गिरते तापमान के साथ बढ़ जाती हैं अस्थमा रोगियों की चुनौतियां, जानिए कैसे रखना है इस मौसम में अपना ख्याल

अस्थमा से पीड़ित लोगों को अक्सर ठंड में सांस लेने में परेशानी और सीने में जकड़े की तकलीफ बनी रहती है। कोल्ड के अलावा प्रदूषण का बढ़ना भी इस समस्या के लिए ट्रिगर का कारण साबित होता है।
Winter asthma se kaise bachein
ठंडी हवाओं के साथ प्रदूषण के चलते अस्थमा से ग्रस्त लोगों को सीने में जकड़न और खांसी समेत कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। चित्र : अडोबी स्टॉक
Published On: 4 Jan 2025, 08:00 am IST
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सर्दियों के मौसम में शुष्क हवाएं जहां त्वचा का रूखापन बढ़ा देती है, तो वहीं सांस संबधी समस्याओं का भी कारण बनने लगती हैं। ठंडी हवाओं के साथ प्रदूषण के चलते अस्थमा से ग्रस्त लोगों को सीने में जकड़न और खांसी समेत कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। रेस्पिरेट्री प्रॉब्लम बढ़ने से सांस लेने में तकलीफ बढ़ जाती है। ऐसे में अस्थमा के लक्षण गंभीर होने लगते हैं। इन आसान टिप्स की मदद से अस्थमा से ग्रस्त लोगों को ठंड से बचने में मदद (asthma care in winter) मिलती है।

सर्दी अस्थमा के लोगों को कैसे प्रभावित करती है

फोर्टिस हॉस्पिटल में पल्मोनोलॉजी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ अवि कुमार बताते हैं कि अस्थमा से ग्रस्त लोगों के वायुमार्ग यानि ब्रोंकियल ट्यूब सर्द हवाओं के कारण सूज जाते हैं। सूजन के कारण एयरवेज़ श्रिंक यानि संकरे हो जाते हैं। इससे ज्यादा हवा अंदर नहीं ले पाते है। इसी के चलते अस्थमा से पीड़ित लोगों को अक्सर ठंड में सांस लेने में परेशानी और सीने में जकड़े की तकलीफ बनी रहती है। कोल्ड के अलावा प्रदूषण का बढ़ना भी इस समस्या के लिए ट्रिगर्स का कारण साबित होता है।

प्लोस वन में छपी एक रिसर्च के अनुसार ठंड के मौसम में फिनलैंड के लोगों के समूह पर रिसर्च किया गया। इसमें पाया गया कि सर्दियों के मौसम में अस्थमा से ग्रस्त 82 फीसदी लोगों को सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ा। सांइटीफिक रिपोर्ट के अनुसार ठंड का मौसम रेस्पिरेट्री लक्षणों और फंक्शनल डिस्एबिलिटी को बढ़ाता है। इसस अस्थमा और एलर्जिक राइनाइटिस के रोगियों की संख्यार बढ़ने लगता है। रिपोर्ट के अनुसार अस्थमा और एलर्जिक राइनाइटिस से पीड़ित 7 फीसदी महिलाओं ने सर्दियों में स्वास्थ्य समस्याओं के लक्षणों में गंभीरता देखी।

asthma ke symptoms jitni jaaldi ho sake pahchan liye jane chahiye
यह जरूरी है कि अस्थमा का समय रहते निदान कर लिया जाए। चित्र : अडोबीस्टॉक

इन टिप्स की मदद से अस्थमा को सर्दियों में नियंत्रित करने में मिलेगी मदद

1. भरपूर मात्रा में पानी पीएं

सर्दियों में अतिरिक्त तरल पदार्थ का सेवन करने से रेस्पीरेटरी इंफेक्शन से बचा जा सकता है। इससे फेफड़ों में जमा बलगम को पतला करने में मदद मिलती है और उसे शरीर से निकालना आसान होने लगता है। शरीर को गर्म रखने के लिए हेल्दी और गर्म पेय पदार्थो का सेवन करें। इसके अलावा गुनगुना पानी पीने से गले में बढ़ने वाली बैक्टीरिया की रोकथाम की जा सकती है।

2. विटामिन सी का करें सेवन

सर्दियों के मौसम में सांस सबंधी समस्याओं से बचने के लिए संतरा, किन्नू, नींबू और मौसमी का सेवन करें। इससे शरीर को विटामिन सी की प्राप्ति होती है। इनमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंटस की मात्रा से शरीर में बढ़ने वाले ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में मदद मिलती है।

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार विटामिन सी फेफड़ों में ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में मदद करता है। साथ ही अस्थमा अटैक से बचा जा सकता है। विटामिन सी की कमी पल्मोनरी डिस्फंक्शन का कारण साबित होती है। अमेरिकन जर्नल ऑफ रेस्पिरेट्री एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन की रिपोर्ट के अनुसार सीओपीडी से बचने के लिए आहार में रसबेरी, आंवला और अमरूद को शामिल करे।

3. बाहर निकलने से बचें

शरीर को गर्म रखने के लिए नाक, मुंह और सिर को ढ़ककर रखें। साथ ही ठंड और प्रदूषण से खुद को बचाने के लिए घर के अंदर रहें और तापमान सामान्य होने के बाद ही घर से बाहर निकलें। इससे सीने में बढ़ने वाली जकड़, दर्द और चेस्ट कंजेशन से बचा जा सकता है।

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air pollution ke nuksaan
वायु प्रदूषण के कारण ब्रॉन्काइटिस और श्वास संबंधी समस्याओं का का खतरा बढ़ जाता है । चित्र- अडोबीस्टॉक

4. ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करें

अगर आप घर पर है, तब भी अस्थमा के लक्षणों की गंभीरता से बचने के लिए ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करें। दरअसल, इनडोर पॉल्यूटेंट्स खांसी, छींक और सांस की समस्याओं से बचाते हैं। इसके इस्तेमाल से एयरवेज़ मॉइश्चराइज़ रहते हैं, जिससे रेस्पिरेट्री प्रॉब्लम्स से बचा जा सकता है।

5. आग सेंकने से बचें

धुंआ, धूल, मिट्टी और प्रदूषण अस्थमा के लक्षण बढ़ने का कारण साबित होते हैं। दरअसल, आग सेकने से उठने वाले धुएं से एयरवेज़ में इरिटेंटस का स्तर बढ़ने लगता है। ऐसे में अलाव से दूरी बनाकर बैठें। शरीर को गर्म रखने के लिए अलाव जगह गर्म कपड़ों की मदद लें।

6. हैंड हाइजीन का ख्याल रखें

सर्दी और फ्लू के वायरस से बचने के लिए हाथों की स्वच्छता को बनाए रखें। अन्यथा चेस्ट कंजेशन का सामना करना पड़ता है। बलगम की मात्रा बढ़ने से सांस लेने में परेशानी बढ़ने लगती है। अस्थमा और साइनस जैसी समस्याओं के जोखिम को कमकरने के लिए बाहर से आने के बाद हाथों को अवश्य धोएं।

hand wash kaise karein
हैंड सैनिटाइज़र बैक्टीरिया का खातमा करने में फायदेमंद हैं। इससे हाथों पर मौजूद रसायन दूर होने लगते हैं। लेकिन वहीं गंदगी दूर करने के लिए साबुन और बहता पानी आवश्यक है।। चित्र : अडोबी स्टॉक

7. बहुत अधिक रोएंदार कपड़े पहनने से बचें

अधिक गर्म कपड़े भी एलर्जी को बढ़ा देते है, जिससे सांस लेने में तकलीफ बढ़ जाती है। अस्थमा के लक्षणों से बचने के लिए अधिक रोएंदार कपड़ों से दूरी बनाकर रखें। इससे रेशे गले में जाकर संक्रमण का कारण बनते है और खांसी की समस्या बढ़ने लगती है। शरीर को ठंड से बचाने के लिए आवश्यकतानुसार कपड़ों का चयन करें।

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लेखक के बारे में
ज्योति सोही
ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं।

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