साथ उठने बैठने वाले लोगों की सोच से लेकर उनके आचरण और बोलचाल की भाषा तक हर चीज़ का प्रभाव आप अपने व्यक्तित्व पर महसूस करने लगते है। अगर लोगों की सोच सकारात्मक है, तो उससे प्रोडक्टीविटी बढ़ने लगेगी और व्यक्ति जीवन में सफलता प्राप्त करने लगता है। मगर आसपास फैली नकारात्मकता आपके व्यवहार को भी निगेटिव बना सकती है। नकारात्मक रैवया उदासी, चिंता, तनाव और डिप्रेशन का कारण बनने लगता है, जो मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने लगता है। अगर आप भी नकारात्मक विचारों से घिरे रहते हैं, तो ये टिप्स आपके लिए मददगार साबित हो सकती हैं (how to control negative thoughts)।
नकारात्मक विचार सोशल एंग्ज़ाइटी, तनाव और लो सेल्फ इस्टीम का कारण साबित होते है। अपने नकारात्मक विचारों को बदलने के लिए रिपीटीटिव निगेटिव थॉट्स (how to control negative thoughts) में बदलाव लाना आवश्यक है। दरअसल, ये व्यक्ति पर इस कदर हावी हो जाती है कि वो नई जॉब, विवाह और कुछ नया पाने के बावजूद भी उसके निगेटिव साइड्स पर ही फोक्स करने लगता है।
इस बारे में मनाचिकित्सक डॉ आरती आंनद बताती हैं कि दिनों दिन वर्कलोड का बढ़ना तनाव का कारण बनने लगता है। इससे व्यक्ति खुद के लिए समय नही निकाल पाता है और कार्यों को पूरा नहीं कर पाता है, तो निगेटीविटी को बढ़ाता है। इसके अलावा सोशल मीडिया का रूझान बढ़ रहा है, जिसके चलते व्यक्ति जीवन में हर चीज़ पाने की चाह रखता है। मगर इच्छाओं की पूर्ति न होना नकारात्मक थॉट्स को जन्म देता है। ऐसी स्थिति से निकलने के लिए माइंडफुलनेस ज़रूरी है। इसके अलावा जीवन में हर पल कुछ पाने की चाह नकारात्मकता को बढ़ाने लगती है।
नेशनल साइंस फाउंडेशन के अनुसार किसी व्यक्ति के 80 फीसदी विचार नकारात्मक होते हैं और 95 फीसदी थॉटर रिपीटीटिव होने लगते हैं। इसमें रिश्ते, काम, स्कूल, कॉलेज, ऑफिस और दोस्तों के बारे में विचार और भावनाएँ मौजूद होती हैं। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के अन्य शोध के अनुसार, एक इंसान के मन में प्रतिदिन 60,000 थॉटस आते हैं और इनमें से 90 पर्सेंट रीपिटीटिव होते हैं।
कई लोग जीवन में तेज़ी से नकारात्मकता की ओर बढ़ने लगते है। ऐसे में अपने विचारों को लेकर सचेत रहने की आवश्यकता है। निगेटिव माहौल और लोगों से बचने के लिए समय पर उसकी पहचान करना आवश्यक है। अन्यथा पर्सनेलिटी पर उसका असर देखने को मिलता और व्यक्ति तनाव से ग्रस्त रहता है। ऐसे में अपने आसपास होने वाली गतिविधियों को खुद पर हावी होने से रोकने का प्रयास करें।
अगर जीवन में कई लोगों और चीजों को लेकर पोजे़सिवनेस बढ़ जाती है और हर पल मन में उन्हें खोने का भय बना रहता है। इससे विचारों में नकारात्मकता बढ़ने लगती है। ऐसे में इस बात को स्वीकाराना आवश्यक है कि जो चीज आपकी है उसे कोई नहीं छीन सकता है और व्यक्ति या किसी अन्य चीज को बांधकर रखने का प्रयास न करें। जीवन में ग्रोथ के लिए कुछ खोने के डर को कम करना ज़रूरी है, जिससे जीवन में होप और एक्साइटमेंट बढ़ने लगती है।
कई बार मल्टी टास्किंग जीवन में नकारात्मकता को बढ़ा देती है। ऐसे में एक समय पर एक ही कार्य को पूरा करने का प्रयास करें। इससे काम पूरा न होने पर बढ़ने वाली एंग्जाइटी और तनाव से बचा जा सकता है। साथ ही व्यक्ति खुद को संतुष्ट महसूस करता है और सकारात्मकता की ओर बढ़ने लगता है। असंतुष्टी से बचने के लिए शरीर की क्षमता के मुताबिक कार्य करें।
जर्नल ऑफ रिसर्च इन पर्सनेलिटी के अनुसार माइंडफुलनेस का मकसद इमोश्नल रिएक्शन को नियंत्रित करके सोचने की क्षमता को बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ना है। माइंडफुलनेस का अभ्यास करने से विचारों को अधिक बेहतर तरीके से उपयोग करने में मदद मिलती है। इससे व्यक्ति अपने थॉटस को एनालाइज़ करके नकारात्मकता से बाहर निकल पाता है। दिन में 30 मिनट तक इसकी प्रैक्टिव कार्यक्षमता को भी बढ़ाने लगती है।
मन ही मन खुद को किसी काम के लिए कोसने से बचें और अपने थॉटस को पेरेंटस, दोस्तों और पार्टनर के साथ शेयर करें। इससे मन को शांति और सुकून की प्राप्ति होती है और तनाव से भी राहत मिल जाती है। दूसरों से समस्या साझा करने से न केवल परेशानी कम होती है बल्कि उसका हल ढूढ़ने में भी मदद मिल जाती है।
कई बार नकारात्मकता व्यक्ति को उसके उद्देश्य तक पहुंचने में बाधा बनने लगती है। ऐसे में अपने गोल्स को याद रखें और उसे अचीव करने के लिए आगे बढ़ने का प्रयास और परिश्रम करें। इस तरह की सोच से दिमाग में बढ़ने वाली नकारात्मकता से बचा जा सकता है और व्यक्ति इमोशंस को नियंत्रित करने लगता है।
अपनी मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने के लिए खुद के लिए समय निकालना आवश्यक है, जिसमें व्यक्ति अपने मन मुताबिक कार्यों को बेहतर तरीके से करने लगता है। साथ ही किसी भी प्रकार की ईर्ष्या और निंदा से दूरी बनी रहती है। मी टाइम में व्यक्ति अपने स्किल्स को डेवलप कर सकता है, जिससे मन में संतुष्टि की भावना बढ़ने लगती है।
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