औषधीय गुणों से भरपूर शीशम की पत्तियों का आयुर्वेद में विशेष महत्व है। इसकी पत्तियों से लेकर फलियों तक सभी कुछ बेहद लाभकारी है। इन गहरे रंग की पत्तियों की तासीर ठंडी होती है। ऐसे में गर्मी के मौसम में पाचन (tips to boost digestion) से लेकर घमोरियों तक हर चीज़ का इलाज इन पत्तियों के माध्यम से किया जा सकता है। मेडिसिनल प्रॉपर्टीज़ से भरपूर ये पत्तियां शरीर को कई प्रकार से लाभ पहुंचाती हैं। जानते हैं आयुर्वेद एक्सपर्ट से किस प्रकार शीशम की पत्तियों स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में होती हैं मददगार साबित (sheesham leaves uses)।
शीशम के पेड़ भारत में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसका अंग्रेजी नाम रोज़ वुड है, जिसके तीन प्रकार होते हैं। इसके तने से लेकर बीज, पत्तियां और जड़े सभी मेडिसिनल प्रॉपर्टीज़ से भरपूर हैं। इस बारे में बातचीत करते आयुर्वेद एक्सपर्ट डॉ अंकुर तंवर बताते हैं कि गर्मियों के मौसम में बढ़ने वाली घमोरियों और पाचन से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में शीशम की पत्तियां बेहद उपयोगी हैं। इन पत्तियों की तासीर ठंडी होती है। इसकी पत्तियों को पाउडर और तेल के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरपूर इन पत्तियों और बीज का लेप बनाकर भी एड़ियों पर इस्तेमाल (sheesham oil for foot care) किया जा सकता है।
दिनों दिन बढ़ने वाले मानसिक तनाव और डिप्रेशन के लक्षणों को दूर करने के लिए शीशम के पत्ते बेहद लाभकारी सिद्ध होते हैं। इन्हें पीसकर इनका लेप तैयार कर लें और उसे पूरे सिर पर लगा लें। इससे सिर को ठंडक पहुंचती है। इसके अलावा इसे सिर पर लगाने से नींद आने लगती है। लगातार 1 सप्ताह तक इसे लगाने से तनाव और एग्ज़ाइटी को कम करने में मदद मिलती है।
एक कप शीशम की पत्तियों को धोकर अलग कर लें। अब उसमें पानी डालकर पीस लें। तैयार लेप को माथे पर लगाएं और 30 मिनट तक लगा रहने दे। इससे सिर को ठंडक की प्राप्ति होती है। रोज़ाना लेप लगाने से माथे का दर्द व तनाव कम होने लगता है।
गर्मी में बार बार आने वाला पसीना और हाइजीन का ख्याल न रख पाने से घमोरियों की समस्या बढ़ने लगती है। इसके लिए मुट्ठी भर शीशम के पत्तों को पानी में धोकर एक बड़े बर्तन में पानी भर उबालें और उसे ठंडा होने के बाद नहाने की बाल्टी में उलट दें। अब इस पानी से नियमित रूप से नहाने से घमोरियों और खुजली व त्वचा पर होन वाली जलन से मुक्ति मिल जाती है।
कभी घमोरियां, तो कभी शरीर पर होने वाली खुजली को दूर करने के लिए एक कप शीशम की पत्तियों को धोकर एक बड़े बर्तन में पानी डालकर उसमें मिलाएं और उबलने दें। जब पानी का रंग बदलने लगे, तो गैस बंद कर दें। अब उस पानी को ठंडा करने के बाद नहाने के लिए प्रयोग करें।
मौसम में बदलाव के साथ उसका प्रभाव एपिटाइट और डाइजेशन पर दिखने लगता है। इससे राहत पाने के लिए शीशम की फली यानि बीज को लेकर पिसी हुई काली मिर्च के साथ मिलाएं और उसे खा लें। इसे गुनगुने पानी के साथ आधा चम्मच लेने से पेट का दर्द दूर होन लगता है। इसके अलावा उल्टी, दस्त, ब्लोटिंग और अपच की समस्या से भी राहत मिल जाती है।
कब्ज, ब्लोटिंग और अपच से बचने के लिए शीशम के बीजों को उससे आधी मात्रा में काली मिर्च लेकर पीस लें। अब एक चौथाई चम्मच दरदरे पिसे पाउडर को गुनगुने पानी के साथ लें। इससे पाचनतंत्र को मज़बूती मिलने लगती है।
महिलाओं में वेजाइनल डिसचार्ज एक आम बात है। मगर कुछ महिलाओं में ये डिसचार्ज गाढ़ा होने लगता और धीरे धीरे बढ़ जाता है। ऐसे में शीशम की पत्तियों का रस पीने से 10 से 15 दिन में असामान्य रूप से बढ़ने वाले व्हाइट डिसचार्ज को नियंत्रित किया जा सकता है।
इसके सेवन से अनियमित पीरियड की समस्या से भी बचा जा सकता है। रोज़ाना एक चम्मच शीशम के रस को गुनगुने पानी में मिलाकर पीने से वेजाइनल डिस्चार्ज से बचा जा सकता है।
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कस्टमाइज़ करेंशीशम का तेल भी इसके रस के समान बेहद फायदेमंद है। फटी एड़ियों को दूर करने के लिए पैरों को धोकर उन्हें पोंछ लें और फिर शीशम के तेल से एड़ियों की मसाज करें। इससे डेड स्किन सेल्स की समस्या से राहत मिलती है और त्वचा का रूखापन कम होने लगता है। इसमें मौजूद गुण त्वचा को नमीयुक्त बनाए रखती है। रात को सोने से पहले कुछ बूंद शीशम का तेल पैरों पर अवश्य लगाएं।
पैरों की रूखी त्वचा को मॉइश्चराइज़ करने के लिए शीशम के तेल में बराबर मात्रा में नारियल का तेल मिला लें। अब इससे पैरों की समाज करें। रात को सोने से पहले मसाज करने के बाद जुराबें पहन लें। इससे डेड स्किन सेल्स से राहत मिल जाती है।