यदि शरीर स्वस्थ है, तो कोई भी बीमारी हमें परास्त नहीं कर सकती है। रोकथाम इलाज से बेहतर है। सदियों से यही संदेश देता आया है आयुर्वेद। आयुर्वेद स्वास्थ्य विज्ञान की जानकारियों का खजाना है। इसका उपयोग हम मन और शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कर सकते हैं। आइये आयुर्वेद एक्सपर्ट डॉ. नीतू भट्ट से जानते हैं कि आयुर्वेद के अनुसार हम स्वस्थ कैसे रह सकते (how to stay healthy according to ayurveda) हैं।
आयुर्वेद मानता है कि मनुष्य प्रकृति से पैदा हुआ है और वह अपनी ऊर्जा और पोषण प्रकृति से ही प्राप्त करता है। ‘सुश्रुत संहिता’ के अनुसार, हम अपने वात, पित्त, कफ दोष को संतुलित कर स्वस्थ रह सकते हैं।
हम भोजन के रूप में ली गई ऊर्जा का उपयोग शरीर को बनाने वाले ऊतकों के लिए करते हैं। इससे मेटाबोलिज्म सक्रिय होता है और किसी भी विषाक्त पदार्थ (Toxins) को शरीर से बाहर निकाल देता है। मजबूत ओजस यानी जीवन शक्ति मजबूत पाचन और प्रतिरक्षा का प्रतीक है। यह व्यक्ति के मन, आत्मा और शरीर की रक्षा करता है।
डॉ. नीतू बताती हैं, ‘आयुर्वेद के अनुसार हम प्रकृति के एक हिस्सा हैं। हमें खुद को स्वस्थ रखने के लिए प्रकृति से मिले खाद्य पदार्थों (Plant Based Foods) का ही अधिक सेवन करना चाहिए। इससे बदले में हमें भी प्रकृति को स्वच्छ और संरक्षित रखना चाहिए। तभी हम खुद को प्रकृति से घिरा हुआ पायेंगे और हमारा जीवन शांतिपूर्ण और संतुलित होगा।’
प्रकृति लयबद्ध तरीके से कार्य करती है। सूर्योदय, सूर्यास्त, पूर्णिमा, अमावस्या, सर्दी-गर्मी बारिश का मौसम। इन सभी का समय निर्धारित होता है। सदियों से इनका एक ही क्रम बना हुआ है। जब हम प्रकृति की लय के साथ खुद को ट्यून करते हैं, तो हमारा जीवन भी स्वस्थ रह पाता है।
हमें भी समय पर भोजन लेना, सोना-जागना, दैनिक नित्य क्रिया कर्म, ध्यान-योग करना चाहिए। अपने भोजन में पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेना चाहिए। एक निश्चित समय पर भोजन और पानी हमें तंदुरुस्त रखता है।इनके लय में असंतुलन आने पर ही हम बीमार पड़ते हैं।
आयुर्वेद शांत और संतुलित मन को स्वस्थ शरीर के लिए जरूरी मानता है। मन और शरीर एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। स्वस्थ मन के लिए तनाव से दूर रहना जरूरी है। ध्यान के माध्यम से ही व्यक्ति तनाव से दूर रह सकता है। आंतरिक शान्ति के लिए ध्यान कैसे शुरू किया जाए, आप इन्स्टाग्राम, यू ट्यूब पर मौजूद वीडियो और ऑडियो से मदद ले सकती हैं।
हम आम तौर पर अपने सांस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। गलत तरीके से सांस लेना आम है। सही तरीके से सांस लेने के लिए इसके प्रति जागरूक होना जरूरी है। अपनी सांस का निरीक्षण करें। दिन भर में कुछ मिनट ध्यानपूर्वक धीरे-धीरे सांस लें। कुछ मिनट के लिए प्रतिदिन अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें। ये अपने-आप को शांत करने का बढ़िया तरीका है। इसका मन और शरीर दोनों पर लाभकारी प्रभाव पड़ता है।
स्वस्थ रहने के लिए संतुलित आहार महत्वपूर्ण है। आयुर्वेद के अनुसार, नियमित भोजन कार्यक्रम से मेटाबोलिज्म सबसे बढ़िया तरीके से काम करता है। गुनगुना पानी पीयें। यह पाचन अग्नि को उत्तेजित करता है। पर्याप्त पानी पिएं और हाइड्रेटेड रहें। ताज़ा भोजन खाएं। ऐसे खाद्य पदार्थ खाएं, जो पचने में आसान हों।
बासी भोजन का सेवन नहीं करें। भारतीय खाने में हम जिन मसालों का इस्तेमाल करते हैं, उनमें इम्युनिटी के लिए कई आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं। अग्नि और जीवन शक्ति दोनों के बूस्टर हैं जीरा, अदरक और हल्दी। अपने नियमित आहार में आयुर्वेद के बताये जड़ी-बूटियों को शामिल करें। इससे शरीर के साथ-साथ स्किन और बाल भी स्वस्थ रहेंगे।
जब कोई व्यक्ति सो रहा होता है, तो पाचन प्रक्रिया के साथ-साथ टॉक्सिन्स को शरीर से बाहर निकलने की प्रक्रिया पर भी काम होता है। मन शांत होता है। जब पर्याप्त नींद नहीं मिलती है, तो ये प्रक्रियाएं अधूरी रह जाती हैं। आयुर्वेद के अनुसार, दिन के समय न सोएं। रात में नींद का नियमित कार्यक्रम बनाए रखें। देर रात सोने से शरीर कमजोर होता है।
1 आयुर्वेद के अनुसार, दही, चावल, खीरे, स्ट्रॉबेरी, केला, नॉनवेज का सेवन रात में नहीं करें। अंगूर को छोड़कर सभी फल (चेरी, ब्लूबेरी, रस भरी) को रात में नहीं खाना चाहिए।
2 धूम्रपान और शराब से बचें।यह प्रतिरक्षा पर सबसे अधिक प्रभाव डालता है। इससे वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण होने का खतरा होता है। धूम्रपान और शराब का अधिक सेवन सोचने की क्षमता को धीमा कर देता है। यह निर्णय लेने की क्षमता को खत्म कर देता है और मेमोरी लॉस कराता है। इसके कारण आयुर्वेदिक दवाएं भी फायदा नहीं पहुंचाती हैं।
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