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चीजें रखकर अकसर भूल जाती हैं, तो ये 9 टिप्स हैं आपके लिए, फोकस और मेमोरी दोनों बढ़ेगी

तनाव और बढ़ती उम्र के कारण दिमाग में प्राकृतिक परिवर्तन होते हैं जिसमें न्यूरोट्रांसमीटर और न्यूरोप्लास्टिसिटी में कमी बढ़ने लगती है। ऐसे में जीवनशैली में कुछ बुनियादी बदलाव करके दिमाग को तेज़ करने में मदद मिलती हैं।
Updated On: 26 Mar 2025, 11:40 pm IST
तनाव और बढ़ती उम्र के कारण दिमाग में प्राकृतिक परिवर्तन होते हैं जिसमें न्यूरोट्रांसमीटर और न्यूरोप्लास्टिसिटी में कमी बढ़ने लगती है। चित्र – अडोबीस्टॉक

उम्र बढ़ने के साथ जहां त्वचा, बालों, बॉडी पोश्चर और कार्य क्षमता में समेत शरीर में कई बदलाव होते हैं, तो वहीं याददाश्त और एकाग्रता की कमी भी बढ़ने लगती है। दरअसल, तनाव और काम के बढ़ते बोझ से जहां खानपान की आदतें बदलने लगती हैं। साथ ही स्लीप साइकिल भी डिस्टर्ब हो जाती है, जिसका असर याद रखने भी क्षमता पर पड़ता है। ऐसे में जीवनशैली में कुछ बुनियादी बदलाव करके दिमाग को तेज़ करने में मदद मिलती हैं। जानते हैं किन टिप्स की मदद से याद रखने की क्षमता को बढ़ाने में मिलती है मदद (memory and concentrations) ।

याद रखने की क्षमता में क्यों कमी आने लगती है (Causes of memory loss)

इस बारे में मनोचिकित्स डॉ युवराज बताते हैं कि तनाव और बढ़ती उम्र के कारण दिमाग में प्राकृतिक परिवर्तन होते हैं जिसमें न्यूरोट्रांसमीटर और न्यूरोप्लास्टिसिटी में कमी बढ़ने लगती है। इसके अलावा अल्जाइमर रोग और डिमेंशिया जैसे कई न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग याददाश्त और कॉग्नीटिव एबीलिटीज़ को प्रभावित करने लगती हैं। इसके अलावा नींद की कमी और लगातार बढ़ने वाला तनाव जीवनशैली में कई परिवर्तन लेकर आता है। साथ ही विटामिन बी12 और डी जैसे आवश्यक पोषक तत्वों की कमी वाला आहार और गतिहीन जीवन भी मस्तिष्क के स्वास्थ्य में बाधा डाल सकता है।

पोषक तत्वों की कमी वाला आहार और गतिहीन जीवन भी मस्तिष्क के स्वास्थ्य में बाधा डाल सकता है। चित्र – अडोबीस्टॉक

इन टिप्स की मदद से याददाश्त में लाएं सुधार (Tips to deal with concentration and memory loss)

1. कुछ नया सीखें

लर्निंग जहां व्यक्ति के मस्तिष्क को एक्टिव रखती है, तो वहीं उससे याद रखने क्षमता का भी विकास होता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के साल 2007 की एक रिसर्च के अनुसार एक से अधिक भाषा बोलने वाले लोगों में डिमेंशिया जैसी मेमोरी प्रॉबलम्स का जोखिम कम होता है।

2. नींद की गुणवत्ता बढाएं

अच्छी नींद लेना याददाश्त और एकाग्रता को बेहतर बनाने के तरीकों में से एक है। हर रात कम से कम 7-9 घंटे की अच्छी नींद लेना ज़रूरी है। साथ ही सोने और उठने का भी समय तय कर लें। इससे बॉडी क्लॉक को नियमित बनाए रखउने में मदद मिलती है। यूण्एसण् नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार नींद की कमी सीखने की क्षमता को 40 प्रतिशत तक कम कर सकती है।

3. तनाव के स्तर को करें नियंत्रित

एकाग्रता और याददाश्त को बेहतर बनाने के तरीकों में से एक है तनाव न लेना। तनाव कई तरह से याददाश्त और एकाग्रता को प्रभावित कर सकता है। जर्नल लर्निंग मेमोरी में प्रकाशित रिसर्च में पाया गया है कि पुराना तनाव हिप्पोकैम्पस को नुकसान पहुंचा सकता है, जो मस्तिष्क का वह हिस्सा है जो याददाश्त बनाने में मदद करता है। इसके अलावा कार्यों को प्राथमिकता देना और मल्टीटास्किंग से बचना भी तनाव को कम करने में मदद करता है।

एकाग्रता और याददाश्त को बेहतर बनाने के तरीकों में से एक है तनाव न लेना।तस्वीर – अडोबीस्टॉक

4. व्यायाम करें

व्यायाम याददाश्त और एकाग्रता में सुधार करने में फायदेमंद है। सप्ताह में कम से कम 5 दिन 30 मिनट एक्सरसाइज़ करें। इसमें पैदल चलना, जॉगिंग, तैराकी या साइकिल चलाना जैसी गतिविधियाँ शामिल करे, जो मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बढ़ावा देती हैं। सीडीसी के अनुसार नियमित रूप से वर्कआउट करने से आपकी याददाश्त में सुधार हो सकता है। साथ ही चिंता या तनाव भी कम होने लगता है। नियमित शारीरिक गतिविधि संज्ञानात्मक गिरावट की दर को कम कर सकती है और डिमेंशिया जैसी स्थितियों के जोखिम को कम कर सकती है।

5. ध्यान लगाएं

सुबह उठकर कुछ देर ध्यान का अभ्यास करने से मन में एठने वाले विचारों को एकत्रित करके तनाव से मुक्ति मिलती है। इससे मन तरोताज़ा बना रहता है और याद रखने की क्षमता में खुद ब खुद सुधार आने लगता है। इसके अलावा सहनशक्ति में भी सुधार आने लगता है। ध्यान लगाने के लिए नियमित समय और स्थान का चुनाव आवश्यक है।

8 सप्ताह तक मेडिटेशन करने से एंग्ज़ाइटी से ग्रस्त लोगों में चिंता के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है।

6. सभी इंद्रियों का उपयोग करें

अपनी मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने के लिए सभी इंद्रियों का इस्तेमाल करें। इससे चीजों को समझने और उन्हें याद रखने में मदद मिलती है। किसी कार्य को समझने के लिए देखने के अलावा टच, स्मैल और टेस्ट की भी मदद ली जा सकती है। इसके अलावा कार्यों को दोनों हाथों से करने का प्रयास करें।

7. खुद को व्यस्त रखें

व्यस्त शेड्यूल आपके मस्तिष्क की एपिसोडिक मेमोरी को बनाए रख सकता है। एनआईएच के एक अध्ययन के अनुसार व्यस्त शेड्यूल को बेहतर संज्ञानात्मक कार्य से जोड़ा गया है। इसके चलते ब्रेन दिनभर एक्टिव बना रहता है, जिससे उसकी कार्यक्षमता में सुधार आने लगता है।

8. सोने से पहले स्क्रीन से दूरी बनाकर रखें

सेल फ़ोन, टीवी और कंप्यूटर स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी मेलाटोनिन के उत्पादन को रोकती है। ये वो हार्मोन है जो आपके सोने जागने के चक्र यानि सर्कैडियन लय को नियंत्रित करता है। पर्याप्त नींद और आराम शरीर के लिए ज़रूरी है।

सेल फ़ोन, टीवी और कंप्यूटर स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी मेलाटोनिन के उत्पादन को रोकती है। चित्र : अडोबी स्टॉक

9. चीजों को ऑर्गनाइज़ करके रखें

एक व्यवस्थित व्यक्ति को याद रखने में आसानी होती है। चेकलिस्ट को मैन्युअल रूप से लिखने से याद रखने की संभावना बढ़ जाती है। रिसर्च के अनुसार वो चीजें, जो व्यक्ति खुद लिखता है, उसे याद रखना ज्यादा आसान हो जाता है। मन में उठने वाले विचारों को लिखने से भी मेंटल हेल्थ बूस्ट होती है।

डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

लेखक के बारे में
ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं।

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