गर्मी के मौसम में पसीना आने और त्वचा पर इसके लंबे समय तक बने रहने की वजह से हीट रैशेज यानी की घमौरियों का संक्रमण हो जाता है। इस स्थिति में त्वचा में बेहद खुजली होती है, साथ ही त्वचा में जलन महसूस हो सकता है। लाल रंग के उठे हुए इन दानों को हीट रैशेज कहा जाता है। वहीं यदि इन पर खुजली कर दी जाए तो यह तेजी से बढ़ सकती हैं। इसलिए इसे ट्रीट करना बहुत जरूरी है।
इसके लिए आपको डॉक्टर पर रुपए खर्च खर्च करने की आवश्यकता नहीं है। ऐसे कुछ खास आयुर्वेदिक होम रेमेडीज हैं, जो इसमें आपकी मदद कर सकते हैं। तो फिर देर किस बात की चलिए जानते हैं, घमौरियों के लिए कुछ खास घरेलू नुस्खों के नाम।
चंदन अपनी कूलिंग प्रॉपर्टीज के लिए जाना जाता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित अध्ययन के अनुसार चंदन में एंटीबैक्टीरियल और एंटी इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टी पाई जाती है। ये प्रॉपर्टीज गर्मी में त्वचा पर होने वाली घमौरियों के लिए बेहद कारगर होती हैं।
यह घमौरियों को हील होने में मदद करती हैं। चंदन पाउडर और गुलाब जल का पेस्ट तैयार करें, इस पेस्ट को प्रभावित जगहों पर अप्लाई करें। यह त्वचा को ठंडक प्रदान कर आपको घमौरियों से राहत प्रदान करेंगे।
रिसर्च गेट के अनुसार नीम की पत्तियों में एंटी फंगल, एंटी माइक्रोबॉयल और एंटी इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टी पाई जाती है। ये सभी प्रॉपर्टीज त्वचा की समस्याओं में कारगर मानी जाती हैं। वहीं इसका कसैला स्वाद, संक्रमण का कारण बनने वाले बैक्टीरिया को मारने और रैशेज को हेल होने में मदद करता है। नीम की पत्तियों को पीसकर प्रभावित एरिया पर लगाएं, इसके अलावा गुनगुने पानी में नीम के पत्तों को भिगोकर 30 से 40 मिनट के लिए छोड़ दें, फिर उस पानी को अपने प्रभावित स्किन पर अप्लाई करें। इस दौरान आपको हल्का जलन महसूस हो सकता है, परंतु यह घमौरियों को काफी जल्दी हिल होने में मदद करता है। बच्चों की त्वचा पर नीम का इस्तेमाल न करें।
एलोवेरा में कई औषधीय गुण होते हैं, इस जेल में सूजन-रोधी गुण पाए जाते हैं, जो इसकी गुणवत्ता को अधिक बढ़ा देते हैं। एलोवेरा जेल को घमौरियों पर अप्लाई करने से त्वचा की जलन कम होती है।
कोल्ड कंप्रेस, खुजली और घमौरियों को कम करने में बेहद कारगर साबित हो सकता है। दिन में 2 से 3 बार घमौरियों पर बर्फ के टुकड़े रगड़ें, इससे बहुत आराम मिलता है। वैकल्पिक रूप से, ठंडे पानी से नहाने से घमौरियों की तीव्रता कम हो सकती है।
मुल्तानी मिट्टी घमौरियों के इलाज में भी एक कारगर घरेलू उपाय है। इसमें कूलिंग प्रॉपर्टीज पाई जाती हैं, साथ यह त्वचा को चिपचिपा होने से भी बचाता है। मुल्तानी मिट्टी को गुलाब जल या सादे पानी के साथ मिलाकर एक पेस्ट बना लें, इसे 15 मिनट तक अपने प्रभावित एरिया पर लगाए रखें, और फिर ठंडे पानी से धो लें। यह सूजन और त्वचा की जलन को कम करता है।
खीरे को नेचुरल कूलेंट के रूप में जाना जाता है। चाहे इसे त्वचा पर लगाया जाए या कच्चा खाया जाए, यह शरीर को दोनों ही रूपों में ठंडक प्रदान करता है। कच्चे पतले कटे हुए खीरे को प्रभावित एरिया पर 15 मिनट तक लगाए रखें, इसके शीतलक गुण त्वचा को आराम पहुंचाते हैं। वहीं खीरे में पानी की मात्रा शरीर को पूरी तरह से हाइड्रेटेड रखती है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित अध्ययन के अनुसार त्वचा पर होने वाली खुजली और इन्फ्लेमेशन को कम करने के लिए ओटमील का इस्तेमाल काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। ओटमील की सूदिंग प्रॉपर्टीज घमौरियों के जलन को कम करते हुए इससे राहत प्रदान करती हैं। गुनगुने पानी में ओटमील को 20 मिनट के लिए डुबोकर छोड़ दें। उसके बाद पानी को पूरी तरह से ठंडा हो जाने दें, फिर इस पानी को प्रभावित एरिया पर अप्लाई करें। चाहें तो ओटमील को पीसकर उसका पेस्ट बनाकर भी प्रभावित एरिया पर अप्लाई कर सकती हैं।
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