जहां आयुर्वेद में त्रिफला चूर्ण का एक खास स्थान है, तो वहीं हर रसोईघर में भी ये पाया जाता है। इन दिनों वज़न बढ़ने से लेकर ब्लड शुगर तक, लाइफस्टाइल संबंधी कई समस्याओं का हम सभी को सामना करना पड़ रहा है। तीन खास तरह की हर्ब्स से तैयार त्रिफला इन समस्याओं को कंट्रोल करने में आपकी मदद कर सकता है। जबकि पाचन संबंधी समस्याओं के लिए हर दूसरा व्यक्ति इस पर भरोसा करता है। मगर क्या बिना डॉक्टरी सलाह के इसे लेना सेहत के लिए सही है? जवाब है नहीं! क्योंकि आयुर्वेद की हर औषधि की तरह इसका भी जरूरत से ज्यादा या गलत तरह से सेवन सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। आइए जानते हैं इसके कुछ साइड इफेक्ट्स (Triphala side effects) और इसे लेने का सही (Right way to consume Triphala) तरीका।
इस बारे में आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ अंकुर तंवर बताते हैं कि यह, तीन फलों से बना एक पारंपरिक हर्बल मिश्रण है। इसमें पहला आमला (Amla), दूसरा बिभीतकी (Beleric Myrobalan) और तीसरा हरड़ या हरीतकी (Chebulic myrobalan) को मिलाया जाता है। इसके कई स्वास्थ्य लाभों के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। मगर उचित मात्रा का सेवन न करने से दुष्प्रभावों का सामना भी करना पड़ता है।
हांलाकि त्रिफला एक रेचक औषधि है। तीनों फलों को सुखाकर तैयार किए जाने वाले इस चूर्ण के सेवन से न केवल पाचनतंत्र को मज़बूती मिलती है, बल्कि इससे वज़न कम करने और ब्लड शुगर लेवल को भी नियंत्रित किया जाता है। इसके अलावा इसमें मौजूद कोलेसिस्टॉकिन कंपाउड भूख बढ़ने से रोकता है। मगर फिर भी अधिक सेवन नुकसान का कारण साबित होता है।
इस चूर्ण में रेचक गुण पाए जाते है, जिसके चलते कब्ज की समस्या हल हो जाती है। मगर इसका अत्यधिक सेवन दस्त, पेट में ऐंठन या सूजन का कारण बनने लगता है। वे लोग जो पहले से पाचन संबधी समस्याओं और एसिडटी से ग्रस्त है, उन्हें खाली चूर्ण से बचना चाहिए। इसमें फाइबर की उच्च मात्रा पाई जाती है, जो ब्लोटिंग का कारण बन जाती है।
नियमित रूप से इसका सेवन करने से कुछ लोगों को त्वचा पर चकत्ते, खुजली और ब्रीदिंग प्रॉबल्म का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा त्वचा का रूखापन भी बढ़ने लगता है। ऐसे में जड़ी बूटियों के चूर्ण के सेवन के साथ शरीर को निर्जलीकरण से बचाना आवश्यक है।
लंबे समय तक उपयोग करने और उच्च खुराक लेने से मल त्याग में वृद्धि हो जाती है, जिससे शरीर में इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन हो सकता है। त्रिफला आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण जड़ी बूटी है जिसके कई लाभ हैं। मगर लेते वक्त कोताही बरतने से निर्जलीकरण का सामना करना पड़ता है।
सही मात्रा में सेवन न करने से दवाओं के सही तरीके से चयापचय में समस्या आती है। साथ ही अन्य दवाओं के साथ त्रिफला लेने से दवाओं के साथ प्रतिक्रिया कर सकता है। इसे दवा के साथ लेने से पहले डॉक्टर या आयुर्वेद एक्सपर्ट की सलाह अवश्य ले लें।
प्रेगनेंसी के दौरान परहेज़ करना चाहिए। पहले तीन महीने तक त्रिफला का सेवन न करें। इसका प्रभाव बच्चे की ग्रोथ पर पड़ सकता है। इसे लेने से पहले स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह लें।
गर्मी में शरीर के इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने के लिए गुड़ के साथ चूर्ण मिलाकर लें सकते हैं। बरसात में सेंधा नमक मिलाकर लें। सर्दी में एक चौथाई सौंठ को मिला कर लें। वहीं बंसत के आते ही शहद के साथ इसका सेवन करें। किसी भी चीज़ को इसमें एक चौथाई ही मिलाएं।
पाचनतंत्र को मज़बूत बनाने और पेट साफ करने के लिए त्रिफला चूर्ण को गुनगुने पानी या दूध के साथ रात को सोने से पहले लें। इससे पेट में डाइजेस्टिव जूसिज़ का स्तर बढ़ता है, जिससे बॉवल मूवमेंट नियमित होने लगता है।
एक गिलास पानी में इस औषधी को डालकर उबलने दें। अब जब पानी की मात्रा आधी रह पाए, तो इसे छानकर पीएं। इसमें गिठास लाने के लिए शहद का इस्तेमाल कर सकते हैं।
पाचन के अलावा त्रिफला वेटलॉस और ब्लड शुगर नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके लिए डॉक्टर की सलाह से ही इसकी टेबलेट लें। इसे गुनगुने पानी से लेने से शरीर को फायदा मिलता है।
वज़न को नियंत्रित करने के लिए इसे गुनगुने पानी में डालकर कुछ देर उबालें और इसमें एक चौथाई चम्मच दालचीनी को मिला लें। अब इस उबलने दें और इसमें शहद को मिलाकर इसका सेवन करें ।
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