भोजन की भारतीय थाली, तब तक कंप्लीट नहीं लगती, जब तक उसमें दही या दही से बना कोई व्यंजन (Curd recipes) न हो। यह बात पूरब से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक सभी तरह की आहार व्यवस्था पर लागू होती है। दही भारतीयाें का इतनी फेवरिट है कि वे वीगन थाली में भी इसे बनाने के कुछ वीगन तरीके खोज लेते हैं। वैज्ञानिक और हेल्थ एक्सपर्ट भी दही को आहार (Curd recipes) में शामिल करने का समर्थन करते हैं। हाल ही में कई शोध सामने आए हैं, जिसमें दही को कैंसररोधी (Anti cancerous) गुणों से भरपूर पाया गया है। तो अगर आप भी इसके एंटी कैंसर प्रोपर्टीज का लाभ लेना चाहते हैं, तो चलिए दही को कुछ मज़ेदार तरीकों (Interesting ways to add curd in diet) से आहार में शामिल कर लेते हैं।
अमेरिकन कैंसर असोसिएशन की रिपोर्ट कहती है कि दही में प्रोबायोटिक्स होते हैं, जो अच्छे बैक्टीरिया के रूप में काम करते हैं। ये बैक्टीरिया हमारी आंतों में जाते हैं और वहां के खराब बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद करते हैं। स्वस्थ आंतों का मतलब है स्वस्थ पाचन और अच्छे इम्यून सिस्टम जो कैंसर जैसी बीमारियों से बचने में मदद कर सकता है।
इसके अलावा, दही में मौजूद लैक्टिक एसिड, कैल्शियम और अन्य पोषक तत्व शरीर की आंतरिक सूजन को कम करने में मदद करते हैं। सूजन का अत्यधिक बढ़ना कई प्रकार के कैंसर, जैसे कि पेट का कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और कोलोरेक्टल कैंसर का कारण बन सकता है। दही का सेवन शरीर में सूजन को नियंत्रित कर सकता है, जिससे कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है।
दही में प्रोबायोटिक्स (Curd recipes) होने की वजह से शरीर में अच्छे बैक्टीरिया स्वस्थ रहते हैं। ये बैक्टीरिया आंतों के हेल्थ को बेहतर बनाते हैं। पाचन तंत्र को मजबूत करते हैं। जब आंतों में अच्छे बैक्टीरिया होते हैं, तो शरीर में कैंसर पैदा करने वाले तत्वों का असर कम हो जाता है।
एक रिपोर्ट कहती है कि दही कैल्शियम का बेहतरीन सोर्स है और इसी वजह से यह हड्डियों के लिए अच्छा है। लेकिन हाल ही में किए गए अध्ययन बताते हैं कि कैल्शियम का सेवन कोलोरेक्टल कैंसर के जोखिम को भी कम कर सकता है। इसके अलावा कैल्शियम शरीर में सेल डिवीजन को नियंत्रित करने में मदद करता है। इससे शरीर मे कैंसर सेल्स का डेवलपमेंट रुक जाता है।
दही में विटामिन D भी होता है जो शरीर में सेल्स डेवलपमेंट के लिए जरूरी है। विटामिन D की कमी से कुछ प्रकार के कैंसर जैसे ब्रेस्ट और कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। तो इस तरह दही के सेवन से विटामिन D की कमी को दूर किया जा सकता है।
साइंस डाइरेक्ट में पब्लिश हुई एक रिपोर्ट के अनुसार दही (Curd recipes) में एंटीऑक्सीडेंट्स भी होते हैं जो शरीर में फ्री रेडिकल्स (free radicals) को कम करने में मदद करते हैं। ये फ्री रेडिकल्स ही कैंसर सेल्स को बढ़ाते हैं और शरीर के फायदेमंद सेल्स को नुकसान पहुंचाते हैं। एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को इन कणों से ही बचाते हैं और कैंसर के खतरे से हम दूर रहते हैं।
दही में लैक्टिक एसिड होता है जो आंतों में हेल्दी बैक्टीरिया को बढ़ावा देता है और खराब बैक्टीरिया को खत्म करता है। यह आंतों की सूजन को कम करता है जिससे कैंसर के खतरे को भी कम किया जा सकता है।
दही और ताजे फल मिलाकर एक स्वादिष्ट और सेहतमंद सलाद तैयार किया जा सकता है। इसमें आप अपनी पसंद के फल जैसे केला, सेब, पपीता, और जामुन डाल सकते हैं। यह सलाद न केवल स्वादिष्ट होगा, बल्कि आपके शरीर को प्रोबायोटिक्स और विटामिन्स का बेहतरीन स्रोत भी मिलेगा। यह सलाद कैंसर के खतरे को कम करने में मदद कर सकता है क्योंकि यह आपके शरीर को एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइबर देगा।
रायता भारतीय खाने में एक सामान्य लेकिन पौष्टिक व्यंजन है। दही का रायता, खासकर खीरे, टमाटर, और धनिया से बना रायता, पाचन को बेहतर बनाता है और शरीर को हाइड्रेटेड रखता है। इसमें कैल्शियम और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो कैंसर के खतरे को कम करने में मदद करते हैं।
हल्दी एक नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट और सूजन को कम करने वाला एजेंट है। दही और हल्दी को मिलाकर खाने से दोनों के फायदेएक साथ मिलेंगे। हल्दी में करक्यूमिन होता है जो कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोक सकता है। दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स और कैल्शियम इसे और भी असरदार बनाते हैं।
आप दही में चिया बीज, फ्लेक्स सीड्स, और तिल के बीज भी डाल सकते हैं। ये बीज ओमेगा-3 फैटी एसिड और फाइबर से भरपूर होते हैं, जो शरीर को सूजन से बचाने में मदद करते हैं और कैंसर के खतरे को कम करते हैं। यह एक सुपरफूड स्नैक बन सकता है जो शरीर को पोषण प्रदान करता है।
शहद में नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं और दही के साथ इसे मिलाकर खाने से शरीर को अतिरिक्त फायदा मिलता है। यह मिश्रण शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करता है और कैंसर सेल्स की ग्रोथ को रोक सकता है। खाने में आप इसे नेचुरल स्वीटनर के तौर पर भी खा ही सकते हैं। ये स्वस्थ के नजरिए से भी सही है और स्वाद के नजरिए से भी।
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