सोकर उठने के अलावा बात करने के दौरान तो कभी खाली बैठे बैठे उबासी आने लगती है। इसमें कोई दोराय नहीं कि लगातार काम करने के कारण होने वाली थकान के चलते उबासी का सामना करना पड़ता है। इसके चलते कई लोग हास्य का पात्र भी बन जाते हैं। मगर बार बार आने वाली उबासी चिंता का कारण बनने लगती है। जानते हैं उबासी क्या है और इससे राहत पाने के लिए किन टिप्स को करे फॉलो (How to control excessive yawning) ।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार उबासी उस प्रक्रिया को कहते हैं, जिसमें कोई व्यक्ति मुंह खोलता हैं और गहरी सांस (Benefits of deep breathing) लेते हैं। उसके बाद फिर जल्दी से साँस को छोड़ देता हैं। गर्मी के मौसम में उबासी का सामना करना (reasons of excessive yawning) पड़ता है। थकान और बोरिंग महसूस करने के दौरान उबासी आने का सिलसिला बढ़ने लगता है। कई बार उबासी छोटी तो कई बार इसकी अवधि लंबी भी हो सकती है।
इस बारे में मनोचिकित्सक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि शरीर में एक्सेसिव ऑक्सीजन का होना और शरीर का कम एक्टिव होना उबासी का कारण बन जाता है। इसके अलावा डिहाइड्रेशन से भी व्यक्ति बार बार उबासी लेने लगता है। साथ ही जीवन में तनाव का बढ़ना इस समस्या का मुख्य कारण साबित होता है। उबासी लेने के बाद शरीर में इंटरनल फ्रेशनेस आने लगती है और मांइड एक्टिव भी हो जाता है। दरअसल, यानिंग एक लर्न बिहेवियर है। जो साइकोलॉजिकल रीज़न के चलते एक को देखकर दूसरे का महसूस होने लगता है।
खाली बैठना और सिडेंटरी लाइफस्टाइल को फॉलो करना शरीर में थकान को बढ़ा देता है। इससे यॉनिंग का सामना करना पड़ता है। इसके चलते व्यक्ति दिनभर सुस्त और कमज़ोरी महसूस करने लगता है। ऐसे में खुद को किसी न किसी एक्टीविटी में बिज़ी रखना यॉनिंग को कम कर देता है।
शरीर में पानी की कमी के चलते थकान की समस्या बढ़ती है और नींद का सामना करना पड़ता है। दरअसल, पानी पीने या अन्य हेल्दी पेय पदार्थों से शरीर को मिनरल्स की प्राप्ति होती है, जिससे शरीर एक्टिव औ हेल्दी बना रहता है। दिनभर में उचित मात्रा में पानी का सेवन करना आवश्यक है।
बार बार एक ही बारे में सोचना शरीर में आलस्य का कारण बनने लगता है। इससे व्यक्ति का शरीर थकान से भर जाता है और बार बार जम्हाई आने लगती है। ब्रेन को एक्टिव रखने के लिए दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताएं और एक ही बारे में बार बार विचार करने से बचें।
रात में समय से न सोना और स्लीप पैटर्न को फॉलो न करना नींद की गुणवत्ता को कम करने लगता है। ऐसे में पूरी बार बार जम्हाई आने लगती है। इससे बचने के लिए 8 से 10 घंटे की नींद लें, जिससे शरीर में हैप्पी हार्मोन का रिलीज़ बढ़ने लगता है और स्लीप डिसऑर्डर की समस्या से शरीर बच जाता है।
जम्हाई से बचने के लिए शरीर की गतिशीलता को बनाए रखना ज़रूरी है। दिनचर्या में योगासनों का अभ्यास करें। इसके लिए प्राणायाम करें और अपनी सांस पर नियंत्रण बनाए रखें। इसके अलाव अन्य ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ ब्रेन को तनाव मुक्त रखने में मदद करते हैं।
अपने आप को बिज़ी रखना आवश्यक है, मगर ओवरबर्डन करने से उसका असर मानसिक स्वास्थ्य पर दिखने लगता है। ऐसे में शरीर को एक्टिव बनाए रखने के लिए सेल्फ लव ज़रूरी है। कुछ वक्त काम से ब्रेक लेकर खुली हवा में सांस लें और काम को समय पर पूरा करने की आदत डालें।
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