चेहरे को धूल, मिट्टी और कई प्रकार के पॉल्यूटेंट्स से बचाने में फेसवॉश सबसे पहला और ज़रूरी स्टेप है। इससे चेहरे पर जमा डस्ट और अतिरिक्त ऑयल को रिमूव करने में मदद मिलती है। मकअप के दौरान अक्सर डबल क्लीजिंग की मदद ली जाती है। दरअसल, त्वचा को स्वस्थ रखने और उसके पीएच स्तर को मेंटेन रखने के लिए फसवॉश आवश्यक है। अक्सर लोग बिना सोचे समझे साबुन या किसी भी प्रकार के फेस क्लींजर का इस्तेमाल करने लगते है। इससे चेहरे की त्वचा में निखार की जगह एक्ने, जलन और रूखपेन का सामना करना पड़ता है। अगर आप भी फेस क्लींजिंग को लेकर कंफ्यूज रहती है, तो चलिए जानते हैं फेस क्लींजिंग के लिए रखें किन बातों का ख्याल (right way to use face wash)।
विले ऑनलाइन लाइब्रेरी के अनुसार ऑयल क्लींजर वॉटरप्रूफ सनब्लॉक के रूप में काम करता है। इससे चेहरे पर जमा डस्ट को आसानी से और गहराई से रिमूव किया जा सकता है। वहीं वॉटर बेस्ड क्लींजर से चेहरे पर दिखने वाले एक्ने की समस्या हल होने लगती है। इसके अलावा त्वचा पर बढ़ने वाली जलन और खुजली से राहत मिलती है।
इस बारे में डर्माटोलॉजिस्ट डॉ महिमा अग्रवाल का कहना है कि त्वचा पर साबुन के इस्तेमाल से बचना चाहिए और माइल्ड क्लींजर की मदद से चेहरे को क्लीन करना चाहिए। चेहरे की नमी को बरकरार रखने के लिए फेसवॉश के बाद स्किन पर मॉइश्चराइज़र अप्लाई करें। फेसवॉश को चुनने से पहले अपनी स्किन टाइप का ख्याल रखें। इसके अलावा चेहरे पर रोज़ाना अतरिक्त मात्रा में एसिड के इस्तेमाल से बचें। इससे त्वचा पर दाग धब्बों की समस्या बढ़ने लगती है।
वे लोग जिनकी त्वचा रूखी और संवेदनशील है, उन्हें साबुन के इस्तेमाल से बचना चाहिए और लिक्विड क्लींजर का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अलावा पीएच का स्तर उचित होना चाहिए। इससे त्वचा का नेचुरल ऑयल बना रहता है और सि्ेकन हाइड्रेट रहती है। इसके अलावा लिक्विड सोप में पाई जाने वाली ग्लाइकोलिक या सैलिसिलिक एसिड की मात्रा स्किन को क्लीन और मुलायम बनाती है व नमी बरकरार रखती है।
फेसवॉश का पीएच माइल्ड एसिडिक या एसिडिक टू न्यूट्रल होना आवश्यक है। दरअसल, अल्कलाइन फेस वॉश से त्वचा पर रूखापन बढ़ जाता है, जो स्किन बैरियर का काम करता है। असंतुलित पीएच के चलते मॉइश्चर रिटेंशन, ख्ुजली व जलन का सामना करना पड़ता है। वे फेस क्लींजर जिनका पीएच का स्तर अधिक होता है, उससे चेहरे पर एक्ने और दाग धब्बों की समस्या भी बनी रहती है।
अगर आपकी त्वचा रूखी और बेजान है, तो क्रीमी फेसवॉश ही चुनें। इससे त्वचा पर बढने वाले खिंचाव और व्हाइट पैचिज़ की समस्या हल हो जाती है। इसके अलावा त्वचा का मॉइश्चर मेंटेन रहता है। वहीं दूसरी ओर वे लोग जिनकी त्वचा ऑयली है, उनके लिए जेल बेस्ड और फोमी फेसवॉश को विकल्प के तौर पर चुनना चाहिए। इससे स्किन क्लीजिंग के बाद त्वचा मुलायम बनी रहती है और अतिरिक्त ऑयल की समस्या हल होने लगती है।
चेहरे की क्लीजिंग के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले फेसवॉश को अप्लाई करने से पहले उसके इंग्रीडिएंटस अवश्य पढ़ें। ऑयली त्वचा के लोगों को सीबम सिक्रीशन को नियंत्रित करने के लिए नॉन कॉमेडोजेनिक उत्पाद का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अलावा त्वचा को स्वस्थ बनाए रखने के लिए फेसवॉश में एडिटिव्स और एमोलिएंट का होना आवश्यक है। इससे त्वचा मॉइश्चराइज़ रहती है और किसी भी प्रकार के फ्री रेडिकल्स के प्रभाव से बच जाती है।
फेसवॉश में पाए जाने वाले एंटी एक्ने इंग्रीडिएंट जैसे सैलिसिलिक एसिड या ग्लाइकोलिक एसिड का अधिक इस्तेमाल त्वचा को नुकसान पहुंचाने लगता है। इससे त्वचा पर इरिटेशन बढ़ने लगती है और स्किन रेडनेस का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा त्वचा पर बार बार घरेलू नुस्खों जैसे कपूर और मेन्थॉल का इस्तेमाल भी नुकसानदायक बनने लगता है।
अतिरिक्त ऑयल से राहत पाने के लिए अक्सर लोग गुनगुने पानी का इस्तेमाल करते है। इससे न केवल त्वचा की नमी खोने लगती है बल्कि त्वचा की कोशिकाओं को भी नुकसान का सामना रकना पड़ता है। ऐसे में गर्म पानी की जगह सामान्य पानी से चेहरा धोएं और माइल्ड फेसवॉश का इस्तेमाल करें।
चेहरे की क्लीनिंग के लिए पूरे हाथ के इस्तेमाल की जगह उंगलियों की मदद से चेहरे को क्लीन करे। इससे चेहरे पर जमा ऑयल और पॉल्यूटेंटस को रिमूव करने में मदद मिलती है। साथ ही स्किन का ब्लड सर्कुलेशन बढ़ने लगता है, जिससे त्वचा हेल्दी और क्लीन दिखने लगती है।