यूपी के प्रयागराज में महा कुम्भ 2025 का आयोजन जारी है। देश के कोने-कोने और विदेशों से भी लोग आ कर गंगा में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। 29 जनवरी को आ रही मौनी अमावस्या उन खास अवसरों में से है जब लोग बड़ी संख्या में नदियों पर स्नान के लिए पहुंचते हैं। मगर कड़वी हकीकत यह है कि गंगा का पानी साफ नहीं है। इस वजह से लोगों को स्किन इन्फेक्शन और स्किन एलर्जी जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है। अगर आप भी नदी में स्नान (bathing in river) की योजना बना रहे हैं, तो आपको कुछ चीजों का ध्यान रखना जरूरी है।
साल 2019 की एक रिपोर्ट इस बात की तस्दीक करती है कि न सिर्फ नदी का पानी (bathing in river) गंदा होने की वजह से लोगों को स्किन एलर्जी हुई थी। बल्कि एक साथ ज्यादा लोगों के नहाने की वजह से एक दूसरे के इन्फेक्शन्स ट्रांसफर भी हुए थे। रिपोर्ट के अनुसार कुम्भ के दौरान फैली बीमारियों में से 18 प्रतिशत समस्याएं स्किन इंफेक्शन और एलर्जी की थी।
डर्मेटोलॉजिस्ट डॉक्टर रत्नाकर शुक्ला बताते हैं कि नदी का पानी अक्सर प्रदूषित होता है, खासकर शहरी इलाकों और औद्योगिक क्षेत्रों के पास। प्रदूषण के कारण नदी के पानी (bathing in river) में अलग- अलग तरह के केमिकल्स, मेटल्स, प्लास्टिक, जैसी चीजें हो सकती हैं।
ये जब हमारे स्किन के कॉन्टेक्ट में आते हैं तो हमें स्किन एलर्जी और इन्फेक्शन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इससे स्किन में खुजली, लालिमा, सूजन, और जलन जैसी समस्याएं होती हैं।
नदी के पानी में बैक्टीरिया और वायरस होने के चांस ज्यादा होते हैं। जब नदी का पानी गंदा होता है, तो उसमें शिगेला, हेपेटाइटिस ए, और जैसे बैक्टीरिया और वायरस हो सकते हैं। ये स्किन के माध्यम से (bathing in river) शरीर में प्रवेश कर सकते हैं और त्वचा पर संक्रमण या एलर्जी पैदा कर सकते हैं। शिगेला बैक्टीरिया पेट और आंतों में इन्फेक्शन दे सकता है, और इससे भी आपकी स्किन में जलन और खुजली होती है।
नदी के पानी (bathing in river) में छोटे जलजन्तु और परजीवी हो सकते हैं जो त्वचा से संपर्क करने पर संक्रमण और एलर्जी का कारण बन सकते हैं। अगर व्यक्ति नदी में नहाते वक्त इन जलजन्तुओं के संपर्क में आता है, तो उन्हें स्किन इंफेक्शन हो सकता है।
उदाहरण के लिए, “कैम्पिलोबैक्टर” नामक बैक्टीरिया जो गंदे पानी में पाया जाता है, त्वचा के जरिए शरीर में प्रवेश कर सकता है।
नदी के गंदे पानी (bathing in river) में बैक्टीरिया और वायरस आपकी स्किन में दाखिल हो कर आपको इन्फेक्शन दे देते हैं। ये इंफेक्शन त्वचा पर लाल चकत्ते, फफोले, और सूजन जैसी समस्याएं पैदा करते हैं। अगर इसका इलाज समय पर न किया जाए, तो इंफेक्शन बढ़ सकता है और स्किन को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है।
गंदे पानी से त्वचा पर एलर्जी हो सकती है, जिसके नतीजे के तौर पर रैशेज, खुजली, सूजन, और जलन हो सकती है। यदि एलर्जी गंभीर हो, तो त्वचा पर फफोले, बिवाइयां, और स्किन इन्फेक्शंस भी हो सकते हैं।
गंदे पानी से नहाने (bathing in river) पर इंफेक्शियस बीमारियां भी हो सकती हैं। जैसे कि वाटर बॉर्न रोग (waterborne diseases) जैसे डायरिया, हेपेटाइटिस, और स्किन फंगल इन्फेक्शन शामिल हैं।
डॉक्टर रत्नाकर के अनुसार गंदे पानी से बार-बार संपर्क में आने (bathing in river) से त्वचा पर बड़ी समस्याएं हो सकती हैं। किसी भी नदी का गंदा पानी आपकी त्वचा की नमी को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे सूखापन, जलन, और झुर्रियां परमानेंट रह सकती हैं। अगर आपकी स्किन पहले से सेंसीटिव है, तो ये नुकसान बढ़ भी सकता है।
नदी में नहाने ( Mauni amavasya snan) से पहले यह जरूर देख लें कि पानी साफ है या नहीं। और प्रदूषण मुक्त हो। अगर पानी गंदा है तो उसमें नहाने (bathing in river) से बचें।
मौनी अमावस्या ( Mauni amavasya snan) पर अगर आप नदी में नहाने जा रहे हैं तो नहाने से पहले शरीर पर सनस्क्रीन या कोई भी मॉइश्चराइजर लगा लें।
इससे आपके बदन पर जाने के बावजूद गंदा पानी फिसलेगा और स्किन के अंदर नहीं जा पाएगा। ऐसा करके आप गंदे पानी की वजह से एलर्जी जैसी समस्याओं से बचे रहेंगे।
अगर नदी में नहाने के बाद (bathing in river) किसी तरह की जलन, खुजली या रैशेज़ महसूस हों, तो तुरंत साफ पानी से नहा लें। इसके बाद स्किन पर मॉइश्चराइज़र लगाएं ताकि स्किन को नमी मिल सके और यह ठीक हो सके।
अगर नदी में नहाने (bathing in river) के बाद त्वचा पर एलर्जी, रैशेज, या इंफेक्शन के लक्षण दिखें, तो डॉक्टर को जरूर दिखा लें। स्किन इन्फेक्शन की सूरत में जितनी जल्दी डॉक्टर से सलाह लेंगे, बड़े खतरे से बचे रहेंगे।
नदी में नहाने (bathing in river) के दौरान ये सुनिश्चित करें कि बहुत देर तक पानी में न रहें, ताकि अगर पानी गंदा भी हो तो स्किन पर किसी भी प्रकार का प्रभाव न पड़े।
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