती है। 
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अलसी वेट लॉस में सबसे अधिक मददगार होते हैं। अलसी या फ्लैक्स सीड्स पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। चित्र : शटर स्टॉक
Published On: 31 Oct 2022, 01:50 pm IST
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फ्लैक्स सीड हेल्दी फैट, एंटीऑक्सिडेंट और इनसॉल्यूबल फाइबर से भरपूर होते हैं। अपने ढेर सारे फायदों के कारण सभी आहार विशेषज्ञ और फिटनेस फ्रीक्स इसके दीवाने हैं। आयुर्वेदिक दवाओं में भी इनका प्रयोग सदियों से होता आया है। फ्लैक्स सीड्स या अलसी के बीजों का सेवन तेल, पाउडर, कैप्सूल के साथ-साथ साबुत रूप में भी किया जा सकता है। इसके प्रयोग से आप कब्ज, डायबिटीज, हार्ट डिजीज, बैड कॉलेस्ट्रॉल के जोखिमों को कम कर सकती हैं। आइए जानते हैं अलसी के बीजों को डाइट में शामिल करने के 5 टेस्टी (How to add flaxseeds in diet) आइडिया।

बहुत खास है फ्लैक्ससीड्स 

अलसी में लिग्नंस, प्रोटीन, पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड जैसे अल्फा-लिनोलेनिक एसिड या ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे न्यूट्रीएंट्स मौजूद होते हैं। इन्सॉल्यूबल फाइबर होने के कारण अलसी के बीज पानी में नहीं घुलते हैं। इसलिए वे खाने के बाद डायजेस्टिव ट्रेक्ट में बने रहते हैं। इससे कॉन्स्टिपेशन की समस्या नहीं होती है। जिसके कारण न सिर्फ वजन कम होता है, बल्कि ओमेगा 3 फैटी एसिड होने के कारण कैंसर जैसे असाध्य रोग से बचे रहने में भी मदद मिलती है।

फ्लैक्स सीड्स की कितनी मात्रा है जरूरी?

रोज एक टेबलस्पून अलसी के बीज को अपने भोजन में शामिल करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। यदि आप इन्हें ऑयल के रूप में लेती हैं, तो रोजाना 1-3 चम्मच ले सकती हैं। यदि फ्लैक्स सीड कैप्सूल का आप सेवन करती हैं, तो प्रतिदिन 1300-3000 मिलीग्राम लिया जा सकता है। 80 प्रतिशत से अधिक लोग अलसी के बीज का प्रयोग करना ही नहीं जानते हैं। यहां हम आपके लिए वे तरीके ले आए हैं, जिनसे आप इन्हें अपनी डाइट में आसानी से शामिल कर सकती हैं।

यहां जानिए अलसी के बीजों को खाने का तरीका (How to add flaxseeds in diet)

1 स्मूदी पर छिड़क कर खाएं

अगर आप फिटनेस फ्रीक हैं, तो ये आपके लिए बेहतर पोस्ट वर्कआउट मील हो सकता है। इसके लिए आप अलसी के बीज को पीस कर उनका पाउडर बना लें।

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स्मूदी पर अलसी के बीज छिडककर भी खा सकती हैं ।चित्र : शटरस्टॉक

वर्कआउट के बाद आप इस पाउडर का एक चम्मच किसी भी फ्रेश वेजिटेबल या फ्रूट की स्मूदी पर छिड़कें और आनंद लें।

2 सलाद में मिलाएं फ्लैक्स सीड्स ऑयल

ढेर सारे पोषक तत्वों से भरे अलसी के बीज का तेल और भी ज्यादा फायदेमंद माना जाता है। इसके सेवन का सबसे अच्छा तरीका इसे सलाद में मिलाकर खाना है। लंच में जब आप हेल्दी सलाद शामिल करती हैं, तो उसे फ्लैक्स सीड ऑयल में टॉस कर सकती हैं।

इसके लिए खीरा, टमाटर, प्याज का सलाद काट लें। इस पर फ्लैक्स सीड ऑयल स्प्रिंकल करें और सलाद का आनंद लें। अगर आप नॉन वेज की शौकीन हैं, तो रोस्टेड मीट या चिकन पर फ्लैक्स सीड ऑयल लगाकर खाया जा सकता है। वेज पैटीज पर भी बटर के स्थान पर इसका प्रयोग किया जा सकता है।

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3 खाली पेट लें गुनगुने पानी के साथ

एक चम्मच फ्लैक्स सीड या उसके पाउडर को गुनगुने पानी के साथ खाली पेट सुबह लिया जा सकता है। यह वेट लॉस में मददगार होता है, साथ ही आपकी पाचन संबंधी परेशानियों को भी दूर करता है। आप चाहें तो लंच में दही के साथ भी इसे खा सकती हैं। अपने पसंदीदा कॉर्न सलाद या स्प्राउट्स में भी आप अलसी के भुने हुए बीजों को शामिल कर सकती हैं।

4 बच्चों को खिलाएं कुकीज के साथ 

बेक किए गए सामान जैसे कि कुकीज, मफिन या ब्रेड के साथ मिलाकर फ्लैक्स सीड को खाया जा सकता है। ठंडे प्रदेशों जैसे कि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड आदि जगहों पर ठंड के दिनों में फ्लैक्स सीड की बर्फी भी खाई जाती है। यह शरीर को गर्म रखती है।

5 सर्दियों में करें सब्जियों में शामिल

लौकी, तोरई, घीया आदि की सब्जी बनने के बाद उसमें 2 चम्मच फ्लैक्स सीड पाउडर मिलाकर खाएं।

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सब्जियों के साथ  अलसी बीज या पाउडर मिलाकर खाने में  स्वादिष्ट लगता है । चित्र:शटरस्टॉक

यह स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ शरीर को भी स्वस्थ रखता है।

6 अलसी के बीज की बड़ियां

मूंग या मसूर की दाल को पीसकर उसमें फ्लैक्स सीड डालकर बड़ी बनाकर सुखा ली जाती है। इसे तेल में तलकर खाया जाता है। हालांकि तेल में तलने के बाद इसकी न्यूट्रीशनल वैल्यू कम हो जाती है। पर इन्हें बड़ी में मिलाकर खाना एक टेस्टी आइडिया हो सकता है।

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लेखक के बारे में
स्मिता सिंह
स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।

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