ठंडे पेय पदार्थ पीने या ज्यादा गर्म खाने से दांतों में होने वाले झनझनाहट खराब ओरल हेल्थ की ओर इशारा करती है। दरअसल, दांतों की सेहत को लेकर अक्सर लोग बेफिक्र रहते हैं। दिनभर खाने के बाद अगले दिन सुबह ब्रश करना दांतों की सेहत को नुकसान पहुंचाने लगता है। इससे समय से पहले दांतों से जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ने लगता है। दरअसल, दांतों की संवेदनशीलता यानि सेंसिटिव टीथ की समस्या किसी भी उम्र के व्यक्ति की समस्या का कारण बन सकती है। जानते हैं दांतों की संवेदनशीलता के कारण और उससे उबरने के उपाय भी (Home remedies for sensitive teeth)।
लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेजए एमडीएसए दंत चिकित्सक डॉ दिवाकर वशिष्ट का कहना है कि उम्र के साथ दांतों की सेंसटिविटी (causes of tooth sensitivity) बढ़ने लगती है। दरअसल दांतों के बाहर मौजूद मज़बूत परत जिसे इनेमल कहा जाता है। जब वे घिस जाती है, तो नर्वस स्टीम्यूलेट होने लगती हैं और दर्द का कारण साबित होती है। गैस्ट्रेटिक्स के चलते एचसीएल सिक्रीट होने लगता है, जिससे इनमेल का सिक्रीशन हेता है। इसके अलावा उम्र के साथ दांतों का टूटना (tips to make teeth strong) शुरू हो जाता है। इसके अलावा बीपी के कारण भी मसूढ़ों की समस्या बढ़ जाती है।
दांतों की स्वच्छता का ख्याल न रखना और हार्ड चीजों का दांतों से चबाने से सेंसटिविटी कम होने लगती है। टूथ सेंसटिविटी (causes of tooth sensitivity) कैविटी की ओर भी संकेत करता है। संमय पर दांतों की जांच न करवाना इस समस्या को बढ़ा देता है। ओरल हेल्थ को मेंटेन रखने के लिए साल में एक बार अल्ट्रासोनिक स्केलिंग ज़रूर करवा लें। इससे दांतों से जुड़ी समस्याओं से बचा जा सकता है।
रोज़ाना एसिडिक फूड्स और बैवरेजिज़ का सेवन करने से टूथ इनेमल कमज़ोर पड़ने लगता है। इससे दांतों में डिसकलरेशन, कैविटी और दांत टूटने का खतरा बना रहता है। वहीं भरपूर मात्रा में पानी पीने से स्लाइवा में प्रोटेक्टिव मिनरल्स मौजूद रहते है, जिससे दांतों में बढ़ने वाली सेवेदनशीलता कम हो जाती है।
साफ सफाई के लिए नरम ब्रिसल टूथब्रश का प्रयोग करना चाहिए। ऐसे टूथब्रश की मदद से मसूड़ों और दाँत के इनेमल को बचाने में मदद मिलती है। अत्यधिक दबाव से मसूढ़ों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है।
टूथपेस्ट को डिसेन्सिटाइज़ करने से दर्द को दूर करने और उसे ब्रेन तक पहुंचने से रोकता भी है।
इसमें पोटेशियम नाइट्रेट या स्ट्रोंटियम क्लोराइड की मात्रा पाई जाती है। इसके इस्तेमाल से दांतों की नसों में होने वाले दर्द को रोकने में मदद मिलती है। कुछ समय तक इसका इस्तेमाल करने से दांतों में अबढ़ने वाली झनझनाहट कम होने लगती है।
आहार में ग्रीन टी को जोड़ने से जहां शरीर का एटीऑक्सीडेंटस की प्राप्ति होती है। वहीं ओरल हेल्थ को फायदा मिलता है। इससे मुंह में पनपने वाले बैक्टीरिया को कम किया जा सकता है और इंफ्लामेशन से भी राहत मिलती है। इसके अलावा ग्रीन टी को ठंडा करके उससे कुल्ला करने से भी दांतों में बढ़ने वाली संवेदनशीलता कम हो जाती है।
एसिडिक और गर्म व ठंडा खाना खाने से दांतों में तेज़ दर्द और झनझनाहट होने लगती है। इसे कम करने के लिए एंटी इंफ्लामेटरी गुणों से भरपूर छोटा चम्मच हल्दीए आधा चम्मच सरसों का तेल और नमक मिलाकर घोल बना लें। अब इसे दांतों पर अप्लाई करें। इससे दांतों का दर्द और संवेदनशीलता कम होने लगती है। इसे दिन में दो बार दांतों पर अवश्य प्रयोग करें।
लौंग का तेल दांतों में लगाने से दांतों की संवेदनशीलता कम होने लगती है। इसमें पाया जाने वाला यूजेनॉलए एक प्राकृतिक एनेसथेटिक और एंटी बैक्टीरियल होता है जो सूजन और दर्द को कम करता है। इससे टूथ इनेमल को भी मज़बूती मिलती है।
सूजन और दर्द को कम रकने के लिए गुनगुने पानी में नमक को डालकर घोल लें। अब इससे दिन में 2 बार कुल्ला करने से दांतों मौजूद बैक्टीरिया को दूर किया जा सकता है। साथ ही टूथ इनेमल को मज़बूती मिलती है। इसमें मौजूद एंटीसेप्टिक गुण मसूढ़ों के आसपास बढ़ने वाले फ्लूइड को रोकने में मदद करता है।
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