आयुर्वेद के अनुसार ज़हर है बासी खाना और देर से सोना, स्वस्थ रहने के लिए जानिए आयुर्वेद के 5 मंत्र

यदि आयुर्वेद के बताये नियमों का नियमित रूप से पालन किया जाये, तो व्यक्ति कभी बीमार नहीं पड़ सकता है। यहां हैं आयुर्वेद विशेषज्ञ के बताये 8 उपाय जिन्हें अपनाकर जीवन भर स्वस्थ रहा जा सकता है।
ayurvedic tips for anxiety.
अश्वगंधा और तुलसी खासतौर से कार्टिसोल हार्मोन को रेगुलेट करने में मदद करती है। चित्र : शटरस्टॉक
Updated On: 25 May 2023, 04:03 pm IST
  • 126

यदि शरीर स्वस्थ है, तो कोई भी बीमारी हमें परास्त नहीं कर सकती है। रोकथाम इलाज से बेहतर है। सदियों से यही संदेश देता आया है आयुर्वेद। आयुर्वेद स्वास्थ्य विज्ञान की जानकारियों का खजाना है। इसका उपयोग हम मन और शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कर सकते हैं। आइये आयुर्वेद एक्सपर्ट डॉ. नीतू भट्ट से जानते हैं कि आयुर्वेद के अनुसार हम स्वस्थ कैसे रह सकते (how to stay healthy according to ayurveda) हैं।

वात, पित्त, कफ दोष का संतुलन

आयुर्वेद मानता है कि मनुष्य प्रकृति से पैदा हुआ है और वह अपनी ऊर्जा और पोषण प्रकृति से ही प्राप्त करता है। ‘सुश्रुत संहिता’ के अनुसार, हम अपने वात, पित्त, कफ दोष को संतुलित कर स्वस्थ रह सकते हैं।

हम भोजन के रूप में ली गई ऊर्जा का उपयोग शरीर को बनाने वाले ऊतकों के लिए करते हैं। इससे मेटाबोलिज्म सक्रिय होता है और किसी भी विषाक्त पदार्थ (Toxins) को शरीर से बाहर निकाल देता है। मजबूत ओजस यानी जीवन शक्ति मजबूत पाचन और प्रतिरक्षा का प्रतीक है। यह व्यक्ति के मन, आत्मा और शरीर की रक्षा करता है।

यहां हैं आयुर्वेद में स्वस्थ रहने के 5 उपाय

डॉ. नीतू बताती हैं, ‘आयुर्वेद के अनुसार हम प्रकृति के एक हिस्सा हैं। हमें खुद को स्वस्थ रखने के लिए प्रकृति से मिले खाद्य पदार्थों (Plant Based Foods) का ही अधिक सेवन करना चाहिए। इससे बदले में हमें भी प्रकृति को स्वच्छ और संरक्षित रखना चाहिए। तभी हम खुद को प्रकृति से घिरा हुआ पायेंगे और हमारा जीवन शांतिपूर्ण और संतुलित होगा।’

1 प्रकृति की तरह हमारी जीवनशैली में भी हो रिद्म

प्रकृति लयबद्ध तरीके से कार्य करती है। सूर्योदय, सूर्यास्त, पूर्णिमा, अमावस्या, सर्दी-गर्मी बारिश का मौसम। इन सभी का समय निर्धारित होता है। सदियों से इनका एक ही क्रम बना हुआ है। जब हम प्रकृति की लय के साथ खुद को ट्यून करते हैं, तो हमारा जीवन भी स्वस्थ रह पाता है।

हमें भी समय पर भोजन लेना, सोना-जागना, दैनिक नित्य क्रिया कर्म, ध्यान-योग करना चाहिए। अपने भोजन में पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेना चाहिए। एक निश्चित समय पर भोजन और पानी हमें तंदुरुस्त रखता है।इनके लय में असंतुलन आने पर ही हम बीमार पड़ते हैं।

2 शांत और संतुलित मन के लिए ध्यान (Meditation)

आयुर्वेद शांत और संतुलित मन को स्वस्थ शरीर के लिए जरूरी मानता है। मन और शरीर एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। स्वस्थ मन के लिए तनाव से दूर रहना जरूरी है। ध्यान के माध्यम से ही व्यक्ति तनाव से दूर रह सकता है। आंतरिक शान्ति के लिए ध्यान कैसे शुरू किया जाए, आप इन्स्टाग्राम, यू ट्यूब पर मौजूद वीडियो और ऑडियो से मदद ले सकती हैं।

पोल

स्ट्रेस से उबरने का आपका अपना क्विक फॉर्मूला क्या है?

3 सही ब्रीदिंग तकनीक (Breathing Technique)

हम आम तौर पर अपने सांस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। गलत तरीके से सांस लेना आम है। सही तरीके से सांस लेने के लिए इसके प्रति जागरूक होना जरूरी है। अपनी सांस का निरीक्षण करें। दिन भर में कुछ मिनट ध्यानपूर्वक धीरे-धीरे सांस लें। कुछ मिनट के लिए प्रतिदिन अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें। ये अपने-आप को शांत करने का बढ़िया तरीका है। इसका मन और शरीर दोनों पर लाभकारी प्रभाव पड़ता है।

pet se saans lene ke kai fayde hain
आयुर्वेद के अनुसार सांस लेने का सही तरीका अपनाना चाहिए। चित्र : एडोबी स्टॉक

4 संतुलित भोजन (Balanced Diet)

स्वस्थ रहने के लिए संतुलित आहार महत्वपूर्ण है। आयुर्वेद के अनुसार, नियमित भोजन कार्यक्रम से मेटाबोलिज्म सबसे बढ़िया तरीके से काम करता है। गुनगुना पानी पीयें। यह पाचन अग्नि को उत्तेजित करता है। पर्याप्त पानी पिएं और हाइड्रेटेड रहें। ताज़ा भोजन खाएं। ऐसे खाद्य पदार्थ खाएं, जो पचने में आसान हों।

बासी भोजन का सेवन नहीं करें। भारतीय खाने में हम जिन मसालों का इस्तेमाल करते हैं, उनमें इम्युनिटी के लिए कई आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं। अग्नि और जीवन शक्ति दोनों के बूस्टर हैं जीरा, अदरक और हल्दी। अपने नियमित आहार में आयुर्वेद के बताये जड़ी-बूटियों को शामिल करें। इससे शरीर के साथ-साथ स्किन और बाल भी स्वस्थ रहेंगे

5 सही समय पर सोना और अच्छी नींद लेना (Sound Sleep)

जब कोई व्यक्ति सो रहा होता है, तो पाचन प्रक्रिया के साथ-साथ टॉक्सिन्स को शरीर से बाहर निकलने की प्रक्रिया पर भी काम होता है। मन शांत होता है। जब पर्याप्त नींद नहीं मिलती है, तो ये प्रक्रियाएं अधूरी रह जाती हैं। आयुर्वेद के अनुसार, दिन के समय न सोएं। रात में नींद का नियमित कार्यक्रम बनाए रखें। देर रात सोने से शरीर कमजोर होता है।

यह भी याद रखें 

1 आयुर्वेद के अनुसार, दही, चावल, खीरे, स्ट्रॉबेरी, केला, नॉनवेज का सेवन रात में नहीं करें। अंगूर को छोड़कर सभी फल (चेरी, ब्लूबेरी, रस भरी) को रात में नहीं खाना चाहिए

Dahi
आयुर्वेद के अनुसार रात में दही का सेवन नहीं करना चाहिए। चित्र:शटरस्टॉक

2 धूम्रपान और शराब से बचें।यह प्रतिरक्षा पर सबसे अधिक प्रभाव डालता है। इससे वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण होने का खतरा होता है। धूम्रपान और शराब का अधिक सेवन सोचने की क्षमता को धीमा कर देता है। यह निर्णय लेने की क्षमता को खत्म कर देता है और मेमोरी लॉस कराता है। इसके कारण आयुर्वेदिक दवाएं भी फायदा नहीं पहुंचाती हैं।

यह भी पढ़ें :- Earth Day 2023 : धरती की सेहत के लिए जरूरी है कार्बन फुटप्रिंट कम करना, जानिए आप इसके लिए क्या कर सकती हैं

संबंधित विषय:
लेखक के बारे में
स्मिता सिंह
स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।

अगला लेख