आसपास का माहौल, लोगों का व्यवहार और जीवन में पलपल बदलने वाली स्थितियां नकारात्मकता का कारण बनने लगती है। अन्य लोगों से प्रभावित होकर बिना खुद से सवाल किए लोग इस ओर बढ़ने लगते हैं। इससे न केवल विचारों में नकारात्मकता बढ़ती है बल्कि व्यवहार में भी परिवर्तन दिखने लगता है। ये परिवर्तन जीवन में कई समस्याओं का कारण साबित होता है। इससे लाइफ के गोल्स को पाने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है और व्यक्ति अपने सोशलसर्कल से भी पिछड़ जाता है। जानते हैं किन टिप्स की मदद से इस समस्या का समाधान (How to avoid negative thoughts) किया जा सकता है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार साल 2015 के आंकड़ों की मानें, तो दुनियाभर में 300 मिलियन में डिप्रेशन की समस्या पाई गई। वहीं नेशनल हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर 20 में से एक व्यक्ति मानसिक समस्या का शिकार है। 15 साल की आयु से लेकर 49 की उम्र के अधिकतर लोग इस समस्या से ग्रस्त हैं।
इस बारे में मनोचिकित्सक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि जीवन में व्यक्ति सच्चाई को स्वीकार नहीं कर पाता है, जिससे नकारात्मकता की ओर बढ़ने लगता है। इसके अलावा कई बार अन्य लोगों पर बढ़ती निर्भरता कमज़ोरी और नकारात्मकता का कारण बनने लगती है। ऐेसे में निर्णय लेने के लिए दूसरों पर निभर्र न रहें और संतुष्ट रहने का प्रयास करते है। साथ ही अपनी क्षमताओं को पहचानर ही लक्ष्य का निधारिण करें।
हर व्यक्ति का जीवन एक दूसरे से अलग है। जाहिर है उसकी खुशियां और गम भी दूसरे व्यक्ति से जुदा ही होगें। ऐेसे में व्यक्ति का तुलनात्मक व्यवहार उसकी लाइफ में नकारात्मकता का कारण बनने लगता है। अपने आप को खुश रखने के लिए जो है और जितना है उसमें संतुष्ट रहने का प्रयास करें। इसके अलावा खुद को व्यस्त रखने की भी कोशिश करें।
कई बार किसी कार्य को परफेक्ट बनाने में व्यक्ति का आवश्यकता से अधिक समय खराब होने लगता है। इससे मन में जहां एक तरफ गिल्ट तो दूरी ओर निगेटीविटी बढ़ने लगती है। हर परिस्थ्ति में खुद को खुश रखने का प्रयास करना चाहिए।
परिवार, रिश्तेदार या दोस्तों के अनुसार लाइफ जीना छोड़कर अपने जीवन की जिम्मेदारी खुद लें। अन्य लोगों की विचारधाराएं और दृष्टिकोण को खुद पर हावी न होने दें। उनकी पसंद और नापसंद को इग्नोर करके अपने अनुसार जीवन जीएं और उनकी कही बातों के अनुसार निर्णय लेने से बचें। दूसरों की बातों को नज़रअंदाज़ करके आगे बढ़ने से नकारात्कता से बचा जा सकता है।
अन्य लोगों के जीवन में होने वाली हलचल से अपने जीवन को बचाकर रखें। दूसरों के सुखों से दुखी होने की जगह प्रसन्न रहें। इससे आपके जीवन में सकारात्कता बढ़ने लगती है। खुद को दूसरों से आगे रखने की कोशिश करने से बचें। अपनी आवश्यकताओं पर फोकस करके जीवन में आगे बढ़ने का प्रयास करें।
अपने खानपान से लेकर स्किन और बालों की देखभाल का ख्याल रखें। इससे व्यक्ति का दिमाग अन्य लोगों की ओर तेज़ी से आकर्षित नहीं होता है। शरीर में बढ़ने वाली समस्याओं का समय पर इलाज करवाएं और अपने आप को फिट रखने के लिए योग व व्यायाम की भी मदद लें।
अपने व्यवहार को उचित बनाए रखने के लिए ऐसे लोगों से दूरी बनाकर रखें, जो आपको दबाने का प्रयास कर रहे हैं। इससे उस व्यक्ति की विचारधारा धीरे धीरे आप पर हावी होने लगती है और व्यवहार में बदलाव आ जाता है। ऐसे में अपने काम में व्यस्त रहें और ऐसे लोगों से बातचीत करने और अपनी प्रतिक्रिया देने से बचना चाहिए।
कई बार अपनी क्षमताओं से ज्यादा गोल्स सेट कर लेने से व्यक्ति उन्हें पूरा नहीं कर पाता है। ऐसे में नकारात्मकता की आरे बढ़ने लगता है। दूसरों को देखकर भविष्य के फैसले लेने से बचें। अपनी आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर उसके अनुसार किसी भी लक्ष्य का निर्धारण करें।
अगर आप एक ही बारे में सिलसिलेवार ढ़ग से सोचते रहेंगे, तो उसके चलते मॉर्निंग एंग्ज़ाइटी की समस्या बढ़ने लगती है। दिन की शुरूआत हेल्दी करने के लिए याग और व्यायाम की मदद लें। मेडिटेशन करें और कुछ वक्त प्रकृति के नज़दीक बिताएं। इसके अलावा ब्रेकफास्ट में पौष्टिक आहार लें, जिससे दिनभर एनर्जी का लेवल उच्च मना रहता है।